उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का मुफ्ती टोला इलाका एक मिसाल पेश करते दिखा। लालबाग स्थित इस इलाके में एक कूड़ाघर हैं। पूरे मोहल्ले का कूड़ा यहाँ जमा होता है। इलाके के बाशिंदों के लिये यह कूड़ाघर मानो समस्या बन चुका था। बदबू के कारण जीना दूभर था। घरों के खिड़की-दरवाजे हर वक्त बन्द करके रखने पड़ते। राहगीर भी नाक बन्द करके निकलते। अन्ततः लोगों ने खुद समाधान ढूँढ निकाला। चन्दा जुटाया और कूड़ेघर के ऊपर बड़ी सी चिमनी लगा दी। अब बदबू नहीं फैलती।
लोगों का कहना है, समस्या बदबू को लेकर थी, लिहाजा बदबू का समाधान ढूँढ लिया गया। आइडिया दिया मोहल्ले के मजहर हसन ने। इलाका मुस्लिम बहुल है। मजहर ने जकात के पैसे से कूड़ेघर की छत पर चिमनी लगाने की युक्ति सुझाई। बात बन गई। अब मुफ्ती टोला के लोगों को प्रदूषण और दुर्गंध से निजात मिल चुकी है।
मजहर कहते हैं, हमारा परिवार जकात देने के लिये जो पैसा इकट्टा करता है, उसे प्रदूषण से छुटकारा दिलाने जैसे नेक काम में लगाया। उनका यह विचार अपने ही कारखाने की छत में लगी चिमनी से मिला। कारखाने के अन्दर का प्रदूषण इस चिमनी के सहारे ऊपर चला जाता है। उन्होंने सोचा कि क्यों न इसी तरह की चिमनी कूड़ेघर की छत पर लगा दी जाये। उनके इस विचार ने पूरे क्षेत्र को कूडेघर की दुर्गन्ध से हमेशा के लिये निजात दिलाने का काम किया है। यह चिमनी इसी गाँधी जयन्ती के मौके पर लगाई गई थी।
देशभर के लिये सबक
कूड़ेघर की बदबू की समस्या देश के हर शहर- मुहल्ले में है। मुफ्ती टोला के लोगों ने इसका बेहतर समाधान प्रस्तुत कर दिखाया है। यह नगर निगमों के लिये भी एक सीख है, जिसके पास कूड़ेघर की बदबू से निपटने का अब तक कोई भी विकल्प मौजूद न था। निगम के अलावा यह नागरिकों को भी एक सीख है, जो हर एक समस्या के समाधान के लिये सरकार का मुँह ताकते हैं और समाधानों के अभाव में परेशानी झेलते रह जाते हैं।
मुरादाबाद साफ हो, इसमें मेरा हाथ हो
मुरादाबाद साफ हो, इसमें मेरा हाथ हो। मजेदार बात है कि मुरादाबाद निगम प्रशासन द्वारा स्वच्छता मुहिम के लिये दिये गये इस नारे को मुफ्ती टोला निवासियों ने चरितार्थ कर दिखाया। उन्होंने अपने शहर को स्मार्ट बनाने की सोच पर स्वतः हाथ बढ़ाए।
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