दस्यु संरक्षण के लिए कुख्यात रही चंबल की वादी की तस्वीर बदलने के लिए की जा रही कवायद का एक हिस्सा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रकृति की तमाम अद्भुत धरोहरों को अपने आगोश में समाने वाली इन्हीं वादियों को देशी व विदेशी सैलानियों के अंतःमन में रम चुकी कुख्यात चंबल घाटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात करने का प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से करने की कोशिश की जा रही है। पर्यटक चंबल की घाटी में संरक्षित दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीवों के दीदार तो कर ही सकेंगे अपितु मिट्टी के पहाड़ों को देख रोमांचित हो सकते हैं। कुख्यात चंबल को विख्यात करने का सपना मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने देखा है जो अकेले लायन सफारी के जरिए पूरा होने वाला नहीं है इसी कारण मुख्यमंत्री ने अपने जिले इटावा को पर्यटन हब बनाने की मुहिम शुरू करवा दी है। कभी डाकुओं के लिए कुख्यात रही चंबल की वादियो को अब पर्यटन केंद्र के तौर पर स्थापित किया जाएगा ताकि लायन सफारी के महत्व बरकरार रह सके।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले इटावा को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। इटावा को दिल्ली-आगरा-ग्वालियर के पर्यटन सर्किट से जोड़ने के लिए डॉ. मंजुला चौधरी, डायरेक्टर ,आई. आई. टी. टी. एम. ने जिलाधिकारी पी. गुरूप्रसाद सहित पर्यटक की एक्सपर्ट टीम के साथ जनपद के विभिन्न स्थलों लायन सफारी, पचनदा, भरेह, ब्रह्माणी देवी, पिलुआ महावीर आदि स्थलों का प्रथम सर्वे किया गया। केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आईआईटीटीएम डायरेक्टर डा.मंजुला चौधरी ने अपनी टीम के अलावा वन विभाग के अलावा चंबल सेंचुरी के दर्जनों अफसरों की अगुवाई मे इटावा के लायन सफारी,पंचनदा,भरेह,पिलुआ मंदिर और ब्राह्माणी देवी मंदिर का प्रारंभिक सर्वे का किया गया। लायन सफारी के निरीक्षण के बाद पूरी टीम पंचनदा ,भरेह भी गई। पंचनदा से डा.मंजुला चौधरी सोसायटी फॉर कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान,डीपीएस स्कूल के डायरेक्टर विवेक यादव ने मोटर वोट के जरिए पंचनदा से भरेह तक का भ्रमण किया। चंबल में इस दौरान दुर्लभ डालफिन,घडियाल के अलावा दर्जनों मगरमच्छों को देखा गया। इस टीम के अलावा टीम के सदस्यों ने पिलुआ मंदिर,ब्राह्माणी देवी मंदिरों का भी भ्रमण किया।
सर्वेक्षण के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए डा. मंजुला चौधरी ने बताया कि चम्बल का बीहड़ दुनिया मे अनोखा है। पांच नदियों के संगम स्थल पंचनदा पर वाटर स्पोर्ट की संभावनाएं तलाशी जाएगी। चंबल के इस इलाके के ऐतिहासिक, धार्मिक, इकोलोजिकल पर्यटन को एक दूसरे से जोड़कर दिल्ली-आगरा-ग्वालियर के पर्यटन सर्किट से इटावा को जोड़ने का प्लान बनाया जाएगा। डॉ. मंजुला चौधरी बताती हैं कि यहां का चम्बल फारेस्ट ऐसा है जो विश्व में कही नहीं है। इसे टूरिस्ट की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। डॉ. मंजुला चौधरी ने बताती है कि पर्यटन क्रिया-कलापों में ऐसा प्रस्ताव किया जाएगा जिसमें ताकि स्थानीय लोगों की सहभागिता हो, यहॉ पर रोज़गार व आर्थिक मज़बूती बढ़े तथा पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। वे यह भी बताती है कि अभी पहला सर्वे किया गया है। कहां-कहां पर क्या-क्या कार्य हो सकते हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डॉ. मंजूला चौधरी का कहना है कि लायन सफारी टूरिस्टों के लिए यूनिक स्थल होगा। पर्यटन के ऐसे कार्य प्रस्ताव में रखे जाएंगे जिससे यहां आने वाला पर्यटक कम से कम एक रात्रि यहां ठहरे। इससे जनपद की आर्थिक स्थिति को लाभ होगा।
