केन नदी घाटी

>केन नदी
>केन नदी

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में समुद्र तल से 500 मीटर की ऊँचाई पर कैमूर पर्वत के उत्तरी-पश्चिमी ढलान से निकलने वाली इस नदी का सालाना प्रवाह 1130 करोड़ घन मी. है। अपने उद्गम से 427 किमी की यात्रा तय करते हुए यह उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के चिल्ला गाँव के पास यमुना नदी में मिल जाती है। यह नदी घाटी उत्तरी आक्षांश पर 23 डिग्री 20 मिनट व 25 डिग्री 20 मिनट के मध्य एवं पूर्वी अक्षांश पर 78 डिग्री 30 मिनट व 80 डिग्री 20 मिनट के मध्य स्थित है।

केन नदी घाटी के अन्तर्गत मध्य प्रदेश के जबलपुर, सागर, दमोह, पन्ना, सतना, छतरपुर व रायसेन जिले एवं उत्तर प्रदेश के बाँदा, हमीरपुर व महोबा जिले आते हैं। यह दक्षिण में विंध्य शृंखला, पश्चिम में बेतवा नदी घाटी, पूर्व में यमुना के मुक्त जलग्रहण क्षेत्र एवं उत्तर में यमुना नदी से घिरी है। केन नदी घाटी का जलग्रहण क्षेत्र 28,224 वर्ग किमी है। केन की सहायक नदियों में चन्द्रावल उर्मिल, शियाम, शिहु, करोरन, केल, बिछुई, गवईं, सियामरी, बन्ने, खुरारन, कुटनी, लोहरुक, कुसार, कैल, सोनार (उपनदी-बेवास, बामनेर, कोपरा) वियरमा, अलोनी है।

केन नदी पर कुछ मौजूदा बड़ी परियोजनाएँ


 

क्रम

1

2

3

परियोजना

गंगऊ बैराज

रंगनवा

बरियारपुर

पूर्णता वर्ष

1915

1957

1905

निम्नतम नींव से ऊँचाई

16.15

36

27

जलाशय की सकल क्षमता (लाख घन मी.)

1194.30

1636.20

125.90

उद्देश्य

सिंचाई

सिंचाई

सिंचाई

स्पिलवे की अधिकतम निकास क्षमता (क्यूमेक्स)

13700

2410

14275

लाभ (1000 हे.)

- - -

37.64

- - -

जलग्रहण क्षेत्र (वर्ग किमी)

18637

828

20760

 

केन की सहायक नदियों पर बाँध


 

बाँध

वर्ष

नदी

ऊँचाई (मी.)

सकल भण्डारण क्षमता (लाख घनमी.)

चन्द्रावल

1973

चन्द्रावल

10.97

347.1

उर्मिल

1994

उर्मिल

18.24

1166

 

गंगऊ बराज- छतरपुर जिले में नूनापांजी में केन नदी को बाँधकर एक बड़ा जलाशय गंगऊ बैराज बनाया गया है। गंगऊ बैराज बरियारपुर बैराज के लिये फीडर बाँध का काम करता है जहाँ से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पन्ना (मध्य प्रदेश) एवं बाँदा (उत्तर प्रदेश) जिले के लिये कई नहरें निकाली गई हैं। वर्तमान में बाईं बरियारपुर नहर निर्माणाधीन है। उत्तर प्रदेश ने ग्रेटर गंगऊ बाँध का निर्माण पूरा होने तक बाईं बरियारपुर नहर के निर्माण का विरोध किया है।

उत्तर प्रदेश के अनुसार बरियारपुर बैराज से बाईं बरियारपुर नहर में पानी आपूर्ति करना असम्भव है क्योंकि नहर प्रणाली में पहले ही पानी की कमी है। मध्य प्रदेश का कहना है कि बाईं बरियारपुर नहर का निर्माण 1972 के समझौते के अनुरूप किया गया है एवं बाईं बरियारपुर नहर के निर्माण के शर्त पर ही केन नहर के पुनर्निर्माण की अनुमति दी गई थी। मध्य प्रदेश नहर निर्माण पर 50 करोड़ रुपए पहले ही खर्च कर चुका है। केन्द्रीय क्षेत्रीय बोर्ड की 18 फरवरी 2000 की बैठक में हुई चर्चा के बाद भी यह मुद्दा अनिर्णित है।

रंगनवा- रंगनवा बाँध (क्षमता 1521.40 लाख घन मी.) उत्तर प्रदेश द्वारा छतरपुर जिले में बन्ने नदी (केन की सहायक नदी) पर बनाया गया है, जो बरियारपुर बैराज को जलापूर्ति करने के साथ-साथ छतरपुर एवं पन्ना जिले को सींचती है। 1972 के समझौते के अनुसार मध्य प्रदेश ने 25 किमी लम्बी नहर का निर्माण पूरा कर लिया है।

इस परियोजना पर मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के बीच विवाद है। मध्य प्रदेश की माँग है कि:

1. रंगनवा बाँध के गेट का नियंत्रण सौंपा जाय
2. गंगऊ पर बने निरीक्षण घरों पर नियंत्रण सौंपा जाय
3. रंगनवा एवं धमारी के बीच सम्पर्क मार्ग पर नियंत्रण सौंपा जाय

