यदि आप कृषि के विज्ञान पक्ष में करियर बनाने के इच्छुक हैं तो पशु विज्ञान इस संबंध में विशेष क्षेत्र है। पशु वैज्ञानिक मांस, मछली तथा डेयरी उत्पादों के उत्पादन तथा प्रसंस्करण में सुधार लाने के अनुसंधान कार्य करते हैं। वे पालतू बनाए गए फार्म पशुओं, आनुवंशिक, पोषण, पुनर्जनन, वर्धन तथा विकास का अध्ययन करने के लिए जैवप्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं। कुछ पशुवैज्ञानिक पशुधन खाद्य उत्पादों का निरीक्षण तथा श्रेणीकरण करते हैं, पशुधन खरीदते हैं या तकनीकी बिव्री अथवा विपणन में कार्यरत हैं। विस्तार एजेंटों वैतनिक या सलाहकार के रूप में पशु वैज्ञानिक कृषि-उत्पादकों को पशु आवासन सुविधाओं को उपयुक्त रूप से बढ़ाने, अपने पशुओं की मृत्यु-दर कम करने, अपशिष्ट पदार्थों के उपयुक्त रूप से हस्तन या दूध या अंडों जैसे पशु-उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि करने के उपायों पर सलाह देते हैं।
कृषि-व्यवसाय एक बड़ा व्यवसाय है। इस व्यवसाय की पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्तियों की विपणन, वाणिज्य वस्तु विशेषज्ञों, विव्रय प्रतिनिधियों, कृषि अर्थशास्त्री, लेखाकार, वित्त-प्रबंधकों तथा जिंस व्यापारियों के रूप में आवश्यकता होती है और इन्हें इन क्षेत्रों में रोज़गार पर रखा जाता है। केवल ये ही नहीं, इनके अलावा और भी कई क्षेत्र हैं। करियर की अन्य संभावनाएं संचार तथा शिक्षा, समाज सेवा और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में विद्यमान हैं। यद्यपि खाद्य उत्पादन कृषि उद्योग का मुख्य क्षेत्र है, किंतु जैसा कि हम पहले भी उल्लेख कर चुके हैं वस्त्र तथा रेशा भी कृषि उद्योग के एक बहुत बड़े भाग का हिस्सा है।
तैनाती तथा संभावनाएं
भारत, विश्व में वनस्पति तथा फलों के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है और इसका पुष्पोत्पादन आधार भी उतना ही मजबूत है। आज भारत की कृषि सार्वभौम हो गई है तथा भारतीय कृषि को विश्व-अर्थव्यवस्था से मिलाने के दृष्टिकोण को समर्थन मिल रहा है। मशरूम से लेकर फूलों, मसालों, अनाज, तिलहन तथा वनस्पति जैसी कृषि सामग्रियों के एक निर्यातक के रूप में भारत की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। कृषि-उत्पादों के निर्यात के लिए सरकारी समर्थन मिलने से उन अग्रणी विदेशी कंपनियों के साथ व्यवसाय संस्थाओं में पर्याप्त रुचि उत्पन्न हुई हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी अंतरण करार, विपणन-समझौते तथा प्रबंध एवं व्यापार संबंध स्थापित किए हैं। बागवानी अपनी पुष्पोत्पादन शाखा के साथ निर्यात कार्यकलापों, का आकर्षण बन गई है। गुलाब, कार्नेशन्स, ग्लेडिओली, गुलदाउदी (व्रिसेन्थेमम्स), चमेली तथा अन्य उष्णकटिबंधी पौधों एवं फूलों का भारत का निर्यात नई ऊंचाईयों को छू रहा है।
फलों तथा वनस्पति के क्षेत्र में भी भारत की बहुत बड़ी निर्यात-संभावनाएं हैं। कृषि तथा बागवानी के व्यवसायीकरण के साथ ही वैतनिक कार्यों तथा उद्यम चलाने के विविध अवसर हैं। जहां एक ओर विभिन्न सरकारी तथा निजी संस्थाओं में वैज्ञानिक कार्य एक नियमित आय प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी और उद्यम आकर्षक लाभ का सृजन कर सकते हैं।
होटल, स्वास्थ्य देखरेख संस्थाएं तथा हॉलीडे रिसोर्ट्स अपने आस-पास के परिवेश को सौंदर्यपूर्ण बनाने के लिए भूदृश्यांकनकर्ताओं तथा उद्यान विज्ञानियों की सेवाएं लेते हैं।पुष्प विव्रेता तथा पौधशालाएं (नर्सरी), विशेष रूप से महानगरों में, लाभप्रद व्यवसाय कर रही हैं। उपनगरों के फार्महाउस घरेलू मंडी के लिए महत्वपूर्ण वितरक बन गए हैं।
विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, विशेषज्ञता के संबंधित क्षेत्रों से विभिन्न पदों के लिए कृषि स्नातकोत्तर व्यक्तियों की भर्ती करते हैं। नीचे कुछ ऐसे पद दिए गए हैं, जिन्हें सामान्यतः कृषि विश्वविद्यालय विज्ञापित करते हैं: पादप रोगविज्ञानी, ब्रीडर, कृषि मौसम विज्ञानी, आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, अनुसंधान इंजीनियर, सस्य विज्ञानी, वैज्ञानिक, एसोशिएट प्रोफेसर।
अन्य पद हैं - सहायक वैज्ञानिक, सहायक प्रोफेसर, जिला विस्तार विशेषज्ञ, सहायक पादप रोगविज्ञानी, सहायक बैक्टीरियोलोजिस्ट, सहायक वनस्पति विज्ञानी सहायक मृदा रसायन, सहायक मृदा विज्ञानी, सहायक आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, सहायक फल ब्रीडर, सहायक बीज अनुसंधान अधिकारी, कनिष्ठ कीट विज्ञानी, सहायक ब्रीडर, कनिष्ठ ब्रीडर, कनिष्ठ सस्य विज्ञानी, सहायक पौधा वनस्पति विज्ञानी, बीज उत्पादन सहायक, सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक, सहायक पादप शरीर विज्ञानी।
उक्त सभी पदों के लिए योग्यता संबंधित विषय में डॉक्टर डिग्री/मास्टर डिग्री हैं। तथापि, कुछ पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में अनुभव अपेक्षित होता है तथा सहायक प्रोफेसर और अन्य अध्यापन पदों के लिए उम्मीदवार नेट (वि.अ.आ./वै.औ.अ.प./भा.कृ.अ.प./अन्य द्वारा संचालित) उत्तीर्ण होने चाहिए। वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में पीएच.डी. एक अनिवार्य अपेक्षा होती है।
कोई भी व्यक्ति अनुसंधान के क्षेत्रों में भा.कृ.अ.प. के अंतर्गत करियर चुन सकता है, कोई भी व्यक्ति एक कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक (क.अ.वै.) बन सकता है। इन पदों पर भर्ती क.अ.वै/नेट परीक्षा - जो वैज्ञानिक पद तथा लेक्चरशिप के लिए संचालित की जाती है, के माध्यम से की जाती है। इस समय पहली बार कृ.वै.भ.बो. (ए.एस.आर.बी.) ने क.अ.बै./नेट परीक्षा मानदण्ड में परिवर्तन किया है। अब क.अ.वै./नेट (प्रारंभिक और मुख्य) परीक्षा कृ.वै.भ.बो. द्वारा संचालित की जाया करेंगी। जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे केवल उन्हें ही मुख्य परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। क.अ.वै. के साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा में उनके निष्पादन के आधार पर किया जाएगा।
भा.कृ.अ.प. में भी कृषि स्नातकों, स्नातकोत्तरों तथा डॉक्टरोट डिग्रीधारियों के लिए बेहतर विकल्प है। स्नातक डिग्रीधारी व्यक्ति संबंधित विषय में कुछ तकनीकी पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। टी-5 (तकनीकी अधिकारी) स्तर के कुछ तकनीकी पद भी स्नातकोत्तर व्यक्ति के लिए बेहतर विकल्प हैं और तकनीकी (टी-5) पद से उच्च पद जैसे टी-6 आदि तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों में विषय विशेषज्ञ के पद पीएच.डी. डिग्रीधारियों के लिए बेहतर अवसर हैं।
कोई भी व्यक्ति कृषि विकास अधिकारी (कृ.वि.अ.) बन सकता है। यह पद ब्लॉक विकास अधिकारी (ब्लाॅ.वि.अ.) के समकक्ष है। इन पदों पर भर्ती लोक सेवा आयोग/संबंधित विभाग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के आधार पर की जाती है।
आप निजी क्षेत्र के संगठनों में अनुसंधान वैज्ञानिक के पद के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। वहां, आपकी सेवाएं निजी प्रयोगशालाओं में प्रयोगशालाओं में भी उपयोग में ली जा सकती हैं। इस उद्देश्य के लिए अपेक्षित वांछनीय योग्यता डॉक्टरल स्तर की अर्थात् पीएच.डी. है।
