कावेरी जल विवाद - पानी घटा, विवाद बढ़ा


कावेरी जल विवाद अब प्रधानमंत्री के दरबार में पहुँच गया है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ताजा जल बँटवारे को अपने राज्य के साथ अन्याय बता रहे हैं। जल विवाद को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक में भारी तनाव है। राज्य हिंसा की चपेट में हैं। राजनीतिक दल इस मुद्दों को भी वोटबैंक से जोड़कर देखते रहे हैं। जिससे मामला दिनोंदिन उलझता जा रहा है। सैंकड़ों साल पुराने इस विवाद का कोई सर्वमान्य समाधान नहीं निकल पा रहा है।

तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी के जल का विवाद सैकड़ों वर्ष पुराना है। विवाद को सुलझाने के लिये अंग्रेजों के शासन से लेकर अब तक कई बार कोशिश भी हो चुकी है। लेकिन राजनीतिक अवसरवाद, क्षेत्रीय अस्मिता और निहित स्वार्थों के कारण यह विवाद इस समय सुर्खियों में हैं। कवेरी नदी के जल के विवाद में तमिलनाडु और कर्नाटक के अलावा पुदुचेरी और केरल राज्य भी शामिल हैं।

तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कवेरी के पानी को लेकर मौजूदा विवाद सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश है। दरअसल, तमिलनाडु ने कम बारिश के कारण राज्य में पैदा हुई दयनीय स्थिति को उजागर करते हुए कहा था कि प्रदेश की चालीस हजार एकड़ जमीन में फसल बर्बाद हो रही है, इसलिये उसे तुरन्त पानी की जरूरत है।

जिसमें अदालत ने कहा है कि दस दिन तक रोजाना कर्नाटक तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी दे। दरअसल दोनों राज्यों के बीच विवाद तब ज्यादा जोर पकड़ता है जब मानसून अच्छी बारिश नहीं लेकर आता और बँटवारे के लिये पानी कम पड़ जाता है। इस साल, कर्नाटक और तमिलनाडु में मानसून के दौरान सामान्य से भी कम वर्षा हुई है।

कर्नाटक का कहना है कि वह तमिलनाडु की कृषि जरूरतों को पूरा करने के लिये पानी नहीं छोड़ सकता है क्योंकि उसे पेयजल आपूर्ति के लिये कावेरी जल की ज्यादा जरूरत है। किसानों की दयनीय दशा देखते हुए तमिलनाडु सरकार ने माँग की थी कि उसे कुछ दिनों तक रोजाना 20,000 क्यूसेक पानी दिया जाये। लेकिन कर्नाटक सरकार 10,000 क्यूसेक पानी ही देना चाहती है। बीच का रास्ता निकालते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दस दिनों तक 15,000 क्यूसेक पानी देने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर कर्नाटक में जैसे ही पहुँची स्थानीय किसान हिंसक हो गए। राज्य में असहज स्थिति उत्पन्न हो गई। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक तरफ उपद्रवियों को कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हैं। दूसरी तरफ हिंसक भीड़ की माँग से सहमति भी जताते हैं। फिलहाल कावेरी जल बँटवारे को लेकर दोनों राज्यों में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्नाटक में रह रहे तमिलों की सुरक्षा की चुनौती बढ़ गई है।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य में हो रहे प्रदर्शन और बिगड़ती स्थिति को देखते हुए आरएएफ की 10 कम्पनियाँ कर्नाटक भेजी हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों को फोन कर उन्हें केन्द्र से हरसम्भव मदद का आश्वासन दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा सिंह से बात करने के बाद बंगलुरु में जारी आधिकारिक बयान में स्थिति को 'पूरी तरह से नियंत्रण में' बताया गया।

कर्नाटक में हिंसा को चिन्ताजनक बताते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने सिद्धारमैया को पत्र लिखकर तमिल भाषी लोगों तथा उनकी सम्पत्तियों की सुरक्षा के लिये कहा। इससे पहले सिद्धारमैया ने जयललिता से इसी तरह का अनुरोध किया था। जयललिता ने सिद्धारमैया को आश्वासन दिया कि तमिलनाडु में कर्नाटक के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

