कावेरी निगरानी समिति की बैठक आज दिल्ली में


नई दिल्ली/बंगलुरु। कावेरी निगरानी समिति की सोमवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में तमिलनाडु व अन्य राज्यों को छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा तय करने पर विचार विमर्श होगा।

केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशिशेखर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कावेरी बेसिन में इस साल बारिश की कमी, जलाशयों में उपलब्ध पानी की मात्रा, पेयजल की जरूरतों व फसलों की सिंचाई के लिये आवश्यक पानी की मात्रा के आँकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा। जलसंकट के हालात को ध्यान में रखकर कावेरी नदी के तटीय राज्यों की जरूरतों के मुताबिक उपलब्ध पानी का बँटवारा किया जाएगा।

बैठक में तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल तथा पुदुचेरी के मुख्य सचिव भाग लेंगे। बैठक से पहले तमिलनाडु सरकार ने कमेटी के पास जाकर और पानी छोड़ने की माँग रखी है। वहीं कर्नाटक ने भी पानी छोड़ने को लेकर पेश आ रही समस्याओं की जानकारी से समिति को अवगत करवाया है।

बैठक में राज्य के मुख्य सचिव अरविंद जाधव इस बात पर जोर देंगे कि राज्य के कावेरी बेसिन में बारिश की कमी की वजह से चारों जलाशयों में बहुत कम पानी बचा है। इस स्थिति में राज्य तमिलनाडु के लिये और पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालनार्थ राज्य से अब तक 66 हजार क्यूसेक से अधिक पानी तमिलनाडु के लिये छोड़ा जा चुका है।

राज्य में और अधिक बारिश होने के आसार नहीं है। जलाशयों में उपलब्ध पानी से राज्य को 6 लाख एकड़ में खड़ी फसलों की सिंचाई करने के साथ ही कावेरी पानी पर अवलम्बित बंगलुरु, मैसूर, मंड्या सहित अन्य कस्बों व गाँवों की पेयजल जरूरतों को पूरा करना होगा।

बैठक में जाधव तमाम दस्तावेजों व आँकड़ों के साथ राज्य का पक्ष रखेंगे तमिलनाडु के लिये और पानी नहीं छोड़ पाने की विवशता से समिति को अवगत करवाएँगे। जाधव इस बात पर भी जोर देंगे कि जहाँ तमिलनाडु तीन-तीन फसलों की बुवाई करता है, वहीं कर्नाटक के किसानों को एक फसल की सिंचाई के लिये भी पानी उपलब्ध नहीं है। तमिलनाडु फसलों की सिंचाई के लिये पानी माँग रहा है पर राज्य के पास पेयजल की जरूरत को पूरा करने के लिये भी पानी का स्टाक नहीं बचा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सोमवार को कर्नाटक सरकार को 10 दिन तक 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिये छोड़ने के निर्देश दिये ताकि सांबा की फसलों की सिंचाई के लिये पानी मिल सके।

न्यायालय ने तमिलनाडु को उस पानी में पुदुचेरी का हिस्सा देने और अगले तीन दिन में कर्नाटक से 35 टीएमसी पानी के दावे के सम्बन्ध में कावेरी निगरानी समिति के पास जाने के निर्देश भी दिये। शीर्ष न्यायालय ने तमिलनाडु की याचिका का तीन दिन में जवाब देने के साथ ही कावेरी निगरानी कमेटी को 4 दिन में इस मामले में समुचित निर्देश जारी करने को कहा। इसी के मद्देनजर सोमवार को कावेरी निगरानी समिति की महत्त्वपूर्ण बैठक होगी। शीर्ष न्यायालय इस मसले पर दोबारा 16 सितम्बर को सुनवाई करेगा।

पंचाट के फैसले से ही दिशा लेगी समिति


कावेरी निगरानी समिति की बैठक में कड़े हालात का सामना करना पड़ सकता है कर्नाटक को

बंगलुरु। कावेरी निगरानी समिति सोमवार को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में तमिलनाडु व अन्य राज्यों को छोड़े जाने वाले कावेरी नदी के पानी की मात्रा तय करते समय कावेरी जल विवाद पंचाट (सीडब्लूडीटी) के अन्तिम निर्णय का कड़ाई से पालन करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हम वहाँ कोई निरीक्षण दल नहीं भेज सकते क्योंकि शीर्ष अदालत ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है। अदालत का स्पष्ट निर्देश है कि समिति सीडब्ल्यूडीटी के निर्देशों के अनुसार चलना है। उन्होंने कहा कि इसलिये समिति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में ही फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितम्बर को एक अन्तिम आदेश में कर्नाटक को 10 दिन तक हर दिन 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने के निर्देश दिये थे। इसके बाद पूरे कर्नाटक में भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कोर्ट ने तमिलनाडु को निर्देश दिये थे कि पंचाट के अन्तिम निर्णय के अनुसार कावेरी का पानी छोड़ने के सम्बन्ध में वे तदन दिन में निगरानी समिति से सम्पर्क करें। कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चिन्ता जताते हुए 7 सितम्बर को केन्द्रीय जल संसाधन विभाग को एक पत्र लिखा था। पत्र में आशंका जताई गई थी कि यदि चार बाँधों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पानी छोड़ा गया तो राज्य में पेयजल की जरूरत पूरी करने का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया कि यदि जमीनी हालात के बारे में विशेषज्ञों के एक दल की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को उपलब्ध कराई जाती तो उसका अन्तरिम आदेश एकदम अलग होता। अधिकारी ने कहा कि सीडब्ल्यूडीटी के सुझाव के अनुसार कावेरी प्रबन्धन बोर्ड का गठन कर इस मसले का दीर्घकालीन समाधान किया जा सकता है लेकिन ऐसा होने तक हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतर नहीं जा सकते। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पुदुचेरी के मुख्य सचिवों के अलावा केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारी भी समिति की बैठक में मौजूद रहेंगे।

