मौत के मुहाने पर पहुंच गया है शम्शी तालाब

उपेक्षा का शिकार शम्शी तालाब
उपेक्षा का शिकार शम्शी तालाब
दिल्ली सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते महरौली में एक हजार साल पुराना ऐतिहासिक शम्शी तालाब लगातार धीमी मौत मर रहा है। किसी समय यही तालाब यहां के दर्जनों गांवों के लोगों की पानी संबंधी जरूरतों को पूरा करता था। मवेशियों की प्यास बुझाता था और जमीन के जल स्तर को दुरुस्त रखता था, लेकिन यहां सक्रिय भूमाफियाओं की कारगुजारियों के चलते यह तालाब लगातार सूखता और सिकुड़ता जा रहा है। महरौली का सारा इलाका अरावली पर्वत पर बसा हुआ है। यहां की जमीन पथरीली थी, जिस कारण इस पूरे इलाके में पानी की बेहद कमी थी, इसी कमी से निजात पाने के लिए गुलामवंश के राजाओं ने करीब एक हजार साल पहले शम्शी तालाब का निर्माण कराया था।

पहले इसे हौज ए शम्शी के नाम से जाना जाता था। कई किलोमीटर तक फैला यह तालाब एक समय यहां के लोगों की लाइफ लाइन हुआ करता था। बताया जाता है कि यह तालाब इतना विशाल था कि मशहूर घुमक्कड़ इबने बतूता ने इस तालाब को देखकर लिखा था कि उसने पूरी दुनिया की सैर की है, लेकिन इतना विशाल और भव्य तालाब कहीं नहीं देखा। उसने इसे भव्य जलस्रोत की संज्ञा दी थी। इतना ही नहीं प्रसिद्ध गांधीवादी अनुपम मिश्र ने अपनी किताब आज भी खरे हैं तालाब में शम्शी तालाब का जिक्र किया है।

यह किताब फ्रेंच और स्पेनिश समेत 40 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। सरकारी उदासीनता को देखते हुए इस तालाब को बचाने के लिए आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों ने गांव बचाओ आंदोलन के नाम से तालाब को बचाने की एक मुहीम शुरू की है। इसके मुखिया त्रिलोक चौधरी का कहना है सरकार जल संचयन के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन जल संचयन के सबसे पुराने इन जल स्रोतों को बचाने के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है। एक समय दिल्ली के अंदर तीन से चार सौ तालाब हुआ करते थे, जिनमें से ज्यादातर तालाब सरकारी उदासीनता के चलते नष्ट हो चुके हैं।

हालात यह हैं कि इस ऐतिहासिक धरोहर में प्रशासन की लापरवाही के चलते सैकड़ों नालियां गिर रही हैं, जिससे तालाब का पानी प्रदूषित हो गया है। भूमाफिया तालाब को मलबा डालकर भरता जा रहा है। इसे रोकने के लिए गांव के लोगों ने दिल्ली सरकार, शहरी विकास मंत्रालय और प्रधानमंत्री को कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ है। अब गांव वाले इस ऐतिहासिक शम्शी तालाब को इसके लिए एक आंदोलन करने पर विचार कर रहे हैं।

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