लम्बे लम्बे कान। और ढीला मुतान।।
छोड़ो छोड़ो किसान। न तो जात हैं प्रान।।
भावार्थ- घाघ का मानना है कि जिस बैल के कान लम्बे हों, पेशाब की इन्द्रिय झूलती हुई हो, हे किसान! उसे जल्दी से हटा दो, नहीं तो तुम्हारे प्राण ले लेगा।
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