कावेरी मामले में दखल करें पीएम : वाटाल


बंगलुरु। तमिलनाडु की तरफ बहाए जा रहे पानी को तुरन्त बन्द करने व कावेरी तथा महादयी जल बँटवारा विवादों को सुलझाने के लिये प्रधानमंत्री के मध्यस्थता करने की माँग को लेकर कन्नड़ ओक्कुट के अध्यक्ष वाटाल नागराज की अगुवाई में कन्नड़ संगठन के नेताओं ने रविवार को मैजेस्टिक में सड़कों पर लेटकर धरना दिया।

नागराज व अन्य नेताओं ने कहा कि कावेरी व महादयी मसलों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या व जल संसाधन मंत्री एम.बी. पाटिल को यह मसले सुलझाने की दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को इन मसलों को हल करने की इच्छाशक्ति प्रदिर्शित करनी होगी। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को हठी रवैया छोड़ना होगा। नागराज ने कहा कि राज्य सरकार तमिलनाडु के लिये पानी छोड़ना तुरन्त बन्द करे। जब तक कावेरी व महादयी जल बँटवारे का मसला हल नहीं किया जाता तब तक आन्दोलन चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि 15 सितम्बर को राज्य भर में रेलगाड़ियाँ रोककर आन्दोलन तेज किया जाएगा।

सोमवार को कन्नड़ ओक्कुट की ओर से विधानसौधा के सामने धरना दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कावेरी, महादयी, कोलार-चिक्कबल्लापुर स्थायी सिंचाई योजना को लागू करने की माँग को लेकर साहित्यकारों को भी सड़कों पर उतरकर आन्दोलन करना चाहिए। केवल आन्दोलनकारियों का ही सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना पर्याप्त नहीं है।

आन्दोलन को समाज के सभी वर्ग का समर्थन मिलना चाहिए। वे आन्दोलन के लिये जेल जाने तक को तैयार हैं। धरने में कर्नाटक फिल्म चैम्बर के अध्यक्ष सा. रा. गोविंदु, कन्नड़ सेने के प्रदेश अध्यक्ष के.आर. कुमार, कन्नड़ जागृति वेदिके के अध्यक्ष मंजुनाथ देव, एच.वी. गिरीश गौड़ा सहित अन्य ने भाग लिया।

राज्य की संशोधन याचिका पर सुनवाई आज


तमिलनाडु के लिये कावेरी का पानी छोड़ने से सम्बन्धित सुप्रीम कोर्ट के 5 सितम्बर के फैसले में संशोधन के लिये कर्नाटक की ओर से दायर संशोधन याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार याचिका पर सोमवार सुबह 10:30 बजे सुनवाई होगी। 13 और 14 सितम्बर को अवकाश के कारण कर्नाटक सरकार ने इस याचिका पर अर्जेंट सुनवाई का अनुरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितम्बर के फैसले में कर्नाटक सरकार से तमिलनाडु को 10 दिन तक हर दिन 15 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने के निर्देश दिये थे।

कर्नाटक सरकार ने इस फैसले में संशोधन की माँग को लेकर शनिवार को याचिका दायर की। इसके लिये राज्य सरकार के वकीलों ने रात करीब 10:30 बजे सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक रजिस्ट्रार के दरवाजे पर दस्तक देकर संशोधन आवेदन सौंपा।

तमिलनाडु को पानी छोड़ने के विरोध में कावेरी बेसिन के किसान आन्दोलन कर रहे हैं जिसके चलते क्षेत्र में अशान्ति बनी हुई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता फाली एस. नरीमन की अगुवाई वाले अधिवक्ताओं का दल न्यायालय में जमीनी हालात के सम्बन्ध में तमाम आँकड़े पेश कर इस बात पर जोर देगा कि जलसंकट के इस दौर में कर्नाटक तमिलनाडु के लिये पानी छोड़ना जारी रखने की स्थिति में नहीं है लिहाजा न्यायालय 5 सितम्बर को जारी आदेश में संशोधन करे।

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