अगर आप सागर की गहराई को नापना चाहते हैं और जलीय जीव-जन्तु के बारे में जानने को इच्छुक है तो मरीन साइंस के क्षेत्र में कॅरियर की बेहतर संभावनाएं उपलब्ध है। रोमांच से भरपूर इस क्षेत्र में हर दिन आपको नई जानकारी मिलेगी। साथ ही इंसानों से अलग एक नई दुनिया के रहस्य को जानने का मौका भी। वर्तमान समय में बदलते पर्यावरण में उत्पन्न विपरीत स्थितियों की वजह से समुद्रों में रह रहे जीवों पर अध्ययन की काफी जरूरत पड़ती है, जिस वजह से मरीन साइंस विशेषज्ञों की मांग दिनों दिन बढ़ रही है।
यह है सिलेबस
मरीन साइंस के तहत तीन क्षेत्र मरीन बायोलॉजी, ओशियनोग्राफी और ओशियन इंजीनियरिंग में काम करने की सम्भावनाएं ज्यादा होती हैं। मरीन बायोलॉजी के तहत स्टूडेंट्स को समुद्रों के अंदर रहने वाले जीवन जैसे जीव-जन्तु, उनकी प्रजातियां, प्लांट्स, वातावरण आदि पर अध्ययन करना होता है। इसमें अध्ययन के दौरान ही स्टूडेंट्स को पानी में विभिन्न चीजों को समझने, अध्ययन करने की ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं ओशियनोग्राफी में पानी के अन्दर ऊर्जा स्त्रोतों, वहां के पर्यावरण, पानी के अंदार होने वाली भौतिक और रासायनिक क्रियाएं आदि पर अध्ययन कराया जाता है। ओशियन इंजीनियरिंग के तहत अध्ययन में उपयोग होने वाले इक्यूपमेंट्स के निर्माण व उपयोग के बारे में सिखाया जाता है।
यहां से करें, योग्यता
इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए स्टूडेंट्स के पास बॉयोलॉजिस्ट, कैमिस्ट, जियोलॉजिस्ट, बायोलॉजिकल टेक्निशियन और कैमिकल टेक्निशियन आदि में बीएस, एमएस, पीएचडी डिग्री कोर्स होना जरूरी है। नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट अहमदाबाद, इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ ट्रॉपिकल मैट्रियोलॉजी पुणे, नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ ओशियनोग्राफी गोवा, जनीयता कॉलेज इंडिया मरीन साइंस इंस्टीट्यूट से मरीन साइंस और सम्बंधित कोर्स में अध्ययन किया जा सकता है।
ढेरों हैं अवसर
समुद्रों में पर्यावरण के आते परिवर्तन मनुष्य और पारिस्थितिक तंत्र को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। ऐसे में सरकार भी इन रिसर्च में पूरा सहयोग करती हैं। अमेरिकन जू एंड इक्वेरियम एसोसिएशन से जुड़कर इस फील्ड काम करने के अच्छे अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं। इसके अलावा मरीन साइंस के अध्ययन के बाद युवा मरीन एजुकेटर, साइंस राइटर, फिल्म मेकर, फोटोग्राफर, ईकोटूरिज्म गाइड, पार्क रेंजर, बीच सुरपरिटेंडेंट आदि क्षेत्रों में भी जॉब पा सकते हैं।
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