महाराष्ट्र के सभी हिस्सों में प्रगति हो रही है, लेकिन विकास की इस दौड़ में विदर्भ लगातार पिछड़ता जा रहा है। मनमानी का आलम यह है कि जिन प्रकल्पों के निर्माण के लिए पर्यावरण विभाग से मंजूरी भी नहीं मिली थी। उन्हें जल संपदा विभाग ने पानी देने की अनुमति दे दी, वह भी बगैर बजट पारित किए हुए। बजट का आवंटन न होने पर भी कार्य कराया गया और इसके लिए 194.35 करोड़ का भुगतान भी किया गया। जलसंपदा विभाग की ऐसी दरियादिली किसानों के लिए क्यों नहीं होती।विदर्भ में ही सिर्फ बिजली प्रकल्प क्यों? विदर्भ में क्या पर्याप्त पानी है? क्या विदर्भ की उपजाऊ जमीन की कोई कीमत नहीं है? क्या यहां बस्ती नहीं है? इन सब का जवाब है- हां सब कुछ है, फिर भी यहां इतनी संख्या में बिजली के प्रकल्प क्यों? यहां की जनता सीधी-सादी है, जो कुछ बोलती नहीं और नेता अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं। आखिर क्या वजह है कि इस इलाके में जरूरत से ज्यादा बिजली के प्रकल्पों का निर्माण किया जा रहा है। दरअसल, इन प्रकल्पों से नुकसान जनता को और फायदा नेताओं को ही हो रहा है। मिसाल के तौर पर अमरावती जिले में स्थापित हो रहे बिजली प्रकल्प का वहां की स्थानीय जनता के साथ नेता भी तीव्र विरोध कर रहे थे, लेकिन कुछ दिनों के बाद नेताओं ने इससे किनारा कर लिया। आखिर ऐसा क्या हो गया कि जनता के सुर में सुर मिलाने वाले ये सफेदपोश अचानक खामोश हो गए। कहीं इन नेताओं की नीयत तो नहीं बदल गई तभी तो उन्होंने विदर्भ की भोली-भाली जनता और खेतिहर मजदूरों की कीमत पर इन पॉवर प्रोजेक्टों के मामले में चुप्पी साध ली है।
विदर्भ में पर्याप्त पानी होने के बावजूद भी किसानों को खेती के लिए पानी नहीं मिल रहा है। यह सब जानते हुए भी महाराष्ट्र सरकार आंख मूंदकर बिजली प्रकल्पों को मंजूरी दे रही है। इन प्रोजेक्टों के लिए नदियों का पानी आरक्षित कर रही है। सरकार को इस बात की कोई फिक्र नहीं है कि इससे स्थानीय किसानों, पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर कितना बुरा प्रभाव पड़ेगा। सरकार के इस रुख से साफ है कि वह समूचे विदर्भ को बिजली घर बनाने पर तुली है। विदर्भ के साथ हो रहे इस सौतेले व्यवहार से यहां की जनता काफी आहत है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या विदर्भ में बिजली प्रकल्पों के अलावा कोई अन्य औद्योगिक इकाई नहीं शुरू की जा सकती, जबकि विदर्भ में चीनी उद्योग, संतरा प्रोसेसिंग और सूतगिरणी की पूरी संभावनाएं मौजूद हैं। आखिर सरकार इन उद्योगों को विदर्भ में लगाने पर उदासीन क्यों है? विदर्भ इलाके में पैदा होने वाली बिजली से राज्य के कई उद्योग-धंधे चल रहे हैं।
प्रदेश के सभी हिस्सों में प्रगति हो रही है, लेकिन विकास की इस दौड़ में विदर्भ लगातार पिछड़ता जा रहा है। मनमानी का आलम यह है कि जिन प्रकल्पों के निर्माण के लिए पर्यावरण विभाग से मंजूरी भी नहीं मिली थी। उन्हें जल संपदा विभाग ने पानी देने की अनुमति दे दी, वह भी बगैर बजट पारित किए हुए। बजट का आवंटन न होने पर भी कार्य कराया गया और इसके लिए 194.35 करोड़ का भुगतान भी किया गया। जलसंपदा विभाग की ऐसी दरियादिली किसानों के लिए क्यों नहीं होती। जलसंपदा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो स्थिति स्वतः स्पष्ट हो जाएगी। वर्ष 2006 में विदर्भ के बड़े बांधों में कुल 2236 दलघमी, वर्ष 2007 में 2025 दलघमी, वर्ष 2008 में 1149 दलघमी, वर्ष 2009 में 1614 दलघमी और वर्ष 2010 में 2229 दलघमी पानी संग्रहित था, जबकि विदर्भ के बड़े बांधों में पानी संग्रह की कुल क्षमता 2858 दलघमी है। इतना पानी होने के बावजूद विदर्भ में जनवरी का महीना शुरू होते ही पेयजल संकट पैदा हो जाता है।
