कोल्ड ड्रिक्स के स्वाद पर न जायें, सेहत को देखें

इन शीत पेयों में मिले कीटनाशी पदार्थों के कारण कैंसर, यौन विकार, डीएनए परिवर्तन, गर्दन एवं स्नायु-तंत्र में कमजोरी जैसी बीमारियाँ हो रही हैं। वहीं इन कोल्ड ड्रिंक्स को पीने वालों का गला, किडनी, लीवर खराब हो रहा है। हड्डी कमजोर होकर भुरभुरी हो जा रही है। कैंसर हो रहा है। नर्वस ब्रेक डाउन हो रहा है। महिलाओं को गर्भपात हो रहा है। पीने वाले मोटापे के शिकार हो रहे हैं। सुनने, सोचने, समझने की शक्ति क्षीण हो रही है।

कोल्ड-ड्रिंक्स अपने स्वाद की खासियत के चलते दुनिया में आज सर्वाधिक पसंदीदा बन गये हैं। दुनिया भर में इसके प्रति दीवानगी है। किसी को भले ही पीने को साफ पानी नसीब न हो किन्तु यदि जेब में पैसा है तो उसे हर कहीं पीने को स्वादिष्ट पेय अवश्य मिल जायेगा। दुनिया के कुछ विहीन क्षेत्रों में भी इन्होंने अपनी पहुंच बना ली है। कई सम्पन्न देशों के बच्चों ने तो इन्हें पानी का स्थान दे दिया है। वहां के स्कूलों में पानी की जगह कोल्ड ड्रिंक्स की खपत बढ़ गयी है। भारत भी इस पाश्चात्य कोल्ड-ड्रिंक्स के प्रति दीवानगी से अछूता नहीं है। यहां भी बच्चे बड़े सभी इसके मुरीद हैं। बड़े देश अमेरिका की शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उत्पाद पेप्सी व कोक की यहां तूती बोलती है। यह कम्पनी इतनी ताकतवर है कि भारत के किसी भी कोने में किसी भी प्रदेश में मनमानी अर्थात दादागिरी कर सकती है। यह दादागिरी नहीं तो और क्या है जो ये विदेशों में कीटनाशक विहीन स्वास्थ्य निरापद कोल्ड-ड्रिंक्स बेचते हैं और भारत में इसमें कई प्रकार के कीटनाशक मिलाकर बेचते हैं।

भारतीय प्रयोगशालाओं ने बहुत पहले कोल्ड-ड्रिंक्स में खतरनाक कीटनाशकों के मिले होने की पुष्टि कर दी है। कोल्ड-ड्रिंक्स की जीवाणु विहीन करने के उद्देश्य से कीटनाशक मिलाने की बात ये स्वीकारते हैं जबकि बड़े देशों में बिकने वाले अपने कोल्ड-ड्रिंक्स को मानक के अनुसार रखते हैं। पेप्सी एवं कोक अमेरिका सहित अन्य देशों में अपने कोल्ड-ड्रिंक्स में कीटनाशक नहीं मिलाते जबकि भारत में ये खतरनाक पेस्टीसाइड्स कीटनाशक मिलाकर बेच रहे हैं। भारत में बिक रहे इन कोल्ड ड्रिंक्स में चार खतरनाक पेस्टीसाइड्स डीडीटी, मेलाटियान मेटाबोलाइट्स लिंडेन, क्लोराफारिफोस मिला रहता है। इसकी मात्रा निर्धारित से 15 से 87 गुना ज्यादा है। कोल्ड-ड्रिंक्स एवं कीटनाशक दोनों खतरनाक : किसी भी जीव के लिये कोल्ड-ड्रिंक्स एवं कीटनाशक दोनों ही खतरनाक हैं। इन शीत पेयों में मिले कीटनाशी पदार्थों के कारण कैंसर, यौन विकार, डीएनए परिवर्तन, गर्दन एवं स्नायु-तंत्र में कमजोरी जैसी बीमारियाँ हो रही हैं। वहीं इन कोल्ड ड्रिंक्स को पीने वालों का गला, किडनी, लीवर खराब हो रहा है। हड्डी कमजोर होकर भुरभुरी हो जा रही है। कैंसर हो रहा है। नर्वस ब्रेक डाउन हो रहा है। महिलाओं को गर्भपात हो रहा है। पीने वाले मोटापे के शिकार हो रहे हैं। सुनने, सोचने, समझने की शक्ति क्षीण हो रही है।

यह कीटनाशक एवं उन रसायनों का प्रभाव है जो ड्रिंक्स में स्वाद एवं जीवाणु विहीन करने के लिये मिलाए गये हैं। प्रयोगशाला एवं चिकित्सक इसकी पुष्टि करते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स जब इतने खतरनाक हैं तो इसमें भी गुटखा, सिगरेट की भांति हानिकारक का लेबल अवश्य लगाया जाना चाहिये। न्यायालय व सरकारों द्वारा ऐसे मामलों को महत्व देते हुए जनहित में उचित कदम उठाने चाहिये। कोल्ड-ड्रिंक्स निर्मात्री ये बड़ी कंपनियां भले ही न्यायालय की बातें अनसुनी कर दें और सरकारों को मुट्ठी में कर लें किन्तु देश का आम नागरिक अपने स्वास्थ्य हित की बात को तो ध्यान में रख सकता है। वह न इनके विज्ञापनों से प्रभावित हो और न ही इनके स्वाद पर जाये। वह इसकी घातकता को ध्यान में रखकर अपनी सेहत को महत्व दे। न स्वयं कोल्ड ड्रिंक्स पिएं और न पीने पिलाने के लिये किसी को प्रेरित करें। स्वाद के सापेक्ष में सेहत सर्वोपरि है।
 

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