पृथ्वी और इंसान के जीवन में पर्यावरण के समान किसी भी वस्तु की उपयोगिता नहीं है। मानव सहित धरती पर हर जीव को जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रत्येक वस्तु प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण से ही प्राप्त होती है। यहां तक कि मरणोपरांत इंसान मिट्टी में मिलकर पर्यावरण के ही एक हिस्से के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए पर्यावरण को ही जीवन कहा गया है और पर्यावरण संरक्षण के प्रति हर व्यक्ति के कुछ कर्तव्य हैं। इन कर्तव्यों का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को संरक्षित करना होता है, बल्कि जीवन की रक्षा करना भी है, लेकिन अपने कर्तव्य के प्रति इंसान आंखें मूंदे हुए हैं या गहरी नींद में सोया हुआ है। परिणामस्वरूप, पर्यावरण दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन विश्वभर में विनाशकारी तांडव मचा रहा है। ऐसे में लोगों को गहरी नींद से जगाने के लिए ब्रिटेन के 50 वर्षीय तैराक लेविस पुग ने अंटार्कटिका की पिघलती बर्फ के पानी में तैराकी कर लोगों को नींद से जगाते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
लेविस पुग का जन्म पांच दिसंबर 1969 को इंग्लैंड के प्लाईमाउथ में हुआ था। बचपन से ही पर्यावरण के प्रति काफी लगाव होने के साथ ही तैराकी में काफी रूचि थी। अपनी इस रूचि को जीवन का अहम हिस्सा बनाया और वर्ष 1986 में पहली बार 17 वर्ष की आयु में तैराकी की। इसी के एक महीने बाद पुग ने राॅबेल आइलैंड से केपटाउन तक तैराकी की थी। राॅबेल वही आइलैंड है, जहां नेल्सन मंडेला जेल में कैद थे। 1992 में इंग्लिश चैनल को तैर कर पार करने के बाद पुग ने तैराकी के प्रति अपने जुनून को जारी रखा और वर्ष 2002 में राॅबेन आइलैंड के आसपास सबसे तेजी से तैराकी करने का रिकाॅर्ड बनाया। यही नहीं पुग दुनिया की चैथी सबसे साफ पानी वाली अफ्रीकी झील लेक मालवी में तैरने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति हैं।
आर्कटिक में पिघल रही बर्फ के बारे में लोगों को बताने के लिए पुग ने वर्ष 2007 में पहली बार उत्तरी ध्रुव के नाॅर्थ पोल में तैराकी की थी। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 2010 में माउंट एवरेस्ट के ग्लेशियल लेक में तैराकी कर बताया कि किसी प्रकार हिमालय के ग्लेशियर वाले क्षेत्र पिघल रहे हैं। अपने इन ऐतिहासिक कारनामों के लिए पुग को कई दफा विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 2010 में वल्र्ड इकोनाॅमिक फोरम ने यंग ग्लोबल लीडर घोषित किया था। वहीं वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र ने ‘‘यूएन पैट्रन ऑफ द ओसन्स’’ नामित किया। फिलहाल पुग यूनिवर्सिटी ऑफ केप टाउन में इंटरनेशनल लाॅ के प्रोफेसर हैं और बेहतरीन तैराक होने के कारण इन्हें ‘‘ओसन एडवोकेट’’ भी कहा जाता है। दरअसल सर एडमंड हिलेरी दुनिया के सभी सागरों में तैराकी करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिस कारण पुग को ‘‘सर एडमंड हिलेरी’’ भी कहा जाता है। हालाकि पुग की तैराकी अभी भी जारी है और उन्होंने वर्ष 2018 में इंग्लिश चैनल को तैरकर पार करके ये संदेश दिया था कि वर्ष 2030 तक दुनिया के 30 प्रतिशत सागरों को सुरक्षित करना होगा।
हाल ही में पुग ने एक और कारनामा कर दिया और अंटार्कटिका महाद्वीप के नीचे बह रही नदी में तैराकी कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। तैराकी करने के दौरान वहा तापमान 0 डिग्री से भी कम था। इस कार्य में फ्रेंच के एक पर्वतारोही फिलिप बार्थेज ने तैरने के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने में उनकी सहायता की, क्योंकि अंटार्कटिका में बर्फ लगातार पिघलती रहती है, जिससे कभी जलस्तर बढ़ जाता है। साथ ही बर्फ की विशाल चादर टूट कर गिरने का भी डर रहता है। हालाकि उन्हें उचित स्थान मिला और उन्होंने एक नया कीर्तिमान स्थापित करने जलवायु परिवर्तन के प्रति लोगों को सचेत किया।
I am going down one of these rivers UNDER the Antarctic ice sheet to see whether it MAY be swimmable. Water is just above 0 degrees C. #Antarctica2020 pic.twitter.com/hsqrwPv9uG
— Lewis Pugh (@LewisPugh) January 20, 2020
“There is always a promised land. One just needs to find it.” @LewisPugh is off in search of consensus on an East Antarctic marine protected area. And it’ll takes a lot more than icy waters to stop him. More: https://t.co/Fk6ETN6AlX #CCAMLR #MPA pic.twitter.com/UYYoyohOOS
— Pew Environment (@pewenvironment) January 21, 2020
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