पराली जलना कम होने के बाद भी दिल्ली में वायु प्रदूषण कम होता नहीं दिख रहा है। बीते एक माह से दिल्ली और आसपास के इलाकों में साफ सांसों का आपातकाल लगा हुआ है। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स फिर से 500 के पार पहुंच गया है। दिल्ली के आसपास के इलाकों गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, पलवल, नोएडा, ग्रेटर नोएडा आदि में हवा मानकों से कई गुना ज्यादा ज़हरीली हो गई है, जिस कारण दिल्ली और इसके समीपवर्ती इलाकों में लोगों का रहना दूभर हो गया है। लोगों को सांस संबंधी विभिन्न प्रकार की बीमारियों के साथ ही गले और आंखों में एलर्जी होने लगी है, पर सरकार के प्रयास ‘‘ऑड-ईवन’’ योजना के आगे बढ़ते नजर नहीं आ रहे, लेकिन लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कई तीखे प्रश्न किए। साथ ही दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए स्माॅग टाॅवर लगाने का सुझाव दिया है। तो आइए जानते हैं, कि क्या है स्माॅग टाॅवर।
क्या है स्माॅग टाॅवर ?
स्माॅग टाॅवर एल्युमिनियम से बना करीब 7 मीटर ऊंचा टाॅवर होता है, जो वातावरण में मौजूद पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे हानिकारक कणों को सोख लेता है। ये टाॅवर एक घंटे में लगभग 30 हजार क्यूबिक मीटर हवा को शुद्ध करता है। टाॅवर द्वारा अवशोषित कार्बन का उपयोग हीरे के क्रिस्टल बनाने में किया जा सकता है और काफी कम ऊर्जा की खपत करते हैं। हालाकि टाॅवर सौर ऊर्जा पर भी कार्य करते हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि दिल्ली में लगने वाले स्माॅग टाॅवर सौर ऊर्जा चालित ही होंगे।
स्टार्ट अप इंडिया के तहत किया जाएगा तैयार
एक समय था जब चीन वायु प्रदूषण के भयावह दौर से गुजर रहा था। चीन का बीजिंग दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार था, लेकिन चीन के शासन और प्रशासन के साथ जनता ने भी वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग छेड़ दी। नई नीतियां और कानून बनाए गए। सख्ती ने इनका पालन किया गया। जिसका नतीजा ये रहा कि बीजिंग की वायु गुणवत्ता में काफी सुधार आया और अब विश्व के टाॅप 10 प्रदूषित शहरों में भी बीजिंग का नाम शामिल नहीं है। वायु प्रदूषण के जंग के लिए चीन में ही सबसे पहले स्माॅग टाॅवर भी लगाया गया था, जिसका काफी सकारात्मक परिणाम रहा था, लेकिन भारत के लिए वायु प्रदूषण गंभीर चुनौती है, लेकिन अब भारत की राजधानी दिल्ली में भी स्माॅग टाॅवर लगाए जाने हैं, जो स्टार्ट अप इंडिया के तहत की तैयार किया जाएगा। हालाकि अभी दिल्ली की कुरीन सिस्टम्स नामक एक कंपनी ने करीब 40 फुट लंबा एयर प्यूरीफायर बनाया है, जो तीन किलोमीटर के दायरे में प्रतिदिन 3.2 करोड घन मीटर हवा को स्वच्छ करने करीब 75000 लोगों को साफ हवा दे सकता है। कंपनी के सह संस्थापक संस्थापक पवनीत सिंह पुरी को दुनिया के सबसे लंबे और साथ ही सबसे मजबूत प्यूरीफायर के लिए पेटेंट मिला है।
ऐसे हुई एयर प्यूरींफायर की शुरुआत
स्माॅग टाॅवर का पहला प्रोटोटाइम नीदरलैंड्स के डैन रूजगार्डे ने बनाया था, जिसे सबसे पहले वर्ष 2016 में चीन के बीजिंग के लगाया गया था। अब विश्व के कई अन्य देशों में भी विशालकाय वैक्यूम क्लीनर यानी स्माॅग प्यूरीफायर लगाए जा चुके हैं, लेकिन बीते वर्ष ही चीन ने विश्व का सबसे ऊंचे स्माॅग टाॅवर लगाकर उसका परीक्षण भी किया था। विदित हो कि डैन रूजगार्डे ने हवा को साफ करने वाली साइकिल भी बनाई है।
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