अमर्त्य सेन, अभिजीत बनर्जी और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह में एक बात कॉमन है। ये तीनों ही भारत के मशहूर अर्थशास्त्री हैं। अर्थशास्त्र में किसी व्यक्ति की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। ये तो हम सभी जानते हैं। कठिन विषय होने की वजह से अधिकतर छात्र-छात्राएँ इसमें करियर बनाने से बचते हैं। अगर आप भी इनमें से एक हैं तो यह जान लीजिए कि अर्थशास्त्र की गिनती मार्केट फ्रेडली कोर्स में होती है। इसकी पढ़ाई करने वाला आमतौर पर बेकार बैठा नजर नहीं आता। उसे रोजगार के अवसर कहीं-न-कहीं जरूर मिल जाते हैं। यहाँ पारम्परिक और नए दोनों तरह के अवसर हैं।
आइए जानते हैं अर्थशास्त्र से आप किन क्षेत्रों में बना सकते हैं अपना करियर
- पारम्परिक अवसरों के क्षेत्र में - पारम्परिक अवसरों में सबसे पहले शिक्षा क्षेत्र का नाम आता है, जिसमें आगे शोध के क्षेत्र में प्रवेश सम्भव होता है। कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर बनने के लिए कोई भी नेट और सेट एग्जाम में अपीयर हो सकता है। दूसरे, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में काम करने का मौका मिलता है।
- शोध आधारित संस्थानों में - शोध आधारित संस्थान या कम्पियाँ ऐसे छात्रों को और ज्यादा अवसर मुहैया कराती है। देश में शोध पर आधारित ढेरों कंपनियाँ हैं, मसलनटेरी, एनआईपीएफ, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च आदि। ऐसी कम्पनियाँ अर्थशास्त्र को शोध प्रोजेक्ट में रखती हैं। परास्नातक और शोध करने वाले छात्रों को विभिन्न शिक्षा संस्थाओं में अध्ययन का अवसर भी मिलता है।
- निजी क्षेत्रों में - आज सरकारी संस्थानों से इतर निजी संस्थानों की देश में भरमार है। ऐसे संस्थानों में अर्थशास्त्र पर अच्छी पकड़ रखने वालों की काफी माँग है। कॉलेजों में बिजनेस अर्थशास्त्र की भी पढ़ाई होती है। वह छात्रों को आधारभूत जानकारी देकर तमाम कम्पनियों में काम का अवसर देता है। इसके अलावा अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने पर ऐसे सामान्य अवसर भी काफी उपलब्ध हैं, जहाँ विश्व के दूसरे छात्र भी जाते हैं। चाहे वह सिविल सर्विस हो या कॉलेज अध्ययन, अर्थशास्त्र के छात्रों की माँग हमेशा बनी रहती है।
रिस्क एनालिस्ट
इकोनॉमिक्स और स्टैटिक्स की अच्छी समझ रखने वाले युवा फाइनेस रिस्क एनालिस्ट के तौर पर काम कर सकते हैं और विशेष दक्षता हासिल करने के लिए पीजी है। अक्टूरियल में पीजी करने के बाद इनका प्रमुख काम जोखिम का आकलन कर कम्पनी और क्लाइंट्स को सलाह देता है इसके प्रमुख कार्य इनश्योरेन्स, पेंशन, इनवेस्टमेंट, बैंक हो सकते हैं।
कृषि अर्थशास्त्र
कृषि अर्थशास्त्र दरअसल एक ऐसा बहुविषयक क्षेत्र है, जहाँ खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं के हल सूक्ष्म और वृहत अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों के सहारे तलाशने का प्रयास किया जाता है। कृषि अर्थशास्त्र खेती के व्यावसायिक पक्ष से सम्बन्धित है इसलिए कृषि अर्थशास्त्र में बेहतरीन करियर है। कृषि अर्थशास्त्री खेती और अन्य कृषि उद्योगों के प्रबंधन का कामकाज संभालता है और इस दिशा में व्यापार की अवधारणाओं और समस्याओं को हल करने की तकनीक का इस्तेमाल भी करता है। वे बाजार पर निगाहें रखते हैं और कृषि उत्पादों को लेकर बाजार के रुझान की भविष्यवाणी भी करते है।