डॉ.मंजुला चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुये भ्रमण का हवाला देते हुए बताया कि लायन सफारी की शुरूआत के साथ ही चंबल में पर्यटकों की व्यापक संभावनाएं बड़े स्तर पर परिलक्षित हो रही है इसी आधार पर्यटन मंत्रालय की टीम की ओर से इटावा और आसपास के इलाके के सर्वेक्षण का काम शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि चंबल की टोपोग्राफी काफी बेहतर देखने मे लग रही है इसी आधार पर अब चंबल को पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा मे काम शुरू किया जा रहा है वैस लायन सफारी बनने के बाद एक बड़ा काम कर दिया गया क्योंकि गिर के अलावा देश मे शेरों की कोई दूसरी पनाहगाह नहीं है। चंबल की भौगोलिक स्थित पर्यटकों के लिए काफी बेहतर आंकी जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी इस बात पर अध्ययन किया जा रहा है कि आगरा,दिल्ली और ग्वालियर आने वाले पर्यटकों के लिए चंबल में इस कदर की पर्यटन के संभावनाएं हो सकती है इन्हीं सब बिंदुओं पर विशेषज्ञों के बीच विचार विमर्श होगा है। डॉ. मंजुला चौधरी कहती हैं कि पर्यटन क्रिया-कलापों में ऐसा प्रस्ताव किया जाएगा जिसमें ताकि स्थानीय लोगों की सहभागिता हो, यहॉ पर रोज़गार व आर्थिक मज़बूती बढ़े तथा पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। वे बताती है कि अभी पहला सर्वे किया गया है। कहां-कहां पर क्या-क्या कार्य हो सकते हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डॉ. मंजूला चौधरी का कहना है कि लायन सफारी टूरिस्टों के लिए यूनिक स्थल होगा। पर्यटन के ऐसे कार्य प्रस्ताव में रखे जाएंगे जिससे यहां आने वाला पर्यटक कम से कम एक रात्रि यहां ठहरे। इससे जनपद की आर्थिक स्थिति को लाभ होगा।
पर्यटन टीम के साथ भ्रमण पर गए इटावा के जिलाधिकारी पी.गुरूप्रसाद का कहना है कि इटावा के चंबल इलाके मे पर्यटन की बड़े स्तर पर संभावनाएं है इसी कारण लगातार सर्वे का काम जा रही है और निकट भविष्य मे पर्यटकों के लिए इटावा एक बेहतर स्थान होगा।
सर्वेक्षण टीम के साथ जिलाप्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर गए पर्यावरणीय संस्था के सचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि चंबल नदी में भ्रमण के दौरान देखे गए डालफिन, मगर और घड़ियाल से मंजुला चौधरी बेहद खुश हुई है जाहिर है कि यह बिंदु भी उनकी रिपोर्ट में होगा।
दस्यु संरक्षण के लिए कुख्यात रही चंबल की वादी की तस्वीर बदलने के लिए की जा रही कवायद का एक हिस्सा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रकृति की तमाम अद्भुत धरोहरों को अपने आगोश में समाने वाली इन्हीं वादियों को देशी व विदेशी सैलानियों के अंतःमन में रम चुकी कुख्यात चंबल घाटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात करने का प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से करने की कोशिश की जा रही है। पर्यटक चंबल की घाटी में संरक्षित दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीवों के दीदार तो कर ही सकेंगे अपितु मिट्टी के पहाड़ों को देख रोमांचित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव