छोटे और मझोले आकार के शहरों की बुनियादी ढाँचा विकास परियोजना (यूआईडीएसएसएमटी) के तहत मध्यप्रदेश के कस्बे खण्डवा में जलप्रदाय आवर्धन हेतु निजी कंपनी से अनुबंध किया गया है। यह प्रारंभिक नोट इसी शहर के केस अध्ययन पर आधारित है। इस अनुबंध के तहत शहर की जलप्रदाय योजना एक निजी कंपनी विश्वा इंफ्रास्ट्राक्चर्स एण्ड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दी गई है।
निजी कंपनी कुल खर्च 115.32 करोड़ रुपए में से 22.06 करोड़ रुपए यानी मात्र 19 प्रतिशत राशि का ही निजी कंपनी द्वारा निवेश किया जाएगा। शेष 80 प्रतिशत से अधिक राशि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाएगी। मात्र 19 प्रतिशत निवेश से ही कंपनी को पानी के शुद्धिकरण, वितरण, जलवितरण तंत्र के पुनर्वास और वसूली का अधिकार दे दिया गया है। इस अध्ययन में परियोजना के तकनीकी, वित्तीय और अभिशासन (गवर्नेंस) संबंधी मुद्दों का मूल्यांकन समाहित है।
यह अध्ययन तकनीकी प्रतिमान, वित्तीय प्रबंधन, संचालन और हमेशा नजरअंदाज किए जाने वाले अभिशासन के मुद्दे और इस छोटे शहर में जलप्रदाय के निजीकरण के प्रभावों सहित परियोजना से संबंधित विभिन्नन मुद्दों पर प्रकाश डालने का प्रयास है।
बगैर किसी सार्वजनिक बहस के शहर में शुरु की गई इस परियोजना पर चर्चा हेतु मंथन ने पहल की है। इसके माध्यम से परियोजना से जुड़े गंभीर सवालों पर शहर के नागरिकों और समूहों के साथ चर्चा, मीटिंग आदि भी आयोजित की गई है, ताकि इस संबंध में जनजागृति हो सके।
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निजी कंपनी कुल खर्च 115.32 करोड़ रुपए में से 22.06 करोड़ रुपए यानी मात्र 19 प्रतिशत राशि का ही निजी कंपनी द्वारा निवेश किया जाएगा। शेष 80 प्रतिशत से अधिक राशि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा वहन की जाएगी। मात्र 19 प्रतिशत निवेश से ही कंपनी को पानी के शुद्धिकरण, वितरण, जलवितरण तंत्र के पुनर्वास और वसूली का अधिकार दे दिया गया है। इस अध्ययन में परियोजना के तकनीकी, वित्तीय और अभिशासन (गवर्नेंस) संबंधी मुद्दों का मूल्यांकन समाहित है।
यह अध्ययन तकनीकी प्रतिमान, वित्तीय प्रबंधन, संचालन और हमेशा नजरअंदाज किए जाने वाले अभिशासन के मुद्दे और इस छोटे शहर में जलप्रदाय के निजीकरण के प्रभावों सहित परियोजना से संबंधित विभिन्नन मुद्दों पर प्रकाश डालने का प्रयास है।
बगैर किसी सार्वजनिक बहस के शहर में शुरु की गई इस परियोजना पर चर्चा हेतु मंथन ने पहल की है। इसके माध्यम से परियोजना से जुड़े गंभीर सवालों पर शहर के नागरिकों और समूहों के साथ चर्चा, मीटिंग आदि भी आयोजित की गई है, ताकि इस संबंध में जनजागृति हो सके।
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