‘माई विलेज माई प्राइड’ अभियान में गाँवों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताएँ जैसे ओडीएफ जागरुकता तथा ठोस कचरा अलग करना भी होती हैं, प्रातः निगरानी, स्वच्छता अभियान, महिला मोहल्ला, सोक पिट जागरूकता तथा ठोस कचरा अलग करना भी होता हैं। जिला, ब्लॉक और राज्य स्तरों पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले समूहों को पुरस्कार दिये जाएँगे।
उत्तरी राज्य पंजाब ने ‘माई विलेज माई प्राइड’ अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्त (ODF) दर्जा बनाए रखने के लिये ओडीएफ सस्टेनेबिलिटी एप लांच किया है। एेसा एप लाने वाला पंजाब पहला राज्य है। सस्टेनेबिलिटी अनूठा एप है, जिसमें सफाई तथा संवहनीयता से जुड़े सभी मानक शामिल हैं।
सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री तैयार करने की जिम्मेदारी देखने वाले उपमण्डलीय अभियंता श्री सर्बजीत सिंह ने बताया, ‘एप खुद को चुनौती देने के लिये और ओडीएफ दर्जा बनाए रखने के लिये तैयार किया गया था।’
एप की विशेषताएँ
1. इसमें खुले में शौच के सम्बन्ध में अॉनलाइन शिकायत करने की सुविधा है, जिससे राज्य का ओडीएफ दर्जा बनाए रखने में सहायता मिलेगी। क्षेत्र में किसी को खुले में शौच करते देखकर समुदाय का कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज कराने के लिये मोबाइल एप का इस्तेमाल कर सकता है।
2. शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की प्रगति भी जान सकता है। एप का उद्देश्य शिकायत दर्ज कर लेना भर नहीं है बल्कि उनका समाधान प्रदान करना भी है। एप पर शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की स्थिति देख सकता है और पता कर सकता है कि उसका निराकरण किया गया अथवा नहीं।
3. समुदाय का कोई भी व्यक्ति यदि किसी कारण कार्यक्रम से छूट गया है और शौचालय नहीं बनवा पाया है तो वह एप के जरिए शौचालय एप्लिकेशन पर जा सकता है। अपनी अर्हता की अॉनलाइन जाँच करने के बाद वे आवेदन-पत्र भर सकते हैं और बाद में आवेदन की प्रगति जाँच सकते हैं और देख सकते हैं कि उनका आवेदन किस चरण पर रुका है।
4. ‘माई विलेज माई प्राइड’ लोगों को स्वच्छता के महत्त्व का भान कराने और लोगों की सहभागिता के जरिए इसे जन-आन्दोलन बनाने के उद्देश्य से आरम्भ किया गया अनूठा कार्यक्रम है। सभी व्यक्तियों एवं समुदाय को प्रभावित करने वालों जैसे युवा क्लब, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), स्वयंसेवी समूह, महिला समूह तथा गैर-सरकारी संगठनों को कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता दिया गया है। उन्हें केवल एक गाँव गोद लेना है और उस गाँव में पहले से निर्धारित गतिविधियाँ करनी हैं। उसके बाद उन्हें मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर अपनी गतिविधियों की तत्काल सूचना देनी है। प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा उनके प्रदर्शन के अनुसार पुरस्कार दिये जाएँगे।
5. चूँकि स्वच्छ भारत मिशन- (ग्रामीण) के अन्तर्गत निर्मित सभी शौचालयों की जियो-टैगिंग होती है, इसलिये अब तक बने सभी शौचालयों को मोबाइल एप्लिकेशन इस्तेमाल कर गूगल मैप पर देखा जा सकता है। इस सुविधा से लोग अपने गाँवों में बने शौचाल देख सकते हैं।
6. साथ ही एप में सोशल मीडिया कॉर्नर और स्वच्छता गैलरी भी है, जहाँ सूचना, शिक्षा और संचार से जुड़ी सभी सामग्री देखी जा सकती है।
जागरुकता स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018 को जन-आन्दोलन बनाने तथा लोगों की प्रतिभागिता बढ़ाने की दृष्टि से आईसी सामग्री को क्षेत्रीय भाषा यानी पंजाबी में तैयार किया गया है। समुदाय को उनके जिलों की रैंकिंग के बारे में बताने के लिये और उनके गाँवों तथा वातावरण को स्वच्छ रखने का महत्त्व समझाने के लिये इसमें ब्रॉशर, पैंपलेट, बैनर तथा जिंगल शामिल हैं।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने गुणात्मक एवं मात्रात्मक स्वच्छता मानकों के आधार पर भारत के सभी जिलों की रैंकिंग तैयार करने के लिये एक स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी के जरिए ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2018’ (एसएसजी-2018) आरम्भ किया। यह रैंकिंग स्कूलों, आँगनवाड़ियों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, हाट बाजारों, पंचायतों जैसे सार्वजनिक स्थलों के जिला-स्तरीय सर्वेक्षण एवं स्वच्छता के विषय में नागरिकों की धारणा तथा कार्यक्रम को बेहतर करने की उनकी सिफारिशों एवं स्वच्छ भारत अभियान- (ग्रामीण) से मिले आँकड़ों समेत मानकों के एक समग्र समूह पर आधारित होगी। सर्वेक्षण के अंतर्गत राज्यों और जिलों को स्वच्छता एवं सफाई की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाएगी। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों एवं जिलों को 2 अक्टूबर, 2018 को पुरस्कृत किया जाएगा।