अपनी बी.एससी. करने के बाद आप, बैंकों, वित्त क्षेत्र, बीज कंपनियों, प्रजनन फार्मों, मुर्गीपालन फार्मों तथा बीमा कंपनियों आदि द्वारा दिए जाने वाले रोज़गार के लिए आवेदन करने के पात्र हो जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक तथा राष्ट्रीयकृत बैंक स्नातकोत्तर व्यक्तियों को कृषि तथा समवर्गी क्षेत्रों में फील्ड ऑफिसर, ग्रामीण विकास अधिकारी तथा कृषि एवं परिवीक्षाधीन अधिकारी बनने के अवसर देते हैं।
बीज कंपनियों में बीज अधिकारी, वैज्ञानिक (प्रजनन, पादप संरक्षण आदि) के रूप में कार्य ग्रहण करने और तकनीकी तथा अन्य फील्ड कार्य के भी अवसर हैं। इनके अतिरिक्त फार्म प्रबंध, भूमि मूल्यांकन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा लेवलिंग के क्षेत्रों में भी अवसर विद्यमान हैं। सरकारी तथा निजी दोनों क्षेत्रों में विपणन एवं विव्रय, परिवहन, फार्म उपयोगिता भंडारण और भांडागार के क्षेत्रों में भी कार्य दिए जाते हैं।
दूतावासों में कृषि विशेषज्ञ तथा अन्य पद पर कार्य-भार ग्रहण करने के भी अवसर होते हैं। कृषि क्षेत्र के अनुसंधान से जुड़े कार्य करने के लिए आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी. भी एक संगठन है।
कृषि-उद्योग उत्पादन से जुड़े व्यक्तियों के अतिरिक्त वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों, विव्रय तथा विपणन से संबंधित व्यक्तियों को कार्य देता है। कार्य के वे क्षेत्र उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, अन्न एवं बीज प्रसंस्करण, मांस तथा कुक्कुट पैकिंग, डेयरी प्रसंस्करण, वसा एवं तेल, वस्त्र, रेशा, मशीनरी एवं उपकरण, उर्वरक एवं चूना, पेस्टिसाइड्स, हर्बीसाइड, चारा-विनिर्माण, निर्माण आदि से संबंधित होते हैं, जिनके लिए संबंधित क्षेत्रों में पर्याप्त ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
इंजीनियरी की कृषि शाखा अन्य शाखाओं की तुलना में कार्य के बेहतर अवसर देती है। इस शाखा में कार्य कृषि में सुधार, सामान्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्निर्माण तथा कृषि मशीनरी, पावर, फार्म संरचनाओं, मृदा तथा जल संरक्षण, ग्रामीण विद्युतीकरण आदि के लक्षित गतिविधियों से जुड़े होते हैं।
इस अपेक्षाकृत नए क्षेत्रों में भी कार्य के अवसर हैं। कृषि से संबंधित कार्य अवसर सम्पदा तथा चाय बागानों में भी उपलब्ध होते हैं।
बीजों, रसायनों, उर्वरकों की असली कीमतों पर, पर्याप्त तथा समय पर आपूर्ति करने के कार्यों को विनियमित करने और जनता द्वारा खपत के लिए आपूर्ति किए गए खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता को भी विनियमित करने के लिए रसायनों, पादप तथा पशु संगरोध निरीक्षण, ग्रेड तथा गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कृषि तकनीशियनों, कृषि सलाहकारों, कृषि सांख्यिकीविदों, पशु चिकित्सकों, विदेश कृषि सेवा, निरीक्षण तथा विनियमन, खाद्य एवं चारे, बीज एवं उर्वरक से जुड़े व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
केन्द्र, राज्य तथा जिला स्तरों पर कई ऐसी सरकारी एजेंसियां हैं जो कृषि कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ.ए.ओ.) तथा कृषि के विकास से संबंधित कुछ अन्य एजेंसियां भी परामर्शदाताओं को नियुक्त करती हैं।
विभिन्न निगम जो कृषि वैज्ञानिकों को कार्य का अवसर प्रदान करते हैं उनमें राष्ट्रीय बीज निगम, राज्य फार्म निगम, भांडागार निगम और खाद्य निगम शामिल है।
1. आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, (ए.एन.जी.आर.ए.यू.), हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
2. कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर
3. आणन्द, कृषि विश्वविद्यालय, आणन्द, गुजरात
4. असम कृषि विश्वविद्यालय (ए.ए.यू.), जोरहाट, असम-785013
5. विधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (बी.सी.के.वी.वी.), पश्चिम बंगाल
6. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बी.ए.यू.) रांची, झारखंड
7. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (सी.ए.यू.), इम्फाल, मणिपुर
8. केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई
9. डॉ. पंजाब राव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय (पी.के.वी.), अकोला, महाराष्ट्र
10. डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी (आई.एस.पी.यू.एच. एंड ई.), हिमाचल प्रदेश
11. गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जी.वी.पी.ए.यू. एवं टी) पंतनगर, उत्तर प्रदेश
12. गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, सरदार कृषि नगर दांतीबाड़ा (बनासकांठा)
13. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
14. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर
15. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आई.जी.के.वी.वी.), कृषकनगर, रायपुर
16. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, (जे.एन.के.वी.वी.), जबलपुर, मध्य प्रदेश
17. जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, (जे.ए.यू) जूनागढ़, गुजरात
18. कोंकण कृषि विद्यापीठ (के.के.वी.), डोपाली, महाराष्ट्र
19. केरल कृषि विश्वविद्यालय (के.ए.यू.), केरल
20. महाराणा प्रताप कृषि एवं औद्योगिकी विश्वविद्यालय (एम.पी.यू.ए.टी.), उदयपुर, राजस्थान
21. महाराष्ट्र पशु विज्ञान एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय (एम.ए.एस.एफ.एस.यू.), नागपुर, महाराष्ट्र
22. महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (एम.पी.के.वी.), महाराष्ट्र
23. मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय (एम.ए.यू.) परभणी, महाराष्ट्र
24. नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नरेन्द्र नगर, फैजाबाद
25. नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, (एन.ए.यू.), नवसारी, गुजरात
26. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
27. उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
28. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना
29. राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
30. राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (आर.ए. यू.), पूसा, समस्तीपुर, बिहार
31. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एस.वी.बी.पी.यू.ए.टी.), मेरठ
32. सरदार कृषि नगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, (एस.ए.डी.ए.यू.), गुजरात
33. शेर-ए-कश्मीर कृषि मात्स्यिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, (एस.के.यू.ए.एस. एवं टी.), जम्मू
34. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
35. तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टी.एन.ए.यू.), कोयम्बत्तूर, तमिलनाडु
36. तमिलनाडु पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (टी.एन.वी. एवं ए.एस.यू.), चेन्नई
37. कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, जी.के.वी.के., बंगलौर
38. कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, कृषि नगर, धारवाड़, कर्नाटक
39. उ.प्र. पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा, उ.प्र.
40. उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय (यू.बी.के.यू.), पश्चिम बंगाल
41. पश्चिम बंगाल पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय (डब्ल्यू.बी.यू.ए. एवं एफ.एस.), कोलकाता
(यह सूची केवल उदाहरण है)
कृषि-व्यवसाय एक बड़ा व्यवसाय है। इस व्यवसाय की पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्तियों की विपणन, वाणिज्य वस्तु विशेषज्ञों, विव्रय प्रतिनिधियों, कृषि अर्थशास्त्री, लेखाकार, वित्त-प्रबंधकों तथा जिंस व्यापारियों के रूप में आवश्यकता होती है और इन्हें इन क्षेत्रों में रोज़गार पर रखा जाता है। केवल ये ही नहीं, इनके अलावा और भी कई क्षेत्र हैं। करियर की अन्य संभावनाएं संचार तथा शिक्षा, समाज सेवा और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में विद्यमान हैं। यद्यपि खाद्य उत्पादन कृषि उद्योग का मुख्य क्षेत्र है, किंतु जैसा कि हम पहले भी उल्लेख कर चुके हैं वस्त्र तथा रेशा भी कृषि उद्योग के एक बहुत बड़े भाग का हिस्सा है।
कृषि में कार्य के अवसर
तैनाती तथा संभावनाएं
भारत, विश्व में वनस्पति तथा फलों के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है और इसका पुष्पोत्पादन आधार भी उतना ही मजबूत है। आज भारत की कृषि सार्वभौम हो गई है तथा भारतीय कृषि को विश्व-अर्थव्यवस्था से मिलाने के दृष्टिकोण को समर्थन मिल रहा है। मशरूम से लेकर फूलों, मसालों, अनाज, तिलहन तथा वनस्पति जैसी कृषि सामग्रियों के एक निर्यातक के रूप में भारत की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। कृषि-उत्पादों के निर्यात के लिए सरकारी समर्थन मिलने से उन अग्रणी विदेशी कंपनियों के साथ व्यवसाय संस्थाओं में पर्याप्त रुचि उत्पन्न हुई हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी अंतरण करार, विपणन-समझौते तथा प्रबंध एवं व्यापार संबंध स्थापित किए हैं। बागवानी अपनी पुष्पोत्पादन शाखा के साथ निर्यात कार्यकलापों, का आकर्षण बन गई है। गुलाब, कार्नेशन्स, ग्लेडिओली, गुलदाउदी (व्रिसेन्थेमम्स), चमेली तथा अन्य उष्णकटिबंधी पौधों एवं फूलों का भारत का निर्यात नई ऊंचाईयों को छू रहा है।
फलों तथा वनस्पति के क्षेत्र में भी भारत की बहुत बड़ी निर्यात-संभावनाएं हैं। कृषि तथा बागवानी के व्यवसायीकरण के साथ ही वैतनिक कार्यों तथा उद्यम चलाने के विविध अवसर हैं। जहां एक ओर विभिन्न सरकारी तथा निजी संस्थाओं में वैज्ञानिक कार्य एक नियमित आय प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी और उद्यम आकर्षक लाभ का सृजन कर सकते हैं।
होटल, स्वास्थ्य देखरेख संस्थाएं तथा हॉलीडे रिसोर्ट्स अपने आस-पास के परिवेश को सौंदर्यपूर्ण बनाने के लिए भूदृश्यांकनकर्ताओं तथा उद्यान विज्ञानियों की सेवाएं लेते हैं।पुष्प विव्रेता तथा पौधशालाएं (नर्सरी), विशेष रूप से महानगरों में, लाभप्रद व्यवसाय कर रही हैं। उपनगरों के फार्महाउस घरेलू मंडी के लिए महत्वपूर्ण वितरक बन गए हैं।
कृषि-विश्वविद्यालय
विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, विशेषज्ञता के संबंधित क्षेत्रों से विभिन्न पदों के लिए कृषि स्नातकोत्तर व्यक्तियों की भर्ती करते हैं। नीचे कुछ ऐसे पद दिए गए हैं, जिन्हें सामान्यतः कृषि विश्वविद्यालय विज्ञापित करते हैं: पादप रोगविज्ञानी, ब्रीडर, कृषि मौसम विज्ञानी, आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, अनुसंधान इंजीनियर, सस्य विज्ञानी, वैज्ञानिक, एसोशिएट प्रोफेसर।
