सिंगापुर, रायटर। कोरोना वायरस के विसंक्रमण के लिए किए जा रहे रसायनिक छिड़काव से स्वास्थ्य खतरे का अंदेशा पैदा हो गया है। इसको लेकर नई बहस शुरू हो गई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद यह काम बड़े पैमाने पर हो रहा है। दुनिया के जिस भी देश में कोरोना का प्रकोप फैला है वहां एहतियात के तौर पर बड़े पैमाने पर छिड़काव हो रहा है। तुर्की का ग्रांड बाजार हो या मेक्सिको के पुल या भारत के पलायित मजदूर... विशेष सुरक्षा सूट पहने कर्मचारी इन पर रासायनिक छिड़काव करते नजर आ रहे हैं। इंडोनेशिया के दूसरे सबसे बड़े शहर सुराबया में तो ड्रोन से छिड़काव किया जा रहा है। इससे निकला रसायन काफी देर तक हवा में मौजूद रहा।
WHO ने चेतावनी दी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) से संबद्ध ग्लोबल आउटब्रेक एलर्ट एंड रेस्पांस नेटवर्क के प्रमुख और संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डेल फिशर ने कहा कि कई देशों में छिड़काव की हास्यास्पद तस्वीरें देखने को मिली हैं। मुझे नहीं लगता कि इससे कोरोना वायरस की रोकथाम में मदद मिलेगी। इससे लोगों की दूसरी समस्याएं बढ़ जाएंगी। उधर, सुराबाया शहर में ड्रोन से किए गए छिड़काव पर सफाई देते हुए मेयर के प्रवक्ता ने कहा कि इस इलाके में संक्रमण के मामले अधिक होने के कारण ऐसा करना पड़ा। प्रवक्ता फेब्रियादित्या प्रजातारा ने कहा कि बेंजलकोनियम के छिड़काव से लोगों को त्वचा संबंधी परेशानी हो सकती है लेकिन साबुन लगाने से न केवल इसमें आराम मिलेगा बल्कि वायरस का असर भी कम होगा।
छिड़काव से पैदा हुआ दूसरा खतरा
दरअसल, कोरोना वायरस श्वसन संबंधी संक्रमित रोग है। यह खांसने और छींकने से हवा में फैलने वाले तरल कणों (ड्रापलेट) के संपर्क में आने से एक दूसरे में आता है। इसके साथ ही किसी संक्रमित के संपर्क में आने के बाद हाथ के जरिये इसका वायरस नाक, मुंह व आंख से शरीर में प्रवेश कर सकता है। सुराबाया के निवासी अली सरबोनो ने ड्रोन से छिड़काव के फैसले का स्वागत किया है। उनके अनुसार इससे छत सहित सभी जगह रसायन पहुंच जाता है जबकि जमीन पर रहकर किए गए छिड़काव से चहारदीवारी तक ही दवा पहुंच पाती है।
सोशल डिस्टेंस कारगर उपाय
एशिया पैसेफिक सोसायटी ऑफ क्लीनिकल माइक्रोबायोलाजी एंड इंफेक्शन के पाल तांबियाह ने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए छिड़काव की अपेक्षा बार बार हाथ धोने और सार्वजनिक प्रयोग की सतह की सफाई रखने से ज्यादा बेहतर परिणाम आते हैं। शारीरिक दूरी भी एक बेहतर उपाय है। भारत के बरेली शहर में मजदूरों पर कीटनाशक के छिड़काव की घटना को लेकर विश्वव्यापी प्रतिक्रिया हुई है। इसी तरह मलेशिया में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान ट्रकों से किए जा रहे छिड़काव की तस्वीरों ने भी विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
रोकथाम में छिड़काव नहीं है कारगर
इसी तरह सिंगापुर माउंट एलिजाबेथ अस्पताल के संक्रामक रोग विशेषज्ञ लियोंग हो नाम का कहना है कि बड़े पैमाने पर किया जा कहा छिड़काव देखने में अच्छा लग रहा है और इससे लोगों की हिम्मत भी बढ़ रही है लेकिन यह कोरोना की रोकथाम में कारगर नहीं है। इससे तो बेहतर रहता कि लोगों पर पानी की बौछार छोड़कर उन्हें घर जाने पर मजबूर किया जाता। लोगों को घरों में रोककर ज्यादा बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं।
संसाधनों की बर्बादी
मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक व संक्रामक रोग विशेषज्ञ क्रिस्टोफर ली ने बताया कि सड़कों पर छिड़काव से कोई विशेष लाभ नहीं होने वाला। यह समय और संसाधनों की बर्बादी है। उधर, मलेशिया के स्वास्थ्य महा निदेशक नूर हिशाम अब्दुल्लाह ने मंगलवार को कहा कि छिड़काव का काम ठीक से करने के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सड़क किनारे इस तरह के बॉक्स चैंबर लगाए गए हैं जिनमें कोई भी खड़ा होकर खुद पर छिड़काव करा सकता है। इस तरह के बॉक्स से खुद को सैनिटाइज कर बाहर निकलीं फैनी अनीशा ने कहा कि बस के सफर में मैंने बहुत सी चीजों को छुआ था। लेकिन छिड़काव के बाद मैं खुद को सुरक्षित महसूस कर रही हूं। हालांकि इंडोनेशिया विवि में जन स्वास्थ्य के प्रोफेसर विकू अदिसामितो इस को सही नहीं मानते। उनके अनुसार इस तरह का छिड़काव त्वचा, मुंह और आंखों के लिए ठीक नहीं है।
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