खनन के लिए खोद डाली नदी

1. बैतूल जिले के ग्राम हर्राई में तीनों ओर खदानें
2. लाखों के जुर्माने के बावजूद जारी अवैध खनन
3. छलनी होकर 8 साल में सूख गई नदी
'वो कल-कल बहती थी और हम समृद्ध थे, कोई भूखा नहीं, कोई कर्जा नहीं। अब वो सूख गई और हम मोहताज हो गए दाने दाने के' म.प्र. के आदिवासी बैतूल जिले से महज 30 किमी दूर के गांव हर्राई की कहानी। ग्रामीणों के अनुसार नदी ने हमें इतना कुछ दिया कि पुवर्जों ने नदी के नाम पर ही गांव का नाम रख दिया। खनन की भेंट चढ़ी सूखी हर्राई के बीच में ही खड़े होकर लोगों से बात की हमने। अब तीन छोरों पर क्रेशर से घिरे गांव की लगभग 150 एकड़ ज़मीन खनन के लिए लीज पर दे दी गई हैं। यहां के देवीलाल गौंड बताते हैं कि ज्यादा पुरानी नहीं आठ साल पहले तक ही नदी जिंदा थी, यहां इतना खनन किया गया कि उसका कोना कोना छलनी हो गया और अब हमारे लिए बचे हैं सिर्फ बड़े गड्ढे और सूखी नदी के निशान, क्रेशर की आवाज़ और लगातार उड़ती धूल। 500 लोगों की आबादी वाला गांव जनवरी माह में पीने के पानी के लिए जूझ रहा है। खनन के लिए आदिवासियों की ज़मीन को लीज पर दे दिया गया जो कि इस नदी से लगी हुई थीं। अवैध खनन माफ़िया ने ज़मीन के साथ नदी को बेरहमी से खोद डाला। ग्रामीणों की मानें तो अवैध खनन की शिकायतों के बाद कार्रवाई होती है एक दो दिन क्रेशर बंद रहते हैं, और फिर ब्लास्ट करने का काम शुरू हो जाता है।

हाईकोर्ट भी बंद करा चुका खनन


इस इलाके में कार्यरत समाज सेवी अनुराग मोदी बताते हैं कि नदी के एक छोर पर संचालित क्रेशर ज्योति कंस्ट्रक्शन के नाम से है, लगभग आठ सालों से खनन कर रहा है। यहां हो रहे अवैधखनन की जानकारी के बाद हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने इसे बंद करवा दिया था, लेकिन कुछ दिन में फिर क्रेशर शुरु हो गए। इस क्रेशर के लिए हो रही लगातार खुदाई से नदी सूख गई।

20 लाख का जुर्माना फिर भी लीज रिन्यू


स्थानीय खनिज विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ज्योति कंस्ट्रक्शन के खनन के लिए पहले दीपक अग्रवाल के नाम लीज ली गई थी। बाद में इस कंपनी के लिए ही अल्ताफ़ खान के नाम सेलीज ले ली गई। अवैध खनन के चलते पर 30 अप्रैल 2012 में खनिज विभाग ने 20,36,400 रु. का जुर्माना भी लगाया। इस बारे में जब पत्रिका ने अल्ताफ़ खान से बात की तो उन्होंने स्वीकारकरते हुए कहा कि यह मेरी कंपनी है और मामला एसडीएम कोर्ट में चल रहा है।

ज़मीन के लिए खत्म कर दिया परिवार


देवीलाल गौंड ने बताया कि 10 साल पहले उसके पिता और दादा से कुछ कागज़ों पर साइन करा कर ज़मीन की लीज कंपनी ने ली। इसके बाद ज़मीन हड़पने की साज़िश के तहत पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया। पिता की मौत के बाद उसके भाई के हाथ तोड़ दिए गए। कभी उसकी ज़मीन से लगी अब सूखी हो चुकी नदी में खड़े देवीलाल के अनुसार यहां शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती।

अधिकारियों की जानकारी में हो रहा अवैध खनन


इसी गांव के तुलसीराम गौड़ ने पत्रिका को बताया कि नदी के किनारे लगे क्रेशर में अवैध खनन हो रहा है, यहां कोर्ट से स्टे के बावजूद कई साल खनन हुआ और लोगों ने इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी। फिर भी गांव की नदी खोद दी गई।

जांच करवाएंगे...


खनन के कारण गांव की नदी खत्म होना पर्यावरण के लिहाज से खतरनाक है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी। अवैध खनन रोकने के लिए समय समय पर मुहिम चलाकर कार्रवाई कीजाती है। -
बी चंद्रशेखर, कलेक्टर बैतूल

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