मिशन स्वच्छ पंजाब स्वच्छता सेवा के स्तरों में सुधार कर स्वच्छ एवं स्वस्थ राज्य का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये, स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये चलाया जा रहा जनांदोलन है ताकि लोग सभी गाँवों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता भी बरकरार रख सकें।
पंजाब के जल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले राज्य के सभी गाँव खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिये गए हैं। गाँव का ओडीएफ सत्यापन अभी जारी है।
स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षुओं ने गाँव को संवारा
मणिपुर प्रबन्धन अध्ययन संस्थान के स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षुओं ने इम्फाल पश्चिम के क्यामगेई गाँव में पिछले तीन महीनों में स्वच्छता से जुड़े विभिन्न कार्यों को अन्जाम दिया। इम्फाल पश्चिम की जिला स्वच्छ भारत प्रेरक रोमिला अखाम ने इन प्रशिक्षुओं के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थान के सात युवाओं ने स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षु बनने के लिये अपना नाम दर्ज कराया था। इन सातों ने मिलकर इम्फाल पश्चिम जिले के समूचे क्यामगेई गाँव की सफाई की। उन्होेंने स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये ग्रामीणों से विस्तृत बातचीत करने के अलावा ठोस कचरे को अलग किया और नालियों की सफाई की।
इन युवाओं ने स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये स्कूलों का दौरा किया। उन्होंने दीवारों पर सफाई से सम्बन्धित सन्देश पेंट किये और स्वच्छता मेला का आयोजन भी किया। उन्होंने बच्चों को हाथ धोने और माहवारी के दौरान स्वच्छता के महत्त्व के बारे में बताया। उनके इन कार्यों से स्कूली छात्रों को अपनी शंकाओं के निवारण का अवसर मिला। प्रशिक्षुओं ने अपने प्रशिक्षणकाल में घरों से कचरा इकट्ठा करने के लिये एक ट्रक का भी इन्तजाम कर लिया।
उनके प्रयासों से समूचे गाँव की रंगत बदल गई। प्रशिक्षुओं के स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के प्रयासों का ग्रामीणों और स्थानीय युवा क्लबों के सदस्यों पर जबरदस्त असर हुआ। उन्होंने इन युवाओं से प्रेरणा लेकर गाँव की सफाई में पूरे मनोयोग से शिरकत की। उन्होंने प्रशिक्षुओं और स्कूली बच्चों के साथ मिलकर गलियों को साफ किया तथा जैविक और बाकी कचरे को सही ढंग से अलग करने में भी हाथ बटाया। इस दौरान बच्चों को भोजन से पहले और शौच के बाद हाथ धोने के सही तरीके के बारे में बताया गया। समूचे प्रशिक्षणकाल के दौरान इन प्रशिक्षुओं ने घरों से कचरा उठाया।
ग्राम पंचायत और स्थानीय क्लबों ने भी प्रशिक्षुओं के साथ पूरा सहयोग करते हुए इन्हें हर जरूरी चीज मुहैया कराई। प्रशिक्षुओं ने उम्मीद जतायी कि ग्रामीण अपना उत्साह बरकरार रखते हुए गाँव की सफाई जारी रखेंगे। उन्होंने एक फुटबाल मैच का आयोजन भी किया जिसमें ग्रामीणों ने पूरे जोशोखरोश के साथ हिस्सा लिया। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने देश के युवाओं को साफ-सफाई के काम से जोड़ने के लिये एक मई से 31 जुलाई, 2018 तक स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप (एसबीएसआई) का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का मकसद युवाओं में स्वच्छता सम्बन्धी कार्यों के लिये कौशल और रूझान का विकास करना था। एसबीएसआई में भाग लेने वाले हर छात्र के इस दौरान स्वच्छता से सम्बन्धित गतिविधियों पर 100 घंटे लगाने थे। एसबीएसआई से देशभर के युवाओं को स्वच्छता क्रान्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान करने का मौका मिला। इस कार्यक्रम का लक्ष्य महात्मा गाँधी के 150वें जन्मदिवस से पहले युवाओं को ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक सेवा से जोड़ना था।