डाकुओं की पनाहगाह के तौर पर कुख्यात रही चंबल घाटी को बदलने की दिशा मे अपने प्रोजेक्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है। यहां सैलानी प्राकृतिक धरोहरों का लुफ्त उठा सकते हैं। सर्वेक्षण टीम अपने साथ अगली बार ट्रैनरों से रैकी ही कराएगी। चंबल ट्रेजर हंट, वाटर राइट्स, बनाना राइड, एलिगेटर एवं डॉल्फिन स्पॉटिंग, पैरासाइलिंग, हॉट एअर बैलूनिंग, रॉक क्लाइविंग एवं जॉर्बा वॉल जैसी व्यवस्था भी पर्यटकों के लिए शामिल कराई जा सकती है।
चंबल में बदलाव की यह बयार यदि कामयाब हो जाती है तो इसका न सिर्फ भिंड बल्कि इटावा, आगरा, मुरैना, धौलपुर की चंबल सफारी भी पर्यटन के लिए खुल सकेगी। सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डॉ. राजीव चौहान का कहना है कि यूं तो चंबल घाटी वर्तमान में दस्यु विहीन है और सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है। पीले फूलों के लिए ख्याति प्राप्त रही यह वादी उत्तराखंड की पर्वतीय वादियों से कहीं कमतर नहीं है। अंतर सिर्फ इतना है कि वहां पत्थरों के पहाड़ हैं तो यहां मिट्टी के पहाड़ है। बीहड़ की ऐसी बलखाती वादियां समूची पृथ्वी पर अन्यत्र कहीं नहीं देखी जा सकतीं हैं। प्रकृति की इस अद्भुत घाटी को दुनिया भर के लोग सिर्फ और सिर्फ डकैतों की वजह से ही जानती है। यही कारण रहा कि चंबल की इन वादियों के प्रति बॉलीवुड भी मुंबई की रंगीनियों से हटकर इन वादियों की ओर आकर्षित हुए और डकैत, मुझे जीने दो, चंबल की कसम, डाकू पुतलीबाई जैसी फिल्मों ने दुनिया भर के दर्शकों का मनोरंजन किया।
इन डकैतों की गतिविधियों में प्रकृति द्वारा प्रदत्त की गई यह वादियां इस कदर कुख्यात हो गईं कि क्षेत्रीय लोग भी इसमें जाने का साहस नहीं जुटा सकते थे जबकि वास्तविकता यह है कि पूरी तरह से प्रदूषण रहित चंबल की नदी के पानी को गंगाजल से भी अधिक शुद्ध और स्वच्छ माना जाता है। चंबल की इन वादियों में अनगिनत ऐसी औषधियां भी समाहित है जो जीवनदान दे सकती हैं। ऐसे ही कार्यक्रम तैयार होगा तो यकीनन इन वादियों के इर्द-गिर्द रहने वाले युवकों को रोज़गार तो मिलेगा ही बल्कि वादियों की दस्यु समस्या को भी सदा-सदा के लिए दूर किया जा सकेगा और चंबल की यह घाटी समृद्धि होकर विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज कर सकेगी।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जिले इटावा को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए कवायद शुरू कर दी गई है। इटावा को दिल्ली-आगरा-ग्वालियर के पर्यटन सर्किट से जोड़ने के लिए डॉ. मंजुला चौधरी, डायरेक्टर ,आई. आई. टी. टी. एम. ने जिलाधिकारी पी. गुरूप्रसाद सहित पर्यटक की एक्सपर्ट टीम के साथ जनपद के विभिन्न स्थलों लायन सफारी, पचनदा, भरेह, ब्रह्माणी देवी, पिलुआ महावीर आदि स्थलों का प्रथम सर्वे किया गया। केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आईआईटीटीएम डायरेक्टर डा.मंजुला चौधरी ने अपनी टीम के अलावा वन विभाग के अलावा चंबल सेंचुरी के दर्जनों अफसरों की अगुवाई मे इटावा के लायन सफारी,पंचनदा,भरेह,पिलुआ मंदिर और ब्राह्माणी देवी मंदिर का प्रारंभिक सर्वे का किया गया। लायन सफारी के निरीक्षण के बाद पूरी टीम पंचनदा ,भरेह भी गई। पंचनदा से डा.मंजुला चौधरी सोसायटी फॉर कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान,डीपीएस स्कूल के डायरेक्टर विवेक यादव ने मोटर वोट के जरिए पंचनदा से भरेह तक का भ्रमण किया। चंबल में इस दौरान दुर्लभ डालफिन,घडियाल के अलावा दर्जनों मगरमच्छों को देखा गया। इस टीम के अलावा टीम के सदस्यों ने पिलुआ मंदिर,ब्राह्माणी देवी मंदिरों का भी भ्रमण किया।
