कोपे दई मेघ ना होई, खेती सूखति नैहर जोई।
पूत बिदेस खाट पर कन्त, कहैं घाघ ई विपत्ति क अन्त।।
भावार्थ- ईश्वर कुपित हो गया है, बरसात नहीं हो रही है, खेती सूख रही है, पत्नी मायके चली गयी हैं, पुत्र परदेश में हैं, पति खाट पर बीमार पड़ा है, घाघ कहते हैं कि यह स्थिति विपत्ति की चरम सीमा है।
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