रबी की फसल के लिए सिंचाई का पानी भी नहीं मिल पाता। विदर्भ में उपलब्ध पानी का इस्तेमाल पॉवर प्रोजेक्टों के लिए नहीं किया जाए तो न ही खेतों की फसलें सूखेंगी और न ही किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ेगा। गौरतलब है कि गोसीखुर्द बांध विदर्भ का सबसे महत्वाकांक्षी सिंचाई प्रकल्प है। इसका निर्माण भंडारा जिले के पवनी तालुका में वैनगंगा नदी पर किया जा रहा है। इस प्रकल्प के पूरा होने पर इसकी जल संग्रहण क्षमता 740.168 दस लाख घनमीटर होगी, जिससे 6,19476 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि गोसीखुर्द बांध को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है और इसके वर्ष 2013 तक पूरा होने की उम्मीद है, लेकिन इसके पूरा होने से पहले ही नदी के पानी का बंटवारा कर दिया गया है। फिलहाल इस बांध में 300 दलघमी पानी जमा हो रहा है, वहीं नागपुर के मौदा तहसील में बनने वाले एनटीपीसी के लिए सरकार ने इस नदी से 100 दलघमी पानी आरक्षित कर दिया है। इसी तरह भंडारा के मौजा पांढराबोडी में बनने वाले डी.बी. प्रोजेक्ट के लिए 40 दलघमी पानी देने का फैसला किया गया है। इन दोनों पॉवर प्रोजेक्ट से 2320 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू होगा, लेकिन इससे 11,0298 एकड़ भूमि की सिंचाई प्रभावित होगी।
नागपुर के निकट पारशिवनी स्थित पेंच (नवेगांव खैरी) प्रकल्प का निर्माण वैनगंगा की उपनदी पर किया गया है। इसमें पेंच जलविद्युत प्रकल्प तोतलाडोह प्रमुख है। इस प्रकल्प में पानी की कुल क्षमता 1272 दलघमी है। हालांकि, सिंचाई विभाग इस बांध से 25,8055 एकड़ कृषि क्षेत्र की सिंचाई करने का दावा कर रहा है जो हकीकत से परे है। क्षेत्र के किसान अक्सर समय पर पानी न मिलने की शिकायत करते हैं। इस बांध से नागपुर समेत कई शहरों और तहसीलों में पेयजल की आपूर्ति की जाती है। बांध में संग्रहित 67 दलघमी पानी कोराड़ी-खापरखेड़ा के लिए आरक्षित किया गया है। पेंच नदी से पारशिवनी तहसील के माऊली गांव में रैक पॉवर लिमिटेड को 0.57 दलघमी पानी दिया जाता है। वेणा नदी पर उमरेड तहसील में दो बांधों निम्न वेणा नांद जलाशय और निम्न वेणा वड़गांव जलाशय का निर्माण किया गया है।
वडगांव जलाशय में पानी की क्षमता 136 दलघमी है और नांद जलाशय की क्षमता 53.18 दलघमी है। दोनों बांधों की सिंचाई क्षमता 63,096 एकड़ कृषि क्षेत्र है। बहरहाल, यहां नहरों के निर्माण का काम जारी है, लेकिन नांद जलाशय से चंद्रपुर जिले में अपर्णा इंफ्रा एनर्जी को 6 दलघमी और वडगांव बांध से बेलागांव स्थित बिजली प्रकल्प के लिए 1.31 दलघमी, आईडीएल एनर्जी प्रोजेक्ट को 7.80 दलघमी पानी और विदर्भ पॉवर लिमिटेड के लिए 12.35 दलघमी पानी आरक्षित किया गया है। इन बिजली प्रकल्पों में उत्पादन शुरू होने पर पानी की मांग और बढ़ने की आशंका है। इन बिजली प्रोजेक्टों को पानी दिए जाने से वेणा नदी पर निर्मित