खतरे में कुदरती \"वाटर प्यूरीफायर\"

जबलपुर। नर्मदा नदी के तलहटी में पाए जाने वाले कुदरती 'वाटर प्यूरीफायर' के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। रेत के अंधाधुंध उत्खनन होने से ऎसी परिस्थितियां बन रही हैं कि नदी के पानी को शुद्ध करने वाले ये सूक्ष्मजीव नष्ट हो रहे हैं।

प्रकृति की रचना अचरज भरी है। जहां नजरों से नहीं दिखता वहां भी कुदरत ने एक पूरा संसार बसा रखा है। यह दुनिया है नर्मदा की तलहटी पर बसे उन सूक्ष्म जन्तुओं की जो बिना थके पानी को शुद्ध करने का काम करते हैं। कुछ का आकार तो राई से भी छोटा है। इन जन्तुओं को वैज्ञानिक 'वॉटर प्यूरीफायर' की संज्ञा देते हैं।

ऎसे करते हैं सफाई
प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार पानी की तलहटी पर रहकर शुद्धिकरण में अहम भूमिका निभाने वाले ये जन्तु स्टीगोफना या ग्राउंड वॉटर फोना कहलाते हैं। विश्व में इनकी हजारों प्रजातियां हैं। ये जन्तु क्रस्टीसिया समूह में आते हैं। ये जन्तु पानी की तलहटी या रेत के नीचे समूहों में रहकर उन जीवाणुओं को चट करते हैं, जो जल के प्रदूषण का कारण बनते हैं।

प्रदूषण फैलाने वाले जीवाणुओं व सड़ी-गली चीजों को खाकर ये जन्तु बदले में ऎसे कैमिकल छोड़ते हैं, जो जलीय वनस्पतियों के लिए जीवनदायक सिद्ध होते हैं और पानी को गंदला नहीं होने देते।

खटमल जैसा जलीय पेंदा
नर्मदा वैली में पहली बार मिला खटमल जैसी बनावट वाला एफेलो चेरस नर्मदेंसिस (जलीय पेंदा) अपनी गैंग (समूह) के साथ उन अति सूक्ष्म जीवाणुओं पर हमला बोलता है, जो पानी को गंदा करते हैं। छोटे से खटमल की तरह दिखने वाले जलीय पेंदा का आकार 7.9 मिलीमीटर व चौड़ाई 5 मिलीमीटर होती है। मध्यप्रदेश में इस जीव की 57 से अधिक प्रजातियां बताई जाती हैं।

झींगे जैसा डेकापोडा- झींगा जैसा दिखने वाले डेकापोडा का आकार राई से भी आधा है। यह जो काम करता है वह सफाई के नाम मोटी पगार लेने वाले आदमी के भी बस की बात नहीं है। डेकापोडा दिनभर में कीचड़ व रेत के नीचे कई लीटर पानी को साफ करता है। केकडे की तरह भुजाओं वाले डेकापोडा का आकार 1 मिलीमीटर से 6 इंच तक होता है।

एम्पीफोडा कम नहीं- एम्पीफोडा की विश्वभर में करीब 7 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। नर्मदा में इस जीव की 12 प्रजातियां मिली हैं। ये जीव भी नदियों की तलहटी पर रहकर अनवरत पानी को छानने का काम करता है। इनका आकार 1.2 एमएम से 5 इंच तक होता है।

आईसोपोडा पानी का छन्ना
जुए व झींगे की तरह दिखने वाला आईसोपोडा 1 मिलीमीटर से 3 इंच तक आकार का होता है। लगभग 1 ग्राम वजन वाला यह जीव रेत व कीचड़ के नीचे पानी के शुद्धिकरण में लगा रहता है।

और ये भी...
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों के अनुसार मकड़ी की तरह दिखने वाले रनात्रा, जेन्ट वॉटर बग, नोटो नेक्टा, माइक्रो नेक्टा, डिप्लोनिखस जैसे सैकड़ों जीव पानी को साफ रखता है।

ये हैं प्रदूषण के 'इंडिकेटर'
प्रकृति ने कुछ ऎसे जीव भी बनाए हैं, जिनकी मौजूदगी यह दर्शा देती है कि संबंधित स्थान का पानी प्रदूषित हो गया है। जन्तु प्लावकों की श्रेणी में आने वाले लीकेन, ब्रेकीयोनस, एस प्लांचना, फिलीनिया, डेफनिया व रोटेरिया जैसे जंतुओं को वैज्ञानिक 'पॉल्यूशन इंडिकेटर' कहते हैं।

नर्मदा में उत्खनन थमे
नर्मदा में जिस अंधाधुंध तरीके से रेत की निकासी चल रही है उससे जलीय जीवों पर खतरा मंडरा रहा है। रेत निकासी के दौरान जलशोधन करने वाले सूक्ष्म जीव-जंतु मर जाते हैं। नर्मदा के पानी को साफ रखना है तो रेत के बेहताशा उत्खनन पर रोक जरूरी है।

प्रो. एच. बी. पालन, पर्यावरण विद

अब तो रूक जाओ
नर्मदा में पानी के शुद्धिकरण में अहम भूमिका निभाने वाले जंतुओं की कई प्रजातियां मिली हैं। इनके संरक्षण की आवश्यकता है। यदि सकारात्मक प्रयास नहीं किए गए तो उसका खामियाजा गंभीर जल प्रदूषण के रूप में भोगना पड़ेगा।

डॉ. कैलाश चंद्रा, अरिक्त निदेशक, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण

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