मध्य प्रदेश द्वारा रबी के फसलों के लिये 555.30 लाख घनमी. पानी की माँग है, जो कि 1972 में खरीफ फसलों हेतु तय हुआ था। उस समय यह तय हुआ था कि, रंगनवा जलाशय में उपलब्ध पानी का बँटवारा उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के बीच 36:15 के अनुपात में किया जाएगा। लेकिन मध्य प्रदेश को रबी के फसलों के लिये 555.30 लाख घन मी. पानी देने के बाद यह अनुपात 16:35 हो जाएगा, जो उत्तर प्रदेश के अनुसार द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ होगा। यह उत्तर प्रदेश में सिंचाई को भी बुरी तरह प्रभावित करेगी।

उर्मिल बाँध- यह महोबा जिले में उर्मिल नदी पर शमशेरा गाँव में स्थित है। 1994 में तैयार हुए इस बाँध से 29.4 किमी मुख्य नहर एवं 18.75 किमी वितरक नहरों द्वारा ‘महोबा एवं छतरपुर जिले (मध्य प्रदेश) की सालाना 6800 हेक्टेयर कृषि योग्य लाभ क्षेत्र में से 4769 हेक्टेयर की सिंचाई होती है। यह 17 लाख घन मी. पेयजल प्रदान करती है। इस 18.34 मी. ऊँचे बाँध की सजीव भण्डारण क्षमता 1115 लाख घन मी. है।

बरियारपुर बैराज- बरियारपुर बैराज उत्तर प्रदेश द्वारा 1905 में मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के अजयगढ़ में बनाया गया था। केन नहर प्रणाली द्वारा बाँदा जिले की कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई के लिये इस बाँध को बनाया गया था लेकिन भूजल रिजर्व के पुनर्भरण का लाभ स्वाभाविक तौर पर पन्ना जिले को मिलता है। बरियारपुर बैराज 59.34 किमी मुख्य नहर एवं 960.56 किमी वितरण नहर द्वारा बाँदा, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) एवं छतरपुर जिले (मध्य प्रदेश) की 2.3 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करती है। इससे सालाना 65950 हेक्टेयर की सकल सिंचाई होती है। इस परियोजना से 119 हेक्टेयर वनभूमि सहित 3078 हेक्टेयर भूमि डूब में आई है। इस परियोजना द्वारा कम-से-कम 3000 लोग विस्थापित होने की जानकारी है।

2500 क्यूसेक क्षमता वाली (पुनर्निर्माण के बाद) केन नहर प्रणाली बरियारपुर बैराज के दाएँ से निकलकर पन्ना (मध्य प्रदेश) व बाँदा (उत्तर प्रदेश) जिले के खेतों को सींचती है।

बाईं बरियारपुर नहर- 1972 एवं 1977 के समझौते के अनुसार मध्य प्रदेश द्वारा बाईं बरियापुर नहर (1385 क्यूसेक क्षमता एवं 59.83 किमी लम्बी) एवं ग्रेटर गंगऊ बाँध बनाने पर सहमति हुई थी। उत्तर प्रदेश इस शर्त के साथ निर्माण के लिये सहमत हुआ कि दोनों परियोजनाएँ एक साथ बनाई जानी चाहिए।

आगासी पम्प नहर-
आगासी पम्प नहर केन नहर प्रणाली के अन्तिम छोर में जल प्रसार करती है। यह 13360 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करती है। इस प्रणाली में 68 किमी वितरण प्रणाली सहित 3.34 किमी लम्बी आगासी मुख्य नहर शामिल है। 1981-82 में बनकर तैयार हुई इस नहर प्रणाली की क्षमता यमुना नदी से 150 क्यूसेक पानी केन नहर प्रणाली में ले जाने की है। जबकि, इस प्रणाली में केवल 50 क्यूसेक पानी ही उपलब्ध है, जिससे खरीफ के फसलों में नियोजित 6012 हेक्टेयर के बजाय 306 हेक्टेयर एवं रबी के फसलों के लिये 6012 हेक्टेयर के बजाय 2772 हेक्टेयर में ही सिंचाई हो पाती है। इसकी उपयोग क्षमता बढ़ाने के लिये इसकी आधुनिकीकरण की योजना है।

चन्द्रावल बाँध- चन्द्रावल बाँध उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में चन्द्रावल नदी पर स्थित है। चन्द्रावल बाँध 43 किमी मुख्य नहर एवं 32.28 किमी वितरक प्रणाली द्वारा महोबा जिले के 19038 हेक्टेयर कृषि योग्य कमान क्षेत्र की सिंचाई करती है।

वास्तविक सिंचाई (उत्तर प्रदेश) (हे.)


 

 

बरियारपुर बैराज

चन्द्रावल

उर्मिल

1994-95

84900

7140

3189

1995-96

56560

7285

3855

1996-97

73120

6833

4209

1997-98

71630

3950

1839

1998-99

76230

6852

5266

 



 

केन-बेतवा नदीजोड़

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

केन-बेतवा नदीजोड़ क्यों असम्भव है

2

केन नदी घाटी

3

बेतवा नदी घाटी

4

नदीजोड़ प्रस्ताव

5

विनाशकारी होगा केन-बेतवा नदीजोड़

6

केन-बेतवा नदी जोड़ योजना का बुन्देलखण्ड जल संसद द्वारा विरोध

7

विरोध में उठते स्वर एवं प्रतिक्रियाएँ

 

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