उत्तरी राज्य पंजाब ने ‘माई विलेज माई प्राइड’ अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्त (ODF) दर्जा बनाए रखने के लिये ओडीएफ सस्टेनेबिलिटी एप लांच किया है। एेसा एप लाने वाला पंजाब पहला राज्य है। सस्टेनेबिलिटी अनूठा एप है, जिसमें सफाई तथा संवहनीयता से जुड़े सभी मानक शामिल हैं।
सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री तैयार करने की जिम्मेदारी देखने वाले उपमण्डलीय अभियंता श्री सर्बजीत सिंह ने बताया, ‘एप खुद को चुनौती देने के लिये और ओडीएफ दर्जा बनाए रखने के लिये तैयार किया गया था।’
एप की विशेषताएँ
1. इसमें खुले में शौच के सम्बन्ध में अॉनलाइन शिकायत करने की सुविधा है, जिससे राज्य का ओडीएफ दर्जा बनाए रखने में सहायता मिलेगी। क्षेत्र में किसी को खुले में शौच करते देखकर समुदाय का कोई भी व्यक्ति शिकायत दर्ज कराने के लिये मोबाइल एप का इस्तेमाल कर सकता है।
2. शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की प्रगति भी जान सकता है। एप का उद्देश्य शिकायत दर्ज कर लेना भर नहीं है बल्कि उनका समाधान प्रदान करना भी है। एप पर शिकायतकर्ता अपनी शिकायत की स्थिति देख सकता है और पता कर सकता है कि उसका निराकरण किया गया अथवा नहीं।
3. समुदाय का कोई भी व्यक्ति यदि किसी कारण कार्यक्रम से छूट गया है और शौचालय नहीं बनवा पाया है तो वह एप के जरिए शौचालय एप्लिकेशन पर जा सकता है। अपनी अर्हता की अॉनलाइन जाँच करने के बाद वे आवेदन-पत्र भर सकते हैं और बाद में आवेदन की प्रगति जाँच सकते हैं और देख सकते हैं कि उनका आवेदन किस चरण पर रुका है।
4. ‘माई विलेज माई प्राइड’ लोगों को स्वच्छता के महत्त्व का भान कराने और लोगों की सहभागिता के जरिए इसे जन-आन्दोलन बनाने के उद्देश्य से आरम्भ किया गया अनूठा कार्यक्रम है। सभी व्यक्तियों एवं समुदाय को प्रभावित करने वालों जैसे युवा क्लब, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), स्वयंसेवी समूह, महिला समूह तथा गैर-सरकारी संगठनों को कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता दिया गया है। उन्हें केवल एक गाँव गोद लेना है और उस गाँव में पहले से निर्धारित गतिविधियाँ करनी हैं। उसके बाद उन्हें मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर अपनी गतिविधियों की तत्काल सूचना देनी है। प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा तथा उनके प्रदर्शन के अनुसार पुरस्कार दिये जाएँगे।
5. चूँकि स्वच्छ भारत मिशन- (ग्रामीण) के अन्तर्गत निर्मित सभी शौचालयों की जियो-टैगिंग होती है, इसलिये अब तक बने सभी शौचालयों को मोबाइल एप्लिकेशन इस्तेमाल कर गूगल मैप पर देखा जा सकता है। इस सुविधा से लोग अपने गाँवों में बने शौचाल देख सकते हैं।
6. साथ ही एप में सोशल मीडिया कॉर्नर और स्वच्छता गैलरी भी है, जहाँ सूचना, शिक्षा और संचार से जुड़ी सभी सामग्री देखी जा सकती है।
जागरुकता स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण 2018 को जन-आन्दोलन बनाने तथा लोगों की प्रतिभागिता बढ़ाने की दृष्टि से आईसी सामग्री को क्षेत्रीय भाषा यानी पंजाबी में तैयार किया गया है। समुदाय को उनके जिलों की रैंकिंग के बारे में बताने के लिये और उनके गाँवों तथा वातावरण को स्वच्छ रखने का महत्त्व समझाने के लिये इसमें ब्रॉशर, पैंपलेट, बैनर तथा जिंगल शामिल हैं।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने गुणात्मक एवं मात्रात्मक स्वच्छता मानकों के आधार पर भारत के सभी जिलों की रैंकिंग तैयार करने के लिये एक स्वतंत्र सर्वेक्षण एजेंसी के जरिए ‘स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण-2018’ (एसएसजी-2018) आरम्भ किया। यह रैंकिंग स्कूलों, आँगनवाड़ियों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, हाट बाजारों, पंचायतों जैसे सार्वजनिक स्थलों के जिला-स्तरीय सर्वेक्षण एवं स्वच्छता के विषय में नागरिकों की धारणा तथा कार्यक्रम को बेहतर करने की उनकी सिफारिशों एवं स्वच्छ भारत अभियान- (ग्रामीण) से मिले आँकड़ों समेत मानकों के एक समग्र समूह पर आधारित होगी। सर्वेक्षण के अंतर्गत राज्यों और जिलों को स्वच्छता एवं सफाई की स्थिति के आधार पर रैंकिंग प्रदान की जाएगी। शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्यों एवं जिलों को 2 अक्टूबर, 2018 को पुरस्कृत किया जाएगा।
