खाद्य सुरक्षा से ज्यादा जरूरी जल सुरक्षा

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भास्कर फाउंडेशन द्वारा आयोजित पानी पर राष्ट्रीय सेमिनार


भोपाल. केंद्रीय जल संसाधन और संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा है कि वर्तमान में खाद्य सुरक्षा से ज्यादा जल सुरक्षा की जरूरत है। इसमें शीघ्र ही आत्मनिर्भर बनना होगा, क्योंकि देश में मांग और उपलब्धता के बीच बहुत तेजी से अंतर बढ़ रहा है।

जल सुरक्षा की जरूरत आज खाद्य सुरक्षा से कहीं ज्यादा है। इसमें शीघ्र आत्मनिर्भर होने की जरूरत है क्योंकि देश में जल की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर बहुत तेजी से बढ़ रहा है। यह बात केंद्रीय जल संसाधन और संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहीं। वे शुक्रवार को दैनिक भास्कर द्वारा राजधानी के होटल नूर-उस-सबाह में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। सेमिनार का विषय था ‘प्रभावशाली जल प्रबंधन : चुनौतियां एवं समाधान’।

भास्कर फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमिनार के उद्घाटन सत्र के अपने भाषण में श्री बंसल ने कहा कि आज पानी की कमी के चलते हालात यह हो गए हैं कि राज्य पानी को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। हमें इस समस्या से निपटने के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर जागरुकता लानी होगी और ‘जल आंदोलन’ चलाना होगा। उन्होंने नदी जोड़ परियोजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए देश भर में नदियों के 30 बेसिन चिह्नित किए गए हैं जिनमें से मध्यप्रदेश का केन-बेतवा बेसिन शामिल है। बरगी बांध को भी राष्ट्रीय परियोजना के तहत लाया जाएगा।

इससे पहले दैनिक भास्कर समूह के चेयरमैन रमेशचंद्र अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने पानी की आवश्यकता और महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि पानी बचाने की मुहिम में दैनिक भास्कर हमेशा साथ देता रहेगा। कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के विशेष अतिथि के तौर पर शरीक हुए पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव तथा जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया ने भी भाग लिया। जहां प्रदेश सरकार की कृषि योजनाओं के बारे में जानकारी दी, वहीं श्री जयंत मलैया ने नदियों को साफ-सुथरा रखने पर जोर दिया। मलैया ने कहा कि प्रदेश 2011 तक अपनी सिंचाई योजनाओं के लक्ष्य को पूरा कर लेगा।

सेमिनार के प्रथम सत्र में मप्र सरकार के जल संसाधन विभाग के पूर्व सचिव एमएस बिल्लौरे ने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में आने वाली परेशानियों का जिक्र किया। दैनिक भास्कर के स्टेट हेड अभिलाष खांडेकर ने बताया कि कैसे छोटी शुरुआत करके पानी बचाने के उद्देश्य में काफी आगे तक जाया जा सकता है।

हरित क्रांति ने नुकसान पहुंचाया
सेमिनार में जल विशेषज्ञ राजेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में हुई हरित क्रांति ने यहां के पानीदार समाज को बहुत नुकसान पहुंचाया और उसे बेपानी कर दिया। सिंचाई करने में बेतहाशा साफ पानी खर्च किया गया। अब हमें पानी को वापस पाने के लिए राज और समाज का साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कई पारंपरिक तरीकों का उल्लेख कर बताया कि कैसे राजस्थान के गांवों में वापस पानी को संजोया गया। श्री सिंह ने कहा कि पेड़ पानी का पिता होता है जबकि धरती उसकी मां। माता-पिता स्वस्थ रहेंगे तो संतान अपने आप स्वस्थ रहेगी। उन्होंने पानी बचाने के लिए पेड़ों को बचाने पर भी जोर दिया।
 

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