जैसा कि आप जानते हैं कि जैसा कि हम जानते हैं कि आज जहां आज हिमालय पर्वत है, वहां पर किसी समय में एक बहुत बड़ा थेत्थीन समुंदर हुआ करता था । जब इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराई तो जो आज हिमालय है उसकी उत्पत्ति हुई यानी कि जो समुंदर था वह आज का हिमालय पर्वत बन गया जब इंडियन प्लेट जब यूरेशियन प्लेट से टकराई तो उसके टकराने से कई बड़े-बड़े फाल्ट बन गए। वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि आज भी इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के अंदर हर साल कुछ सेंटीमीटर नीचे जा रही है।
जब इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराई तो कई तरीके के फॉल्ट बने यही फॉल्ट आज अलग-अलग जगहों पर हैं जैसे कि अगर हम साउथ से नॉर्थ की तरफ चलेंगे मतलब तराई से हिमालय की और चलेंगे तो सबसे पहले हमें मेन बाउंड्री फॉल्ट आएगा उसके बाद मेन सेंट्रल ट्रस्ट आएगा और उसके बाद इंडो त्संगपो सूचर जोन आएगा हमारा उत्तराखंड जो है वह एमसीटी और एमबीटी के बीच में है जोकि सबसे ज्यादा एक्टिव फॉल्ट सिस्टम के बीच में आता है जब कभी भी तनाव प्लेट में आता है तो इसका असर इन फाल्ट सिस्टम पर पड़ता है जिसके फलस्वरूप भूकंप बनते हैं
हमारा उत्तराखंड भी एनी फॉल्ट सिस्टम के बीच में स्थित है तो जब कभी भी प्लेट्स में तनाव होगा तो यह फॉल्ट एक्टिव हो जाते हैं जिसके कारण जो एनर्जी जो ऊर्जा के दर्शन से निकलती है उसके फल स्वरुप भूकंप बनते हैं हम देखेंगे कि हिमालय ने अभी तक कई बड़े भूकंप भी आए हैं और अभी हल्के-फुल्के भूकंप आते रहते हैं हमारा उत्तराखंड में भी उत्तरकाशी चमोली में भी भूकंप आए हैं जिसमें जान मान की काफी हानि हुए है।
ऊर्जा के इस तरह से निकलने से भूकंप की उत्पत्ति होती है हम देखेंगे कि अगर यह ऊर्जा थोड़ी-थोड़ी निकले तो छोटे-छोटे भूकंप बनते हैं और अगर यही ऊर्जा बहुत ज्यादा निकले तो बड़े भूकंप को बनाएगी तो इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अगर हमारे यहां छोटे-छोटे भूकंप आए तो एनर्जी या ऊर्जा का जो निकलती है उससे ज्यादा जान-माल की नुकसान नहीं होगा।
परंतु यह एक सत्य है कि बड़ा भूकंप अभी तक यहां पर हिमालय उत्तराखंड हिमालय में नहीं आया है और अगर आता है तो उससे काफी जान-माल की नुकसान होने की संभावना भी है भूकंप को तो हम प्रेडिक्ट नहीं कर सकते कि कब आएगा ।
मैं हमेशा से यह एक कौतूहल का विषय रहता है कि भूकंप को कैसे आने से पहले उसका अनुमान लगाया जा सके बहुत सारी रिसर्च और शोध इस पर कर रहे हैं परंतु अभी तक हम ज्यादा सफल नहीं हो पाए हैं एक यह भी सत्य है कि भूकंप से हमें कोई नुकसान नहीं होता नुकसान सिर्फ हमारी बनाई हुई बिल्डिंग घर के कारण होता है। It is not the earthquake that kills it is the man made structure that kills in earthquake.
हमारी वैज्ञानिक हमेशा से हिमालय पर अलग-अलग जगह पर जगह बनाई ना के रखे हैं और उनकी मूवमेंट को रोज स्टडी करते आ रहे हैं ताकि भूकंप से आने से पहले हुई उसके प्रति पूर्व अनुमान लगाया जा सके उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार से है कि हम दोनों के बीच में है तो यह तो तय है कि जब भी भूकंप आएगा तो यहां पर इसका ठीक-ठाक प्रभाव रहेगा। हमें भूकंप से बचने के लिए सरकार द्वारा वैज्ञानिकों द्वारा बताए हुए भवन निर्माण की ओर जाना चाहिए जिससे जानमाल की क्षति कम हो।
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