फिलहाल, केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद भी तमिलनाडु में कन्नड़ और कर्नाटक में तमिल समुदाय के अन्दर भय व्याप्त है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री स्थिति को नियंत्रण में बता रहे हैं लेकिन स्थानीय स्तर पर हिंसक झड़प जारी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कहते हैं कि कन्नड़ लोगों में इस बात को लेकर पीड़ा है कि कर्नाटक को कावेरी नदी जल बँटवारे को लेकर बार-बार अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। हम भूमि, जल और भाषा के मुद्दे को लेकर संवेदनशील हैं लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हममें मानवता है और मानवीय रिश्ता इस सभी से ऊपर है। तमिलनाडु में कन्नड़भाषियों और उनकी सम्पत्तियों पर हमला 'निन्दनीय' है। इस मुश्किल घड़ी में हमें गुस्से को हावी नहीं होने देना चाहिए।

सिद्धारमैया के अपील के बाद भी लोगों में गुस्सा भरा है। चेन्नई में रजनीकान्त का घर सुरक्षा बलों के हवाले है। तमिलनाडु के चेन्नई में रहने वाले मशहूर फिल्म अभिनेता रजनीकान्त का जन्म कर्नाटक में हुआ था। अभिनेता प्रभुदेवा और रमेश अरविंद के घरों की सुरक्षा भी बढ़ाई गई है। कर्नाटक के बैंकों, होटल, रेस्टोरेंट और राज्य की बड़ी शख्सियतों को पुलिस सुरक्षा दी गई है।

दक्षिण की गंगा कही जाने वाली कावेरी एक अन्तरराज्यीय नदी है। कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़ने वाले प्रमुख राज्य हैं। इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है और समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है जो पुदुचेरी का हिस्सा है।

कर्नाटक दावा करता है कि ब्रिटिशर्स के जमाने में कावेरी नदी के जल बँटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच जो समझौता हुआ, उसमें उसके साथ न्याय नहीं हुआ क्योंकि इस समझौते में उसे उसका पानी का उचित हिस्सा नहीं दिया गया। कर्नाटक यह भी कहता आया है कि वह नदी के बहाव के रास्ते में पहले पड़ता है इसलिये उसका जल पर पूरा अधिकार बनता है।

दक्षिण की गंगा कही जाने वाली कावेरी एक अन्तरराज्यीय नदी है। कर्नाटक और तमिलनाडु इस कावेरी घाटी में पड़ने वाले प्रमुख राज्य हैं। इस घाटी का एक हिस्सा केरल में भी पड़ता है और समुद्र में मिलने से पहले ये नदी कराइकाल से होकर गुजरती है जो पुदुचेरी का हिस्सा है। कर्नाटक दावा करता है कि ब्रिटिशर्स के जमाने में कावेरी नदी के जल बँटवारे को लेकर दोनों राज्यों के बीच जो समझौता हुआ, उसमें उसके साथ न्याय नहीं हुआ क्योंकि इस समझौते में उसे उसका पानी का उचित हिस्सा नहीं दिया गया। कर्नाटक अपने हिस्से का तिगुना पानी की माँग करता रहा है। कावेरी नदी कोडागु से निकलती है और कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में बहती है। अगर कर्नाटक का हिस्सा बढ़ता है तो तमिलनाडु का हिस्सा कम हो जाएगा।

दूसरी तरफ तमिलनाडु का मानना है कि उसे समझौते के मुताबिक, कावेरी जल का उतना ही हिस्सा मिलते रहना चाहिए। उसे कावेरी जल की अधिक मात्रा की जरूरत है क्योंकि खेती के लिये किसानों को पर्याप्त जल उपलब्ध कराने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है।

कावेरी नदी का 15,000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को रोजाना दिये जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में कर्नाटक में लोग सड़कों पर उतर आये हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाँच सितम्बर के आदेश में संशोधन करते हुए कर्नाटक से कहा कि 20 सितम्बर तक तमिलनाडु के लिये वह कावेरी नदी से कम मात्रा में यानी 12,000 क्यूसेक पानी छोड़े।