सर्वेक्षण के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए डा. मंजुला चौधरी ने बताया कि चम्बल का बीहड़ दुनिया मे अनोखा है। पांच नदियों के संगम स्थल पंचनदा पर वाटर स्पोर्ट की संभावनाएं तलाशी जाएगी। चंबल के इस इलाके के ऐतिहासिक, धार्मिक, इकोलोजिकल पर्यटन को एक दूसरे से जोड़कर दिल्ली-आगरा-ग्वालियर के पर्यटन सर्किट से इटावा को जोड़ने का प्लान बनाया जाएगा। डॉ. मंजुला चौधरी बताती हैं कि यहां का चम्बल फारेस्ट ऐसा है जो विश्व में कही नहीं है। इसे टूरिस्ट की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है। डॉ. मंजुला चौधरी ने बताती है कि पर्यटन क्रिया-कलापों में ऐसा प्रस्ताव किया जाएगा जिसमें ताकि स्थानीय लोगों की सहभागिता हो, यहॉ पर रोज़गार व आर्थिक मज़बूती बढ़े तथा पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। वे यह भी बताती है कि अभी पहला सर्वे किया गया है। कहां-कहां पर क्या-क्या कार्य हो सकते हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डॉ. मंजूला चौधरी का कहना है कि लायन सफारी टूरिस्टों के लिए यूनिक स्थल होगा। पर्यटन के ऐसे कार्य प्रस्ताव में रखे जाएंगे जिससे यहां आने वाला पर्यटक कम से कम एक रात्रि यहां ठहरे। इससे जनपद की आर्थिक स्थिति को लाभ होगा।
डॉ.मंजुला चौधरी ने पत्रकारों से बात करते हुये भ्रमण का हवाला देते हुए बताया कि लायन सफारी की शुरूआत के साथ ही चंबल में पर्यटकों की व्यापक संभावनाएं बड़े स्तर पर परिलक्षित हो रही है इसी आधार पर्यटन मंत्रालय की टीम की ओर से इटावा और आसपास के इलाके के सर्वेक्षण का काम शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि चंबल की टोपोग्राफी काफी बेहतर देखने मे लग रही है इसी आधार पर अब चंबल को पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा मे काम शुरू किया जा रहा है वैस लायन सफारी बनने के बाद एक बड़ा काम कर दिया गया क्योंकि गिर के अलावा देश मे शेरों की कोई दूसरी पनाहगाह नहीं है। चंबल की भौगोलिक स्थित पर्यटकों के लिए काफी बेहतर आंकी जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी इस बात पर अध्ययन किया जा रहा है कि आगरा,दिल्ली और ग्वालियर आने वाले पर्यटकों के लिए चंबल में इस कदर की पर्यटन के संभावनाएं हो सकती है इन्हीं सब बिंदुओं पर विशेषज्ञों के बीच विचार विमर्श होगा है। डॉ. मंजुला चौधरी कहती हैं कि पर्यटन क्रिया-कलापों में ऐसा प्रस्ताव किया जाएगा जिसमें ताकि स्थानीय लोगों की सहभागिता हो, यहॉ पर रोज़गार व आर्थिक मज़बूती बढ़े तथा पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। वे बताती है कि अभी पहला सर्वे किया गया है। कहां-कहां पर क्या-क्या कार्य हो सकते हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। डॉ. मंजूला चौधरी का कहना है कि लायन सफारी टूरिस्टों के लिए यूनिक स्थल होगा। पर्यटन के ऐसे कार्य प्रस्ताव में रखे जाएंगे जिससे यहां आने वाला पर्यटक कम से कम एक रात्रि यहां ठहरे। इससे जनपद की आर्थिक स्थिति को लाभ होगा।
पर्यटन टीम के साथ भ्रमण पर गए इटावा के जिलाधिकारी पी.गुरूप्रसाद का कहना है कि इटावा के चंबल इलाके मे पर्यटन की बड़े स्तर पर संभावनाएं है इसी कारण लगातार सर्वे का काम जा रही है और निकट भविष्य मे पर्यटकों के लिए इटावा एक बेहतर स्थान होगा।
