क्या है बाँस?


बच्चो, बाँस तो आप सबने अवश्य देखा होगा। नया भवन बनाने के लिए लंबे-लंबे व छोटे बाँसों का प्रयोग होता देखा होगा। हमारे घरों में रखीं अस्थाई सीढियां भी अधिकतर बाँस से ही बनी होती हैं। लेकिन हम अकसर समझ नहीं पाते कि बाँस वनस्पति की किस श्रेणी में आते हैं। बाँस के बारे में अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि ये झाड़ी की श्रेणी में आते हैं। इसका कारण यह है कि बाँस एक स्थान पर झुंड के रूप में मिलते हैं। बाँस लंबे होते हैं इसलिए कुछ लोग समझते हैं कि ये पेड़ है। आओ आज इस अजब वनस्पति के बारे में जानें।

बच्चो, वास्तव में बाँस न झाड़ी की श्रेणी में आते हैं न पेड़ की। बाँस तो एक किस्म की घास है। इसकी ऊँचाई 35 मीटर तक तथा मोटाई 40 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इसका मुख्य तना जमीन के नीचे रहता है। जमीन के नीचे रहने वाले इस तने से ही शाखाएं निकलती हैं। इन शाखाओं के कारण ही हमें बाँस का झुंड नजर आता है। यानि बाँस तो घास का एक तिनका है। बाँस के बढ़ने की गति बहुत तेज होती है। एक दिन में बढ़ने की इसकी गति 40 से 90 सेंटीमीटर तक देखी गई है। बाँस के कुछ पौधे हर वर्ष फैलतें हैं, कुछ पौधे 30 से 100 वर्ष तक भी फैलते हैं। फैलने के बाद बाँस का पौधा मर जाता है। इसके बीजों से नए पौधे उग आते हैं।

बाँस की अनेक किस्में होती हैं। वैज्ञानिक इसकी लगभग 600 किस्मों का अध्ययन कर चुके हैं। सभी किस्म के बाँसों के तने चिकने और जोड़दार होते हैं। इससे ये तने सख्त और मजबूत हो जाते हैं। बाँस सबसे अधिक दक्षिण-पूर्व एशिया, भारतीय उप-महाद्वीप और प्रशांत महासागर के द्वीपों पर पाए जाते हैं।

बाँस हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इसका प्रयोग मकान, मकान की छतों, झोंपड़ियों व दीवारों के निर्माण में होता है। इससे चटाइयाँ तथा टोकरियाँ भी बनाई जाती हैं। जापान में इसको भीतर से साफ कर पानी की पाइप के रूप में भी प्रयोग करते हैं। विश्व के कई देशों में इसका सब्जी के रूप में भी प्रयोग होता है। इसकी शाखाएं दवाइयां बनाने के काम भी आती हैं।
 

 

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