नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला लिया है लेकिन साथ ही मजदूरों और किसानों की चिंता करते हुए राहत भी दी है। यथोचित आपसी दूरी, चेहरे पर मास्क आदि मानकों का ध्यान रखते हुए वे अपने काम कर सकते हैं। हालांकि सुखद यह है कि मनरेगा में सिंचाई और जल संरक्षण के कामों को ही प्राथमिकता दी गई है।
पूरा विश्व इन दिनों नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है वहीं भारत सरकार ने वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये बड़ी ही सूझबूझ से यथासमय जनहित के निर्णय लिये हैं। कोविड-19 की कड़ी को तोड़ने के लिये संपूर्ण लॉकडाउन 2.0 का भी निर्णय लिया गया। इसी के साथ लॉकडाउन 1.0 के 21 दिनों की बंदी के दौरान हालांकि दिहाड़ी मजदूरों, किसानों, किसान मजदूरों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। विभिन्न राज्य सरकारों ने लॉकडाउन 2.0 की घोषणा होने के साथ इस बात की सिफारिश की कि मजदूरों और किसानों के लिये कुछ किये जाने की महती आवश्यकता है।
ग्रामीण गरीबों और काम की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन किये मजदूरों के तनाव और दिक्कतों को देखते हुए उन्हें आजीविका के अवसर देने का सरकार ने फैसला लिया। उन्हें काम के अवसर मनरेगा के तहत दिये जाएगें इसके लिये कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए गृह मंत्रालय ने नई गाइडलाइन भी जारी की हैं जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि कैसे यथोचित आपसी दूरी, मुँह पर मास्क और अन्य सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए मनरेगा के तहत काम किया जाएगा।
कोविड-19 से उत्पन्न हुई वर्तमान परिस्थितियों में महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी एक्ट (मनरेगा) ही सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। इससे न केवल मज़दूरों को काम और पैसा मिलेगा बल्कि सामुदायिक और व्यक्तिगत स्थाई परिसम्पत्तियों का भी निर्माण होगा जिनका सीधा संबन्ध कृषि, बागवानी, पशुपालन, मछली औऱ रेशम कीट पालन आदि से है। इस महामारी में मज़दूरों को आर्थिक संकट से उबारने के लिये मनरेगा को रामबाण औषधि की तरह देखा जा रहा है।
गृह मंत्रालय ने लॉकडाउन 2.0 को लेकर नए दिशानिर्देश जारी किये हैं जिसमें बताया गया है कि कौन से काम मई 3, 2020 तक किये जा सकेंगे और कौन से प्रतिबंधित रहेंगे। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि लॉकडाउन अवधि के दौरान अब मनरेगा में काम किया जा सकेगा। हालांकि इन कामों की शुरुआत 20 अप्रैल से की जाएगी। लेकिन कामों की जगहों पर लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए ही काम की इजाजत होगी।
कोरोनावायरस से बचाव के लिये सुझाए गए उपायों में हाथ धोना अपने आप में अहम कदम है जिससे आने वाले दिनो में पानी की खपत भी बढ़ेगी। ऐसे में जरूरी है कि जल संरक्षण जैसे कामों की अभी से तैयारी की जाए ताकि बरसात के आने पर हम ज्यादा से ज्यादा पानी सहेज पाएं और जल संकट की स्थिति उत्पन्न न हो।
क्या कहते हैं नए दिशानिर्देशः
गृह मंत्रालय ने यह भी साफ तौर पर कहा है कि इन कार्यों में प्राथमिकता सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़े कामों को ही दी जाएगी। इसके अतिरिक्त सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़ी विभिन्न केंद्र और राज्य स्तरीय योजनाएं भी कार्यान्वित की जा सकेंगी और उनका समायोजन मनरेगा के तहत होगा।
मनरेगा के तहत कार्यो का विवरणः
सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ी निम्न गतिविधियां की जा सकेंगी.