सर्वेक्षण टीम के साथ जिलाप्रशासन के प्रतिनिधि के तौर पर गए पर्यावरणीय संस्था के सचिव डॉ.राजीव चौहान का कहना है कि चंबल नदी में भ्रमण के दौरान देखे गए डालफिन, मगर और घड़ियाल से मंजुला चौधरी बेहद खुश हुई है जाहिर है कि यह बिंदु भी उनकी रिपोर्ट में होगा।
दस्यु संरक्षण के लिए कुख्यात रही चंबल की वादी की तस्वीर बदलने के लिए की जा रही कवायद का एक हिस्सा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रकृति की तमाम अद्भुत धरोहरों को अपने आगोश में समाने वाली इन्हीं वादियों को देशी व विदेशी सैलानियों के अंतःमन में रम चुकी कुख्यात चंबल घाटी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात करने का प्रयास उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से करने की कोशिश की जा रही है। पर्यटक चंबल की घाटी में संरक्षित दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीवों के दीदार तो कर ही सकेंगे अपितु मिट्टी के पहाड़ों को देख रोमांचित हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव डाकुओं की पनाहगाह के तौर पर कुख्यात रही चंबल घाटी को बदलने की दिशा मे अपने प्रोजेक्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है। यहां सैलानी प्राकृतिक धरोहरों का लुफ्त उठा सकते हैं। सर्वेक्षण टीम अपने साथ अगली बार ट्रैनरों से रैकी ही कराएगी। चंबल ट्रेजर हंट, वाटर राइट्स, बनाना राइड, एलिगेटर एवं डॉल्फिन स्पॉटिंग, पैरासाइलिंग, हॉट एअर बैलूनिंग, रॉक क्लाइविंग एवं जॉर्बा वॉल जैसी व्यवस्था भी पर्यटकों के लिए शामिल कराई जा सकती है।
चंबल में बदलाव की यह बयार यदि कामयाब हो जाती है तो इसका न सिर्फ भिंड बल्कि इटावा, आगरा, मुरैना, धौलपुर की चंबल सफारी भी पर्यटन के लिए खुल सकेगी। सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डॉ. राजीव चौहान का कहना है कि यूं तो चंबल घाटी वर्तमान में दस्यु विहीन है और सुरक्षा का कोई खतरा नहीं है। पीले फूलों के लिए ख्याति प्राप्त रही यह वादी उत्तराखंड की पर्वतीय वादियों से कहीं कमतर नहीं है। अंतर सिर्फ इतना है कि वहां पत्थरों के पहाड़ हैं तो यहां मिट्टी के पहाड़ है। बीहड़ की ऐसी बलखाती वादियां समूची पृथ्वी पर अन्यत्र कहीं नहीं देखी जा सकतीं हैं। प्रकृति की इस अद्भुत घाटी को दुनिया भर के लोग सिर्फ और सिर्फ डकैतों की वजह से ही जानती है। यही कारण रहा कि चंबल की इन वादियों के प्रति बॉलीवुड भी मुंबई की रंगीनियों से हटकर इन वादियों की ओर आकर्षित हुए और डकैत, मुझे जीने दो, चंबल की कसम, डाकू पुतलीबाई जैसी फिल्मों ने दुनिया भर के दर्शकों का मनोरंजन किया।
इन डकैतों की गतिविधियों में प्रकृति द्वारा प्रदत्त की गई यह वादियां इस कदर कुख्यात हो गईं कि क्षेत्रीय लोग भी इसमें जाने का साहस नहीं जुटा सकते थे जबकि वास्तविकता यह है कि पूरी तरह से प्रदूषण रहित चंबल की नदी के पानी को गंगाजल से भी अधिक शुद्ध और स्वच्छ माना जाता है। चंबल की इन वादियों में अनगिनत ऐसी औषधियां भी समाहित है जो जीवनदान दे सकती हैं। ऐसे ही कार्यक्रम तैयार होगा तो यकीनन इन वादियों के इर्द-गिर्द रहने वाले युवकों को रोज़गार तो मिलेगा ही बल्कि वादियों की दस्यु समस्या को भी सदा-सदा के लिए दूर किया जा सकेगा और चंबल की यह घाटी समृद्धि होकर विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज कर सकेगी।
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