भारत में जल संकट एक गंभीर समस्या है। देश को कोई भी राज्य इससे अछूता नहीं है। उत्तर भारत में जल संकट भीषण दौर में है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, चेन्नई, दिल्ली सहित विभिन्न प्रदेशों में गर्मियां शुरु होते ही जल संकट का असल दिखने लगा है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण लाॅकडाउन ने विभिन्न स्थानों पर पानी की मांग को बढ़ा दिया है। मध्यप्रदेश से खबर आई थी कि यहां 100 से ज्यादा निकायों में जल संकट खड़ा हो गया है। 70 निकायों को हर तीसरे दिन पानी दिया जा रहा है। तो वहीं पानी की किल्लत दूर करने के लिए कर्नाटक में प्राथमिक स्कूल के चार बच्चों ने कुआं खोद दिया था। कुआं खोदने की ऐसी ही घटना महाराष्ट्र में भी हुई। स्पष्ट कहें तो विभिन्न स्थानों पर जल संकट की समस्या लाॅकडाउन में ही शुरु हो गई है, लेकिन विश्व की अध्यात्मिक नगरी ‘हरिद्वार’ शहर में पानी की मांग कम हुई है। जिससे पहले की अपेक्षा भूजल दोहन में भी गिरावट आई है।
हरिद्वार शहर (ज्वालापुर, रानीपुर, हरकी पैड़ी, ऋषिकेश, कनखल आदि) की जनसंख्या 2 से 2.5 लाख के बीच है। 2 लाख के करीब पर्यटक भी रोजाना हरिद्वार आते हैं। विभिन्न पर्व त्योहारों के दौरान पर्यटकों की संख्या 1 करोड़ तक पहुंच जाती है। इस पूरे इलाके में आम दिनों में करीब 100 एमएलडी पानी सप्लाई किया जाता है। जिसके लिए जल निगम को 20 से 22 घंटे तक मोटर चलानी पड़ती है। ये सारा पानी भूजल ही है, यानी जमीन के नीचे से खींचा जाता है, लेकिन 22 मार्च से चले रहे लाॅकडाउन के चलते पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। विभिन्न उद्योग और स्कूल आदि बंद हैं। जिस कारण पानी की मांग काफी कम हुई है। एक प्रकार से पानी का व्यावसायिक प्रतिष्ठानों (होटल आदि) में पानी का उपयोग नहीं हो रहा है, केवल घरों में की पानी की उपयोग किया जा रहा है। जल निगम के अधिशासी अभियंता मोहम्मद मीशम ने बताया कि ‘‘लाॅकडाउन के कारण पानी की मांग घटी है। मोटर भी अब करीब 16 घंटे ही चलानी पड़ती है। पानी की मांग करीब 15 एलएलडी कम हुई है।’’
हिमांशु भट्ट (8057170025)
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