बांधों की सिंचाई क्षमता में 6,995 एकड़ की कमी होगी। निम्म वर्धा और उर्ध्व वर्धा बांधों का निर्माण वैनगंगा की सहायक नदी वर्धा पर है। वर्धा नदी पर निर्मित बांधों से अमरावती जिले के मोर्शी तालुका में स्थापित सोफिया थर्मल पॉवर स्टेशन को 87.60 दलघमी, अमरावती थर्मल पॉवर स्टेशन नांदगांवपेठ को 35.92 दलघमी और लैम्को महानदी ताप विद्युत केंद्र आर्वी को 40.20 दलघमी पानी देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा वर्धा नदी से ही मुरली एग्रो लिमिटेड को 4.56 दलघमी, गुप्ता एनर्जी को 8 दलघमी, नागपुर एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर को 42 दलघमी, वरोरा औद्योगिक क्षेत्र 42.15 दलघमी, शालिवाहन कंस्ट्रक्शन को 10 दलघमी, धारीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर को 19.27 दलघमी और बी.एस. इस्पात को 10 दलघमी पानी देने की योजना है। पानी की इस खपत से इन क्षेत्रों में तकरीबन 10,4515 एकड़ कृषि भूमि को सिंचाई से वंचित होना पड़ेगा। इसी तरह यवतमाल जिले के पिंपलगांव में बांध के पानी की कुल क्षमता 8.93 दलघमी है। इतने पानी से क्षेत्र में 3,302 एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती है।
विदर्भ में एक और प्रोजेक्ट धापेवाड़ा उपसा सिंचाई योजना टप्पा-2 का निर्माण गोंदिया जिले के कवलेवाड़ा गांव में निर्माणाधीन है। इसके पूरा होने पर गोंदिया-भंडारा जिले के 231 गांवों के किसानों को फायदा होगा। इस बांध मे 690 दलघमी पानी संग्रह किया जाना है, लेकिन इस बांध के बनने से पहले ही 90 दलघमी पानी अदानी बिजली प्रकल्प देने की मंजूरी मिल गई है। निम्न पैनगंगा प्रकल्प आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर गोदावरी नदी से सटे पैनगंगा नदी पर बनाया जा रहा है। विदर्भ की दृष्टि से यह यवतमाल और चंद्रपुर जिले के लिए काफी महत्वपूर्ण है। निर्माण कार्य पूरा होने पर 5,61359 एकड़ कृषि भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा। इस बांध में करीब 864 दलघमी पानी संग्रह किए जाने की उम्मीद है, लेकिन यहां भी बांध बनने से पहले ही इसका पानी बिजली परियोजनाओं के लिए रिजर्व किया जा रहा है। यवतमाल जिले के ही महागांव में बनने वाले विजोरा थर्मल पॉवर के लिए 20 दलघमी पानी आरक्षित करने पर विचार हो रहा है। यही हाल गढ़चिरोली जिले में निर्माणाधीन चिचडोह बराज का है। यहां से 0.31 दलघमी पानी वायुनंदना पॉवर लिमिटेड कनेरी को दिया जाएगा। ऊहीं कोची बराज से कोरड़ी विद्युत केंद्र को 15 दलघमी पानी देने की योजना है। इसके अलावा सरकार ने गढ़चिरोली जिले के वडसा देसाईगंज में ए.ए. एनर्जी लिमिटेड को 0.55 दलघमी पानी देने का निर्णय लिया है।
पूरे विदर्भ पर नजर डालें तो कोई भी ऐसी नदी या बांध नहीं है जिसका पानी पॉवर प्रोजेक्टों से सुरक्षित हो। इसे देखकर तो यही कहा जा सकता है कि सरकार ने विदर्भ के खेतों को बंजर बनाने और किसानों को बर्बाद करने की नीति बना रखी है। सरकार को इस बात की तनिक भी परवाह नहीं है कि जिस पॉवर प्रोजेक्ट के मोह में वह किसानों और आम जनता की जरूरतों को नजरअंदाज कर रही है, जो आने वाले दिनों में सरकार के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है। ऐसे में यदि यह कहा जाए कि सरकार भले ही किसान हित की बात करती है, पर उसकी नीति कृषि और किसानों के हितों के खिलाफ है तो गलत नहीं होगा।
