आईबीएन-7/ जम्मू/कश्मीर। अपनी परेशानियों के बारे में सरकारी अधिकारियों को बताने से क्या समस्याएं दूर हो जाती हैं। जम्मू के एक किसान को तो ऐसा नहीं लगता। सूखते खेतों के लिए बांध बनाने से जब प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया तो रतन सिंह चौधरी ने ख़ुद ही बांध बना कर अधिकारियों को मुंह तोड़ जवाब दिया।
रतन सिंह बताते हैं कि उनके गांव में करीब 100 एकड़ ज़मीन रेतीली है। किसान इस ज़मीन का इस्तेमाल खेती के लिए करना चाहते हैं लेकिन रेतीली होने के कारण वो कोई भी फसल उगा नहीं पा रहे हैं। गांववालों को लगता है कि यदि कुदरती पानी को बांध बनाकर इस्तेमाल किया जाए तो सिंचाई के लिए पानी की समस्या से निजात मिल सकती है।
बांध के लिए जब इन लोगों ने सिंचाई विभाग से संपर्क किया तो उन्होंने इसका कोई पक्का ज़वाब नहीं दिया। उनका रवैया हमेशा टालमटोल का बना रहा। इन लोगों ने कई बार सिंचाई विभाग के दफ्तर के चक्कर लगाए। लेकिन इन्हें कोई ज़वाब नहीं दिया गया।
सिंचाई अधिकारियों के लापरवाह रवैये को देखते हुए रतन सिंह चौधरी ने तय किया कि वो खुद बांध बनाएंगे। बांध बनाने का काम रतन सिंह चौधरी ने 2006 में शुरू किया था। दो साल की कड़ी मेहनत और दो लाख रुपए खर्च करने के बाद ये बांध नवंबर 2008 में बनकर तैयार हो गया। सरकारी बांध बनाने में 4 लाख लगते हैं जबकि रतन सिंह ने ये बांध उससे आधी कीमत में बना दिया। शुरुआत में वो इस काम में अकेले थे लेकिन बाद में और किसान साथियों ने भी इसमें उनका साथ दिय़ा। रतन सिंह ने बांध के पानी से ही अपनी फसल की सिंचाई की है।
साभार - आईबीएन-7
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