कवित्व जगमगाता है!

मैं निषेध हूँ
एक शिला का
(दरअसल जो कि समय है!)

जितना बह जाता हूँ
उतना रह जाता हूँ
पत्थर होने से

अवाक प्रार्थना में
मेरा भी मौन है

बड़ी झील! तुम्हारी पानी-धुली
आवाज़ में
मेरी भी जुबान का
अँजोर है
(मद्धम ही सही)

मेरे ख़याल में
पानी का
कवित्व जगमगाता है!

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