विदर्भ के बड़े बांधों में 9 सितंबर तक संग्रहित पानी सभी आंकड़े दस लाख घनमीटर में हैं | ||||||||
बांधों का नाम | पानी संग्रह की क्षमता | 2006 | 2007 | 2008 | 2009 | 2010 | 2011 | |
1. | तोतलाडोह, नागपुर | 1045 | 962 | 829 | 378 | 718 | 823 | 1025 |
2. | कामठी खैरी, नागपुर | 180 | 164 | 86 | 110 | 96 | 179 | 137 |
3. | रामटेक नागपुर | 103 | 76 | 58 | 35 | 20 | 21 | 36 |
4. | लोअर नांद वेणा | 53 | 48 | 47 | 24 | 47 | 47 | 47 |
5. | वडगांव नागपुर | 136 | 130 | 126 | 94 | 119 | 131 | 125 |
6. | इटियाडोह, गौदिया | 319 | 319 | 319 | 124 | 163 | 319 | 319 |
7. | सिरपुर, गौदिया | 193 | 179 | 187 | 89 | 125 | 187 | 183 |
8. | पुजारी टोला, गौदिया | 49 | 44 | 22 | 28 | 26 | 45 | 44 |
9. | काली सरार, गौदिया | 28 | 27 | 23 | 28 | 21 | 24 | 24 |
10. | असोला मेंडा, चंद्रपुर | 56 | 53 | 56 | 56 | 28 | 56 | 56 |
11. | दीना, गढ़चिरोली | 68 | 66 | 57 | 68 | 60 | 68 | 68 |
12. | बोर, वर्धा | 127 | 70 | 117 | 53 | 96 | 124 | 117 |
13. | धाम, वर्धा | 63 | 63 | 63 | 42 | 60 | 63 | 63 |
14. | पोथरा, वर्धा | 35 | 35 | 35 | 20 | 35 | 35 | 35 |
15. | लोअर वर्धा, टप्पा-1 | 103 | 00 | 00 | 00 | 00 | 26 | 17 |
16. | गोसीखुर्द टप्पा-1, भंडारा | 300 | 00 | 00 | 00 | 00 | 81 | 73 |
नागपुर में नदियों से किस बिजली प्रोजेक्टक को कितना पानी मिला
कन्हान नदी जिला नागपुर- डॉल्बी माइनिंग एंड पॉवर प्रा. लि, तासावनेर – 45 दलघमी, अलायंस हाइड्रो पॉवर लिमिटेड- 75 दलघमी, मुरली इंडस्ट्रीज लि. – 23.22 दलघमी
वैनगंगा नदी, जिला भंडारा- पृथ्वी खनिज संपदा प्रा. जि. तुमसर, – 40 दलघमी, सनफ्लैग आर्यन एंड स्टील कंपनी लि. – 6.11 दलघमी, क्रिश्नापिंग पॉवर प्रा. लि. -2.50 दलघमी, निपज पॉवर लि. – 50 दलघमी, अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लि.- 67.60 दलघमी, एलोरा पेपर मिल्स लि. – 90 दलघमी, पृथ्वी फेरो अलाय प्रा. लि. – 5 दलघमी, धारीवाल पॉवर एंड अलाय लि. 10 दलघमी
जिला गोंदिया - जेएलडी यवतमाल एनर्जी लि. 48.33 दलघमी, अस्टार्क पॉवर प्रा. लि. – 22 दलघमी, महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्माण कंपनी, तिरोडा- 40 दलघमी
वर्धा नदी, जिला चंद्रपुर - बी.एस. इस्पात, भद्रावती – 10 दलघमी, महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्माण कंपनी -18 दलघमी, महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्माण कंपनी, मेंडकी – 40 दलघमी, महाराष्ट्र राज्य विद्युत निर्माण कंपनी कानपा -40 दलघमी, एनटीपीसी सेल पॉवर कंपनी प्रा.लि. -11.39 दलघमी, मेसर्स आर्यन कोल बेनेफिकेशंस प्रा.लि. – 4।56 दलघमी, श्याम सेंचुरी इंफ्रास्ट्रक्चर लि. – 38.54 दलघमी, नंदलाल इंटरप्राइजेस लि. – 26.26 दलघमी, गुप्ता एनर्जी प्रा. लि. – 19.30 दलघमी, जीभविश पॉवर जनरेशन प्रा. लि, वरोरा – 16.42 दलघमी
जिला यवतमाल - इंडोरामा – 41 दलघमी, आरपीएल ऊर्जा – 1.80 दलघमी
उमा नदी, जिला चंदपुर - अपर्णा इंफ्रा एनर्जी – 6 दलघमी
आम नदी, जिला नागपुर - जीएमटी माइनिंग एंड पॉवर प्रा. लि. – 0.7 दलघमी
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