अन्य पद हैं - सहायक वैज्ञानिक, सहायक प्रोफेसर, जिला विस्तार विशेषज्ञ, सहायक पादप रोगविज्ञानी, सहायक बैक्टीरियोलोजिस्ट, सहायक वनस्पति विज्ञानी सहायक मृदा रसायन, सहायक मृदा विज्ञानी, सहायक आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, सहायक फल ब्रीडर, सहायक बीज अनुसंधान अधिकारी, कनिष्ठ कीट विज्ञानी, सहायक ब्रीडर, कनिष्ठ ब्रीडर, कनिष्ठ सस्य विज्ञानी, सहायक पौधा वनस्पति विज्ञानी, बीज उत्पादन सहायक, सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक, सहायक पादप शरीर विज्ञानी।
उक्त सभी पदों के लिए योग्यता संबंधित विषय में डॉक्टर डिग्री/मास्टर डिग्री हैं। तथापि, कुछ पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में अनुभव अपेक्षित होता है तथा सहायक प्रोफेसर और अन्य अध्यापन पदों के लिए उम्मीदवार नेट (वि.अ.आ./वै.औ.अ.प./भा.कृ.अ.प./अन्य द्वारा संचालित) उत्तीर्ण होने चाहिए। वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में पीएच.डी. एक अनिवार्य अपेक्षा होती है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
कोई भी व्यक्ति अनुसंधान के क्षेत्रों में भा.कृ.अ.प. के अंतर्गत करियर चुन सकता है, कोई भी व्यक्ति एक कृषि अनुसंधान वैज्ञानिक (क.अ.वै.) बन सकता है। इन पदों पर भर्ती क.अ.वै/नेट परीक्षा - जो वैज्ञानिक पद तथा लेक्चरशिप के लिए संचालित की जाती है, के माध्यम से की जाती है। इस समय पहली बार कृ.वै.भ.बो. (ए.एस.आर.बी.) ने क.अ.बै./नेट परीक्षा मानदण्ड में परिवर्तन किया है। अब क.अ.वै./नेट (प्रारंभिक और मुख्य) परीक्षा कृ.वै.भ.बो. द्वारा संचालित की जाया करेंगी। जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे केवल उन्हें ही मुख्य परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। क.अ.वै. के साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा में उनके निष्पादन के आधार पर किया जाएगा।
भा.कृ.अ.प. में भी कृषि स्नातकों, स्नातकोत्तरों तथा डॉक्टरोट डिग्रीधारियों के लिए बेहतर विकल्प है। स्नातक डिग्रीधारी व्यक्ति संबंधित विषय में कुछ तकनीकी पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। टी-5 (तकनीकी अधिकारी) स्तर के कुछ तकनीकी पद भी स्नातकोत्तर व्यक्ति के लिए बेहतर विकल्प हैं और तकनीकी (टी-5) पद से उच्च पद जैसे टी-6 आदि तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों में विषय विशेषज्ञ के पद पीएच.डी. डिग्रीधारियों के लिए बेहतर अवसर हैं।
राज्य कृषि विभाग
कोई भी व्यक्ति कृषि विकास अधिकारी (कृ.वि.अ.) बन सकता है। यह पद ब्लॉक विकास अधिकारी (ब्लाॅ.वि.अ.) के समकक्ष है। इन पदों पर भर्ती लोक सेवा आयोग/संबंधित विभाग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के आधार पर की जाती है।
आप निजी क्षेत्र के संगठनों में अनुसंधान वैज्ञानिक के पद के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। वहां, आपकी सेवाएं निजी प्रयोगशालाओं में प्रयोगशालाओं में भी उपयोग में ली जा सकती हैं। इस उद्देश्य के लिए अपेक्षित वांछनीय योग्यता डॉक्टरल स्तर की अर्थात् पीएच.डी. है।
बैंकिंग क्षेत्र
अपनी बी.एससी. करने के बाद आप, बैंकों, वित्त क्षेत्र, बीज कंपनियों, प्रजनन फार्मों, मुर्गीपालन फार्मों तथा बीमा कंपनियों आदि द्वारा दिए जाने वाले रोज़गार के लिए आवेदन करने के पात्र हो जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक तथा राष्ट्रीयकृत बैंक स्नातकोत्तर व्यक्तियों को कृषि तथा समवर्गी क्षेत्रों में फील्ड ऑफिसर, ग्रामीण विकास अधिकारी तथा कृषि एवं परिवीक्षाधीन अधिकारी बनने के अवसर देते हैं।
बीज कंपनियां
