कुतवा मूतनि मरकनी


कुतवा मूतनि मरकनी, सरबलील कुच काट।
घग्घा चारौ परिहरौ, तब तुम पौढ़ौ खाट।।


शब्दार्थ- मरकनी-खाट। कुच। नस।

भावार्थ- घाघ कहते हैं कि जिस खाट पर कुत्ते मूत्ते हों, जो चरमराती हो, जो ढीली-ढाली हो और जो इतनी छोटी हो कि पैर की नस काटती हो, ऐसी खाट को छोड़कर दूसरी खाट पर सोना चाहिए।

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Post By: tridmin
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