मिशन स्वच्छ पंजाब स्वच्छता सेवा के स्तरों में सुधार कर स्वच्छ एवं स्वस्थ राज्य का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये, स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये चलाया जा रहा जनांदोलन है ताकि लोग सभी गाँवों को खुले में शौच से मुक्त बनाने के साथ ही व्यक्तिगत स्वच्छता भी बरकरार रख सकें।
पंजाब के जल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले राज्य के सभी गाँव खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिये गए हैं। गाँव का ओडीएफ सत्यापन अभी जारी है।
स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षुओं ने गाँव को संवारा
मणिपुर प्रबन्धन अध्ययन संस्थान के स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षुओं ने इम्फाल पश्चिम के क्यामगेई गाँव में पिछले तीन महीनों में स्वच्छता से जुड़े विभिन्न कार्यों को अन्जाम दिया। इम्फाल पश्चिम की जिला स्वच्छ भारत प्रेरक रोमिला अखाम ने इन प्रशिक्षुओं के कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थान के सात युवाओं ने स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षु बनने के लिये अपना नाम दर्ज कराया था। इन सातों ने मिलकर इम्फाल पश्चिम जिले के समूचे क्यामगेई गाँव की सफाई की। उन्होेंने स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये ग्रामीणों से विस्तृत बातचीत करने के अलावा ठोस कचरे को अलग किया और नालियों की सफाई की।
इन युवाओं ने स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिये स्कूलों का दौरा किया। उन्होंने दीवारों पर सफाई से सम्बन्धित सन्देश पेंट किये और स्वच्छता मेला का आयोजन भी किया। उन्होंने बच्चों को हाथ धोने और माहवारी के दौरान स्वच्छता के महत्त्व के बारे में बताया। उनके इन कार्यों से स्कूली छात्रों को अपनी शंकाओं के निवारण का अवसर मिला। प्रशिक्षुओं ने अपने प्रशिक्षणकाल में घरों से कचरा इकट्ठा करने के लिये एक ट्रक का भी इन्तजाम कर लिया।
उनके प्रयासों से समूचे गाँव की रंगत बदल गई। प्रशिक्षुओं के स्वच्छता और साफ-सफाई के प्रति जागरूकता फैलाने के प्रयासों का ग्रामीणों और स्थानीय युवा क्लबों के सदस्यों पर जबरदस्त असर हुआ। उन्होंने इन युवाओं से प्रेरणा लेकर गाँव की सफाई में पूरे मनोयोग से शिरकत की। उन्होंने प्रशिक्षुओं और स्कूली बच्चों के साथ मिलकर गलियों को साफ किया तथा जैविक और बाकी कचरे को सही ढंग से अलग करने में भी हाथ बटाया। इस दौरान बच्चों को भोजन से पहले और शौच के बाद हाथ धोने के सही तरीके के बारे में बताया गया। समूचे प्रशिक्षणकाल के दौरान इन प्रशिक्षुओं ने घरों से कचरा उठाया।
ग्राम पंचायत और स्थानीय क्लबों ने भी प्रशिक्षुओं के साथ पूरा सहयोग करते हुए इन्हें हर जरूरी चीज मुहैया कराई। प्रशिक्षुओं ने उम्मीद जतायी कि ग्रामीण अपना उत्साह बरकरार रखते हुए गाँव की सफाई जारी रखेंगे। उन्होंने एक फुटबाल मैच का आयोजन भी किया जिसमें ग्रामीणों ने पूरे जोशोखरोश के साथ हिस्सा लिया। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने देश के युवाओं को साफ-सफाई के काम से जोड़ने के लिये एक मई से 31 जुलाई, 2018 तक स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप (एसबीएसआई) का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का मकसद युवाओं में स्वच्छता सम्बन्धी कार्यों के लिये कौशल और रूझान का विकास करना था। एसबीएसआई में भाग लेने वाले हर छात्र के इस दौरान स्वच्छता से सम्बन्धित गतिविधियों पर 100 घंटे लगाने थे। एसबीएसआई से देशभर के युवाओं को स्वच्छता क्रान्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान करने का मौका मिला। इस कार्यक्रम का लक्ष्य महात्मा गाँधी के 150वें जन्मदिवस से पहले युवाओं को ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक सेवा से जोड़ना था।
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