केन किनारे

केन किनारे
पल्थी मारे
पत्थर बैठा गुमसुम!
सूरज पत्थर
सेंक रहा है गुमसुम!
साँप हवा में
झूम रहा है गुमसुम!
पानी पत्थर
चाट रहा है गुमसुम!
सहमा राही
ताक रहा है गुमसुम!

‘फूल नहीं रंग बोलते हैं’ से संकलित

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