बीज कंपनियों में बीज अधिकारी, वैज्ञानिक (प्रजनन, पादप संरक्षण आदि) के रूप में कार्य ग्रहण करने और तकनीकी तथा अन्य फील्ड कार्य के भी अवसर हैं। इनके अतिरिक्त फार्म प्रबंध, भूमि मूल्यांकन, ग्रेडिंग, पैकेजिंग तथा लेवलिंग के क्षेत्रों में भी अवसर विद्यमान हैं। सरकारी तथा निजी दोनों क्षेत्रों में विपणन एवं विव्रय, परिवहन, फार्म उपयोगिता भंडारण और भांडागार के क्षेत्रों में भी कार्य दिए जाते हैं।
आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.
दूतावासों में कृषि विशेषज्ञ तथा अन्य पद पर कार्य-भार ग्रहण करने के भी अवसर होते हैं। कृषि क्षेत्र के अनुसंधान से जुड़े कार्य करने के लिए आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी. भी एक संगठन है।
कृषि-उद्योग क्षेत्र में करियर के अवसर :
कृषि-उद्योग उत्पादन से जुड़े व्यक्तियों के अतिरिक्त वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, प्रौद्योगिकीविदों, विव्रय तथा विपणन से संबंधित व्यक्तियों को कार्य देता है। कार्य के वे क्षेत्र उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, अन्न एवं बीज प्रसंस्करण, मांस तथा कुक्कुट पैकिंग, डेयरी प्रसंस्करण, वसा एवं तेल, वस्त्र, रेशा, मशीनरी एवं उपकरण, उर्वरक एवं चूना, पेस्टिसाइड्स, हर्बीसाइड, चारा-विनिर्माण, निर्माण आदि से संबंधित होते हैं, जिनके लिए संबंधित क्षेत्रों में पर्याप्त ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
कृषि इंजीनियरी :
इंजीनियरी की कृषि शाखा अन्य शाखाओं की तुलना में कार्य के बेहतर अवसर देती है। इस शाखा में कार्य कृषि में सुधार, सामान्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में पुनर्निर्माण तथा कृषि मशीनरी, पावर, फार्म संरचनाओं, मृदा तथा जल संरक्षण, ग्रामीण विद्युतीकरण आदि के लक्षित गतिविधियों से जुड़े होते हैं।
कृषि प्रबंध :
इस अपेक्षाकृत नए क्षेत्रों में भी कार्य के अवसर हैं। कृषि से संबंधित कार्य अवसर सम्पदा तथा चाय बागानों में भी उपलब्ध होते हैं।
सेवा क्षेत्र :
बीजों, रसायनों, उर्वरकों की असली कीमतों पर, पर्याप्त तथा समय पर आपूर्ति करने के कार्यों को विनियमित करने और जनता द्वारा खपत के लिए आपूर्ति किए गए खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता को भी विनियमित करने के लिए रसायनों, पादप तथा पशु संगरोध निरीक्षण, ग्रेड तथा गुणवत्ता नियंत्रण के लिए कृषि तकनीशियनों, कृषि सलाहकारों, कृषि सांख्यिकीविदों, पशु चिकित्सकों, विदेश कृषि सेवा, निरीक्षण तथा विनियमन, खाद्य एवं चारे, बीज एवं उर्वरक से जुड़े व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
केन्द्र, राज्य तथा जिला स्तरों पर कई ऐसी सरकारी एजेंसियां हैं जो कृषि कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन (एफ.ए.ओ.) तथा कृषि के विकास से संबंधित कुछ अन्य एजेंसियां भी परामर्शदाताओं को नियुक्त करती हैं।
निगम :
विभिन्न निगम जो कृषि वैज्ञानिकों को कार्य का अवसर प्रदान करते हैं उनमें राष्ट्रीय बीज निगम, राज्य फार्म निगम, भांडागार निगम और खाद्य निगम शामिल है।
कृषि विश्वविद्यालय :
1. आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, (ए.एन.जी.आर.ए.यू.), हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
2. कृषि विश्वविद्यालय, उदयपुर
3. आणन्द, कृषि विश्वविद्यालय, आणन्द, गुजरात
4. असम कृषि विश्वविद्यालय (ए.ए.यू.), जोरहाट, असम-785013
5. विधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (बी.सी.के.वी.वी.), पश्चिम बंगाल
6. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बी.ए.यू.) रांची, झारखंड
7. केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय (सी.ए.यू.), इम्फाल, मणिपुर
8. केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई
9. डॉ. पंजाब राव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय (पी.के.वी.), अकोला, महाराष्ट्र
10. डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी (आई.एस.पी.यू.एच. एंड ई.), हिमाचल प्रदेश
11. गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जी.वी.पी.ए.यू. एवं टी) पंतनगर, उत्तर प्रदेश
12. गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, सरदार कृषि नगर दांतीबाड़ा (बनासकांठा)
13. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
14. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर
15. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (आई.जी.के.वी.वी.), कृषकनगर, रायपुर
16. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, (जे.एन.के.वी.वी.), जबलपुर, मध्य प्रदेश
17. जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, (जे.ए.यू) जूनागढ़, गुजरात
18. कोंकण कृषि विद्यापीठ (के.के.वी.), डोपाली, महाराष्ट्र
19. केरल कृषि विश्वविद्यालय (के.ए.यू.), केरल
20. महाराणा प्रताप कृषि एवं औद्योगिकी विश्वविद्यालय (एम.पी.यू.ए.टी.), उदयपुर, राजस्थान
21. महाराष्ट्र पशु विज्ञान एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय (एम.ए.एस.एफ.एस.यू.), नागपुर, महाराष्ट्र
22. महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (एम.पी.के.वी.), महाराष्ट्र
23. मराठवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय (एम.ए.यू.) परभणी, महाराष्ट्र
24. नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, नरेन्द्र नगर, फैजाबाद
25. नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, (एन.ए.यू.), नवसारी, गुजरात
26. राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
27. उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
28. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना
29. राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
30. राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (आर.ए. यू.), पूसा, समस्तीपुर, बिहार
31. सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एस.वी.बी.पी.यू.ए.टी.), मेरठ
32. सरदार कृषि नगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, (एस.ए.डी.ए.यू.), गुजरात
33. शेर-ए-कश्मीर कृषि मात्स्यिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, (एस.के.यू.ए.एस. एवं टी.), जम्मू
34. शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर)
35. तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (टी.एन.ए.यू.), कोयम्बत्तूर, तमिलनाडु
36. तमिलनाडु पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (टी.एन.वी. एवं ए.एस.यू.), चेन्नई
37. कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, जी.के.वी.के., बंगलौर
38. कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, कृषि नगर, धारवाड़, कर्नाटक
39. उ.प्र. पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मथुरा, उ.प्र.
40. उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय (यू.बी.के.यू.), पश्चिम बंगाल
41. पश्चिम बंगाल पशु एवं मात्स्यिकी विज्ञान विश्वविद्यालय (डब्ल्यू.बी.यू.ए. एवं एफ.एस.), कोलकाता
(यह सूची केवल उदाहरण है)
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