विशेषज्ञता - फाइनेंस इंश्योरेंस, एग्रीकल्चर, इकोनोमेट्रिक्स, रुरल डवलपमेंट, हेल्थ बिजनेस डवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्स, इंडस्ट्रियल लॉ और इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में स्पेशलाइजेशन किया जा सकता है।
एन्वायरनमेंटल इकॉनोमिक्स
आज जलवायु परिवर्तन को लेकर सारी दुनिया चिंतित है। ऐसे में एन्वायरनमेंटल इकॉनोमिक्स का काम अहम हो जाता है। इन क्षेत्र में छात्रों को वायु प्रदूषण, पानी की गुणवत्ता, ग्लोबल वार्मिंग, जहरीला पदार्थ और वेस्ट प्रोडक्ट्स के बारे में पढ़ाया जाता है।
बीमा क्षेत्र
अर्थशास्त्र के छात्र बीमा व बैंकिंग के क्षेत्र में भी किस्मत आजमा सकते हैं। बीमा व बैंकिंग के क्षेत्र में अर्थशास्त्र की जानकारी मूलभूत जरूरत है। इकॉनोमिक्स के ब्रिलियंट छात्र इंडियन इकोनॉमिक्स सर्विसेज की भी तैयारी कर सकते हैं।
रिसर्च
जिन छात्रों ने अर्थशास्त्र में मैट्रिक्स की पढ़ाई की है, उन्हें रिसर्च में काफी मौके मिलते हैं। रिसर्च पर आधारित कम्पनियाँ ऐसे छात्रों को अवसर प्रदान करती है। आप फॉरन केरेन्सी एक्सचेंज में भी काम कर सकते हैं।
इकोमेट्रिक्स
इकोमेट्रिक्स गणित, सांख्यिकी और अर्थशास्त्र का मिलाजुला रूप है। इसमें किसी भी प्रोडक्ट की भविष्य में क्या माँग रहेगी, इसका आकलन किया जाता है और यह आकलन इकॉनोमिक्स के एक्सपर्ट ही कर सकते हैं। बाजारीकरण के दौर में विशेषज्ञ की काफी जरूरत रहती है, जो प्रोडक्ट का बाजार के हिसाब से आकलन करते हैं।
कॉरपोरेट वर्ल्ड और एमबीए
कॉरपोरेट जगत में अर्थशास्त्र बैकग्राउंड वाले छात्रों को एमबीए में बड़ी मदद मिलती है। अर्थशास्त्र में स्नातक के लिए फाइनेशियल सेक्टर ऐसा क्षेत्र है जहाँ सर्वाधिक वेतन मिलनी की सम्भावना रहती है।
बिजनेस पत्रकारिता और लॉ
अगर आपकी अर्थशास्त्र की पृष्ठभूमि है और आपने लॉ भी कर रखा है तो आफ लॉ फर्म में भी जॉब पा सकते हैं। इसके अलावा इन दिनों बिजनेस पत्रकारिता का भी काफी महत्व है। व्यापार पर आधारित पत्र-पत्रिकाओं में अर्थशास्त्र की विशेषता रखने वाले छात्रों की काफी जरूरत रहती है।
चार्टेड अकाउंटेट
इकोनॉमिक्स की विशेष समझ रखने वाले ग्रेजुएट साथ-साथ या इसके बाद चार्टेड अकाउंट के प्रोफाइल में अप्लाई कर सकते हैं। या फिर फाइनेंसियल ऑडिट के अलावा ये टैक्स प्लानिंग समेत अनेक आर्थिक मुद्दे पर कम्पनी या क्लाईंटों को सलाह दे सकते हैं।
बारहवीं के बादः किसी भी रिकानाइज्ड यूनिवर्सिटी से तीन साल का बीए (इकॉनोमिक्स) बीए (इकॉनोमिक्स)।
बीकॉम के बादः किसी भी रिकानाइज्ड यूनिवर्सिटी से दो साल का एमए (इकोमिक्स)।
इंस्टिट्यूट
- दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स।
- गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिक्स पुणे।
- सिम्बोसिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, पुणे।
- मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स।
- दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स।
- इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डवलपमेंट रिसर्च मुम्बई।
- 12वीं पास करने के बाद आईआईटी कानपुर से पाँच साल का इकोनॉमिक्स से इंटीग्रेटेड एमएससी कोर्स भी किया जा सकता है।
/articles/karsai-vayaapaara-kao-karaiba-sae-jaananae-kae-laie-banaen-arathasaasatarai