लीकेज बंद हो जाएं तो हर घर को मिलेगा पर्याप्त पानी

पानी की खूब बर्बादी की जा रही है।
पानी की खूब बर्बादी की जा रही है।

देहरादून शहर में पानी की पुरानी लाइनें जल संस्थान के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत का करण बनी हुई हैं। पानी तो उपलब्ध है, मगर वह उपभोक्ताओं  तक पहुंचते हुए रास्ते में ही लीक हो जाता है। लीकेज बंद हो जाए तो हर घर को पर्याप्त पानी मिल सकेगा।
शहर में हर दिन करीब 223.59 एमएलडी पानी वितरण के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। जिसमें करीब बीस फीसदी पानी यूं ही बर्बाद हो जाता है। डालनवाला, झंडा बाजार, चाटवाली गली, पलटन बाजार, घोसी गली, ईसी रोड, वसंत विहार, इंदिरानगर, निरंजनपुर, हरिद्वार बाईपास जैसे इलाकों में नई पुरानी अनके लाइनों में लीकेज की भरमार है। ऐसे में जो पानी उपभोक्ताओं को मिलना चाहिए, वो जमीन में गिरकर बर्बाद हो रहा है। इसके अलावा ट्यूबवेल और ओवरहेड टैंक में बेवजह दूरी के कारण भी पानी को अधिक दूरी तक पहुंचाया जाता है। इससे भी पानी की बर्बादी होती है।

शहर में कई जगह ऐसी भी हैं जहां ओवरहेड टैंक पुराने हो चुके हैं और उन्हें मरम्मत की जरूरत है। खुड़बुड़ा, दून अस्पताल, परेड ग्राउंड, चंदरनगर जैसी जगहों में स्थित पानी के टैंकों से निरंतर पानी टपकता रहता है। ये पानी भी बेकार जाता है। डालनवाला की बात करें तो यहां सर्कुलर रोड, बलबीर रोड, म्यूनिसिपल रोड, कर्जन रोड, वेल्हम ब्वाइज स्कूल के सामने, तेजबहादुर रोड, प्रीतम रोड, मोहिनी रोड़ पर सत्तर से अधिक स्थानों पर लीकेज हैं। नेहरु काॅलोनी से सर्वे चौक आने वाली पानी की मुख्य लाइन पर भी लीकेज  हैं।
डालनवाला वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष महेश भंडारी के अनुसार इन लाइनों को संबंधित विभाग लगातार ठीक करवाता है, लेकिन लगातार यातायात चलने के कारण इन लाइनों में दोबारा लीकेज उभर आता है। चकराता रोड स्थित किशनगर चौक पर तीन स्थानों पर आठ इंच लाइन में लीकेज जल संस्थान के लिए लगातार मुसीबत बना हुआ है। पानी लीक होने का कारण बार बार सड़कों की खुदाई प्रमुख कारण है। 

गढ़वाल से कुमाऊं तक पेयजल संकट

गढ़वाल से लेकर कुमाऊँ मंडल के शहर, गांवों में पानी का गंभीर संकट बना हुआ है। विभाग हर बार की तरह पानी के टैंकरों और जल्द बरसात की उम्मीद पालने तक सीमित है। शिकायतों का आंकड़ा एक हजार के पार  पहुंच गया है। पेयजल संकट को लेकर बसे खराब स्थिति चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोडा, पौडी, हल्द्वानी, रामनगर, रानीखेत, डीडीहाट और बागेश्वर क्षेत्र की है। जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक सुधीर शर्मा कहते हैं, जंगलों की आग लगने और अन्य दूसरे कारणों से स्त्रोतों में पानी कम हुआ है। इस कारण पर्वतीय क्षेत्रों  में कहीं आंशिक दिक्कतें सामने आई हैं। शहरों में सामने आ रही शिकायतें तेजी से निस्तारित हो रही हैं। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टैंकरों से सप्लाई  जारी है।

राज्य के 75 शहरों में पर्याप्त पानी नहीं

पेयजल संकट सिर्फ गांव में ही नहीं है, बल्कि राज्य के 75 ऐसे शहरी क्षेत्र भी है, जहां शहरी मानकों के अनुरूप पानी नहीं मिलता। शहरों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 135 लीटर से कम पानी सप्लाई नहीं होना चाहिए। इस मामले में सिर्फ 17 ही शहर ऐसे हैं, जहां पानी 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन के अनुरूप सप्लाई होता है। राज्य में पांच सालों में 3256 ग्रामीण बसावटों तक पानी पहुंचाया गया। हालारंकि चौंकाने वाली बात ये है कि इन पांचों सालों में  6917 ऐसे बसावटें रही, जहां पहले पर्याप्त पानी था, लेकिन अब ये संकटग्रस्त की श्रेणी में आ गई हैं।

देहरादून में पानी स्थिति

कुल उपभोक्ता -  1.80 लाख
पानी की कुल मांग - 279 एमएलडी
कुल उपलब्धता - 223.59 एमएलडी
कुल कमी - 55.41 एमएलडी
ट्यूबवैल से - 203.59 एमएलडी
पेयजल स्त्रोत से - 28 एमएलडी
ट्यूबवेल - 208
हैंडपंप - 170
प्राकृतिक स्त्रोत - 14
ओवरहेड टैंक - 126

 

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