(1) कृषि कार्यों में सुधार के लिये भूमि विकास के कार्य (बंजर भूमि/परती भूमि/ जलमग्न क्षेत्र),
(2) बेंच टैरेस (स्तर / अपलैंड)
(3) तटबंध (बाढ़ नियंत्रण/ ग्रामीण कनेक्टिविटी),
(4) बंड्स (पेरिफेरल / फार्म / फील्ड / कंटूर / ग्रेडेड ऑफ अर्थन / पेबल / स्टोन),
(5) चेक डैम (ब्रशवुड / मिट्टी / बोल्डर / चिनाई / सीसी)
(6) अंडरग्राउंड डाइक्स ,
(7) गली प्लग्स (मिट्टी/ स्टोन बोल्डर),
(8) स्पर्स ( वायर क्रेट- गेबियन/पत्थर/ मिट्टी),
(9) ट्रेंच (स्टेगर्ड/ कंटीनुअस कंटूर/ वाटर अबजोर्पशन),
(10) नहरें (फीडर/ वितरक/ माइनर/ सब-माइनर/ वाटर कोर्स),
(11) चैनल (बाढ़/ डायवर्जन/सोख्ता),
(12) ड्रेन (डायवर्जन/ इंटरमीडिएट और लिंक),
(13) तालाब (मछलीपालन/फिशिंग/ जल संरक्षण/स्टेबिलाइजेशन),
(14) छोटे परकोलेशन तालाब,
(15) लाइन प्लांटेशन (होर्टिकल्चर /फार्म फोरेस्ट्री / शेल्टर बेल्ट ट्री),
(16) ब्लॉक प्लांटेशन (बायोड्रेनेज / होर्टिकल्चर /फार्म फोरेस्ट्री ट्री /सेरिकल्चर),
(17) सिल्विपास्चर ग्रासलैंड का विकास,
(18) रीचार्ज पिट,
(19) खेल के मैदान.
#जारी किये गए नए दिशानिर्देश बार बार इस बात पर जोर देते हैं कि जहाँ भी ये काम किये जाएं इन जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। मनरेगा के पैरा 10 की सूची 1 के अनुसार, “सार्वजनिक निर्माण कार्यों की श्रेणी मे काम शुरु करते समय यह ध्यान रखा जाए कि जो पहले के अधूरे या चल रहे काम थे उन्हें पहले पूरा किया जाए.” स्वयं सहायता समूहों के लिये परिसंपत्तियां तैयार करने के लिये निम्न कार्य किये जा सकते हैंः
(1) आजीविका गतिविधियों के लिये कार्य,
(2) कृषि उत्पादों के लिये भण्डारण गृह बनाना,
(3) नर्सरी लगाना,
(4) कम्पोस्ट पिट (वर्मी/ नाडेप),
(5) द्रव जैव खाद के लिये ढाँचा निर्माण. नियमावली यह भी स्पष्ट करती है कि कंटेनमेंट जोन में सभी कार्य प्रतिबंधित रहेंगे। यदि कोई नया क्षेत्र भी कंटेनमेंट जोन के रूप में घोषित होता है तो वहाँ भी कार्य प्रतिबंधित होंगे। मनरेगा के तहत काम की शुरुआत करना मतलब मजदूरों के लिये एक बड़ी राहत की बात है।
लॉकडाउन के चलते जो काम बंद हो गए थे, दिहाड़ी मजदूरों के लिये आजीविका का संकट पैदा हो गया, जिसके चलते देश में एक बड़ा तबका रोजी- रोटी से वंचित होकर सड़कों पर उतरा उसे बीमारी से ज्यादा भूख की चिंता सताने लगी। ऐसे में लॉकडाउन 2.0 में उनको राहत मिली है, साथ ही उम्मीद करते हैं कि काम की सभी जगहों पर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि जैसे नियमों का पालन होगा और देश में सभी कामों को आसानी से करते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण को रोका जा सकेगा।
अधिक जानकारी के लिये संबंधित गाइडलाइन देखें
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