मानव मस्तिष्कों में संचार संपर्क

Head
Head

एक भारतीय वैज्ञानिक ने दो मानव मस्तिष्कों को इंटरनेट के जरिए जोड़ने का एक अनोखा प्रयोग किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्रयोग में शरीर में शल्य उपकरणों को प्रविष्ट करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में किए गए प्रयोग के दौरान भारतीय रिसर्चर राजेश राव मस्तिष्क के संकेत से अपने सहयोगी के हाथ की हलचल को नियंत्रित करने में कामयाब हो गए। उन्होंने यह संकेत इंटरनेट के जरिए भेजा था। दो मस्तिष्कों के बीच संपर्क कायम करने के लिए दुनिया में काफी समय से रिसर्च चल रहा है। अभी हाल में अमेरिका में ही ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों को दो चूहों के मस्तिष्कों के बीच संचार संपर्क स्थापित करने में सफलता मिली थी, जबकि हार्वर्ड के वैज्ञानिक मानव और चूहे के बीच मस्तिष्क संपर्क कायम करने में कामयाब हुए थे।

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग के प्रोफेसर राजेश राव ने अपने मस्तिष्क से एक कंप्यूटर गेम खेलने के लिए ईईजी (इलेक्ट्रॉएनसिफेलोग्राफी) मशीन का इस्तेमाल किया। सामान्य तौर पर ईईजी का प्रयोग शल्य उपकरणों के बगैर मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। राव द्वारा भेजा गया संकेत एक दूसरे रिसर्चर एंड्रिया स्टोको ने ग्रहण किया जो यूनिवर्सिटी कैम्पस में किसी दूसरी जगह पर बैठे थे। राव का संकेत मिलते ही स्टोको के हाथ की एक अंगुली अपने आप कीबोर्ड पर चलने लगी।

गत 12 अगस्त को प्रो. राव अपनी प्रयोगशाला में एक खास किस्म की टोपी पहनकर बैठ गए। इस टोपी में इलेक्ट्रोड लगे हुए थे जो एक ईईजी मशीन से जुड़े हुए थे। दूसरी तरफ स्टोको ने भी एक टोपी पहन रखी थी। मस्तिष्क को उत्प्रेरित करने के लिए टोपी के अंदर एक चुंबकीय क्वाइल लगी हुई थी। रिसर्चरों की टीम के पास स्काइप कनेक्शन था हालांकि राव या स्टोको में से कोई भी स्काइप स्क्रीन नहीं देख सकता था। राव ने कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा और अपने मस्तिष्क से एक वीडियो गेम खेलना शुरू किया। गेम में उन्हें एक लक्ष्य की तरफ बंदूक चलानी थी। लेकिन उन्होंने सिर्फ अपने दाएं हाथ को घुमाने के बारे में सोचा। दूसरी तरफ उसी समय स्टोको की दाईं तर्जनी अपने आप कीबोर्ड पर हरकत करने लगी मानो बंदूक स्टोको को ही चलानी थी।

स्टोको की टोपी में लगे चुंबकीय क्वाइल को मस्तिष्क के उस हिस्से के ऊपर रखा गया था जो दाएं हाथ की हलचल को नियंत्रित करता है। स्नायु कोशिकाओं के उत्प्रेरित होने पर मस्तिष्क को यकीन हो गया कि दायां हाथ घुमाना पड़ेगा। राव का कहना है कि उनके मस्तिष्क द्वारा सोचे गए कार्य को दूसरे मस्तिष्क द्वारा हकीकत में बदलता हुआ देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव था। फिलहाल सूचना का यह प्रवाह उनके मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क तक ही सीमित था। अगले चरण में दो मस्तिष्कों के बीच सीधे दोतरफा आदान-प्रदान पर जोर दिया जाएगा।

राव पिछले एक दशक से मस्तिष्क और कंप्यूटर में रिश्ता कायम करने की दिशा में प्रयोग कर रहे हैं। इस प्रयोग में शामिल दूसरे रिसर्चर स्टोको का कहना है कि इंटरनेट कंप्यूटरों को जोड़ने का एक जरिया है। अब यह दो मस्तिष्कों को जोड़ने का भी जरिया बन सकता है।

मानव मस्तिष्कों में संचार संपर्क मुकुल व्यास प्रो. राव का कहना है कि उनके मस्तिष्क द्वारा सोचे गए कार्य को दूसरे मस्तिष्क द्वारा हकीकत में बदलता हुआ देखना बहुत ही रोमांचक अनुभव था। फिलहाल सूचना का यह प्रवाह उनके मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क तक ही सीमित था। हम एक मस्तिष्क के ज्ञान को सीधे दूसरे मस्तिष्क में संप्रेषित करना चाहते हैं। भविष्य में यह टेक्नोलॉजी कई तरह से मददगार हो सकती है। मसलन उड़ान के दौरान विमान के पायलट के अचानक बीमार पड़ने पर जमीन से ही मस्तिष्क संदेश भेज कर फ्लाइट अटेंडेंट या यात्री की मदद से विमान को नीचे उतारा जा सकता है। इसी तरह विभिन्न अपंगताओं से पीड़ित व्यक्ति पानी या भोजन आदि की इच्छा संप्रेषित कर सकता है। दो व्यक्तियों की भाषाएं अलग-अलग होने की स्थिति में भी उनके बीच भेजे जाने वाले मस्तिष्क संदेश काम करेंगे।

राव और स्टोको की अगली योजना एक ऐसा प्रयोग करने की है, जिसमें एक मस्तिष्क से दूसरे मस्तिष्क के बीच ज्यादा जटिल सूचनाएं संप्रेषित की जाएंगी। यदि यह प्रयोग सफल रहा तो ज्यादा लोगों पर इस टेक्नोलॉजी को आज़माया जाएगा। राव ने इस टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग की संभावनाओं को नकार दिया है। उनका कहना है कि इस टेक्नोलॉजी में सिर्फ साधारण मस्तिष्क संकेतों की आवश्यकता पड़ती है। इसमें मनुष्य के विचारों की जरूरत नहीं पड़ती। यह आपको किसी व्यक्ति की इच्छा के बगैर उसके कार्यों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं बनाती।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
 

Path Alias

/articles/maanava-masataisakaon-maen-sancaara-sanparaka

Post By: Hindi
×