खेती वह जो खड़ा रखावै।
सूनी खेती हरिना खावै।।
भावार्थ- खेती वही है जिसकी किसान खड़े होकर रखवाली करे। यदि सूना छोड़ देगा तो हिरन चर जाएँगे।
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