राष्ट्रीय सहारा, 03 अप्रैल 2020
कभी-कभी खुशखबरी भी काटने को दौड़ती है, जिस बात की हम बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं, वह अगर मिल जाए तो बुरा लगने लगता है। आज कोरोना वायरस से पीड़ित समस्त विश्व में अर्थव्यवस्था ठप हो गई है, जिसके कारण जलवायु परिवर्तन के पेरिस समझौते के लक्ष्य को इसी साल हासिल किया जा सकता है, लेकिन दुनिया के हर क्षेत्र के इंसान को शिक्षा, स्वास्थ्य, घर, भोजन आदि मुहैया कराने के लक्ष्य को पाना कठिन हो गया है। पूरी दुनिया में औद्योगिक विकास के लिए हो रही गलाकाट प्रतियोगिता के कारण इंसान का जीवन ही संकट में पड़ गया है। ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी बढ़ोतरी के कारण जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र का स्तर उठना, अनेक तरह की बीमारियों का पैदा होना, लोगों के लिए पीने के पानी की समस्या खड़ी होना, नदियों का सूखना आम बात हो गई है।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन काॅन्फ्रेंस यूएनएफसीसीसी अपने स्तर पर अनेक तरह से काम कर रहा है। 2015 में पेरिस में कोप-21 की बैठक में सभी इस बात पर सहमत हो गए थे, कि धरती के तापमान को औद्योगिक क्रांति से पहले के तापमान से 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस कम किया जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए दुनिया के देशों ने अपने-अपने कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य तय किए हैं। कोविड १९ की त्रासदी से सभी देशों की अर्थव्यवस्था का पहिया थम-सा गया है। सारी आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। इसके कारण कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कमी आई है। सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्व कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 0.3 से लेकर 1.2 फीसदी की कमी आएगी।
यूरोप में कार्बन ड़ाइऑक्साइड़ का उत्सर्जन 24 फीसदी तक कम हो जाएगा इसकी वजह इटली, फ्रांस, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। आईसीआईएस के अनुसार यूरोप में बिजली की मांग में 10 फीसदी तक कमी होगी। चीन में महामारी फैलने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में 25 फीसदी तक की कमी होगी और बिजली की मांग में भी ९ फीसदी की कमी आएगी। इस हिसाब से पेरिस समझौते का जो लक्ष्य तय किया गया है, उसे 2030 की जगह 2020 में ही हासिल किया जा रहा है, लेकिन इस लक्ष्य के बहुत दूरगामी दुष्परिणाम है, क्योंकि विकास का पहिया रुक गया है और दुनिया भर की आबादी को गरीबी, भुखमरी मुक्त करने और सबको शिक्षा, घर देने के संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल हासिल करने में कठिनाई होगी। कोरोना वायरस के कारण गुणवत्तायुक्त शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ रहा है। दुनिया भर में क्लासरूम बंद है।
TAGS |
corona in japan, diamond princess ship, save water, handwashing, turn off tap, corona virus, precautions of corona virus, corona virus india, corona, what is corona virus, corona se kaise bache, bharat mein corona virus, prevention of corona virus in hindi, #coronaindia, corona virus se bachne ke upaay, corona helpline number, corona helpline number india, covid 19, novel corona, modi, narendra modi, paris treaty, paris samjhauta, save water, handwashing, turn off tap. |
/articles/kaoraonaa-sae-pauuraa-hao-rahaa-paeraisa-samajhaautae-kaa-lakasaya