पिछले पखवाड़े ये संकेत मिल गया कि नमामि गंगे की गाड़ी की स्टेरिंग तो गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती के हाथों में ही रहेगी लेकिन ब्रेक, क्लच, एक्सीलेटर और गेयर पर नियंत्रण दूसरे मंत्रियों और पीएमओ का रहेगा।
अपेक्षित परिणाम ना मिलते देख पीएमओ ने नमामि गंगे से कई मंत्रालयों को जोड़ दिया है अब पर्यावरण मंत्रालय, सड़क एवं परिवहन, मानव संसाधन मंत्रालय, स्वच्छता एवं पेयजल मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, युवा एवं खेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय मिलकर नमामि गंगे की गाड़ी को आगे बढ़ाएँगे।
इन मंत्रालयों के बीच 30 जनवरी को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये गए हैं। सहमति पत्र के अनुसार, गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिये सात मुख्य क्षेत्रों की पहचान की गई है साथ ही 21 कार्य बिन्दु तय किये गए हैं।
गंगा को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार ने 2020 तक खर्च करने के लिये 20 हजार करोड़ का बजट बनाया है। इसमें 12728 करोड़ रुपए नए कार्यक्रमों के लिये और 7272 करोड़ रुपए अभी जारी कार्यक्रमों के लिये हैं। इसके अलावा रेल मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय के बीच यमुना नदी के शोधित जल उपयोग को लेकर भी सहमति बनी है।
घोषित रूप से कहा गया है कि इन सभी मंत्रालयों के बीच समन्वय का काम गंगा संरक्षण मंत्रालय करेगा। उमा भारती के मंत्रालय का ये नया रूप अपने स्थापित उद्देश्यों से बिल्कुल अलग है।
इस मंत्रालय की स्थापना त्वरित गति से गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले कारकों की पहचान कर उन्हें रोकना और गंगा की अविरलता के रास्ते आने वाली हर बाधा को दूर करना था चाहे वो बाँध ही क्यों ना हो। लेकिन अपनी स्थापना के समय से ही गंगा मंत्रालय ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया।
चौतरफा आलोचना के बाद भी आठ मंत्रालयों को जोड़कर जो कार्यरूप तैयार किया गया वो भी बहुत भरोसा नहीं जगाता, ये काम गंगा की निर्मलता की दिशा में सीधा कदम नहीं है, बानगी देखिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय साफ-सफाई, जैव विविधता की जरूरत के बारे में जागरुकता और पर्यावरण साक्षरता फैलाएगा और गंगा नदी के तट पर साक्षर भारत कार्यक्रम आयोजित करेगा।
यह आईआईटी और एनआईटी को उन्नत भारत अभियान के तहत गंगा बेसिन पर स्थित कम-से-कम पाँच गाँवों को गोद लेने को प्रेरित करेगा, साथ ही नदी में औद्योगिक एवं रासायनिक प्रदूषण रोकने सम्बन्धी पायलट परियोजना तैयार करने के लिये आईआईटी को प्रेरित करेगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं अन्य परियोजनाओं को इस कार्य से जोड़ेगा, साथ ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण मिशन के तहत गंगा नदी के तट पर गाँव में कार्य को आगे बढ़ाएगा। यह स्थानीय समुदाय को इस कार्य से जोड़ने का काम भी करेगा।
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ग्राम पंचायत स्तर पर खुले में शौच से मुक्त व्यवस्था को आगे बढ़ाएगा और ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन के कार्य को आगे बढ़ाएगा। पर्यटन मंत्रालय पारिस्थितिकी अनुरूप पहल को आगे बढ़ाएगा और इको टूरिज्म को प्रोत्साहित करेगा। आयुष मंत्रालय गंगा तट क्षेत्रों में औषधीय गुणों वाले पौधों के संरक्षण का कार्य करेगा और इससे जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाएगा।
इसी तरह युवा एवं खेल मंत्रालय गंगा की सफाई, वनीकरण और नदी तट पर अवैध गतिविधियों पर नजर रखने के लिये युवाओं को प्रोत्साहित करेगा और इनका समूह तैयार करेगा।
ये सभी उपाय ऐसे है मानों गंगा को बचाने के लिये हमारे पास पचास साल का समय बचा है इसलिये किसी भी जल्दीबाजी की जरूरत नहीं है। इन दीर्घकालीन उपायों से ज्यादा जरूरी है अल्पकालीन परिणाम देने वाले उपाय क्योंकि समाज और सरकार दोनों के लिये वक्त तेजी से बीतता जा रहा है।
पिछले दिनों दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में ग्रामीण सहभागिता को बढ़ावा देने के लिये बड़ा कार्यक्रम हुआ , करीब सोलह सौ गाँवों के प्रतिनिधि मौजूद थे। कार्यक्रम में कई मंत्री बोले, एनजीओ के कर्ताधर्ता भी बोले, गंगा मंत्रालय के अधिकारियों ने भी अपने गाल थपथपाए बस जिन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया वे थे गंगा पथ के गाँवों के बाशिन्दे जिनकी सहभागिता के लिये ये कार्यक्रम आयोजित हुआ था।
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