हालांकि कावेरी जल बँटवारे को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है। कावेरी नदी के जल के बँटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच काफी लम्बे समय से जंग छिड़ी हुई है। कावेरी के जल पर कर्नाटक व तमिलनाडु के बीच सुप्रीम कोर्ट के संशोधित फैसले के बाद भी अगर विवाद कायम है तो यह हमारी क्षेत्रीय भावना का प्रभाव है जो या तो पड़ोसी राज्य को देश का हिस्सा नहीं मानती या फिर अपने हितों को देशहित से ऊपर रखती है।

वरना जब सुप्रीम कोर्ट ने नया आदेश दे दिया कि कर्नाटक तमिलनाडु के लिये 15,000 क्यूसेक पानी की बजाय 12,000 क्यूसेक पानी छोड़ेगा तो कर्नाटक के लोगों का गुस्सा शान्त हो जाना चाहिए था और तमिलनाडु के लोगों को भी कर्नाटक के व्यवसायियों के कार्यस्थलों पर हमले नहीं करने थे।

विवाद का इतिहास


कावेरी जल विवाद का इतिहास काफी पुराना है। यह शुरू होता है ब्रिटिशर्स के जमाने से। मैसूर राजशाही और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच कावेरी जल के बँटवारे को लेकर 1924 में एक समझौता हुआ। मैसूर को कन्नमबाड़ी गाँव में 44.8 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी का इस्तेमाल करते हुए एक बाँध बनाने की इजाजत मिल गई।

यह समझौता अगले 50 सालों के लिये हुआ था और 50 साल बाद समझौते की समीक्षा होना तय हुआ। जब आजादी मिली तो दोनों राज्यों को कावेरी नदी के जल के बँटवारे को लेकर चिन्ता होने लगी। दोनों राज्य सुप्रीम कोर्ट पहुँचे लेकिन मामला सुलझ न सका। आजादी के बाद स्टेट ऑफ मैसूर का नाम कर्नाटक पड़ा।

आजादी के 12 साल बीत जाने के बाद कर्नाटक ने तमिलनाडु से समझौते के कई प्रावधानों में संशोधन की माँग की। लेकिन तमिलनाडु ने इससे इनकार कर दिया और कहा कि अब समझौते पर 1974 में ही बात हो सकती है।

1970 में कावेरी फैक्ट फाइडिंग कमिटी ने पाया कि तमिलनाडु की सिंचाई योग्य जमीन 1,440,000 एकड़ से बढ़कर 2,580,000 एकड़ हो गई है जबकि कर्नाटक की सिंचाई योग्य भूमि 680,000 एकड़ ही है। कमिटी की इस रिपोर्ट के बाद तमिलनाडु के लिये ज्यादा पानी की माँग जोर पकड़ने लगी।

कावेरी विवाद से जुड़ी दस बातें


1. कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागू जिले से होता है जोकि तमिलनाडु से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। कावेरी बेसिन के अन्तर्गत तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी के कुछ हिस्से आते हैं।

2. कावेरी नदी जल विवाद पर कानूनी शुरुआत 1892 और 1924 को हुए समझौतों की वजह से हुई जोकि मैसूर के राजपरिवार और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद केन्द्र सरकार ने 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्युनल का गठन किया।

3. साल 2007 में ट्रिब्युनल ने अपने अन्तिम फैसला देते हुए कहा कि तमिलनाडु को 419 टीएमसीएफटी पानी मिलना चाहिए, कोर्ट ने जो आदेश दिया है, ये उसका दोगुना है यही वजह है कि कर्नाटक इस आदेश से सन्तुष्ट नहीं है।

4. 2007 के आर्डर से पहले तलिमनाडु ने 562 टीएमसीएफटी पानी की माँग की जोकि कावेरी बेसिन में मौजूद पानी का तीन चौथाई हिस्सा था। वहीं कर्नाटक ने 465 टीएमसीएफटी पानी की माँग की जोकि उपलब्ध पानी का दो तिहाई हिस्सा था।

5. इस साल अगस्त में तमिलनाडु सरकार ने कहा कि कर्नाटक ने 50,0052 टीएमसीएफटी पानी कम छोड़ा है। वही कर्नाटक सरकार ने कहा कि वो कावेरी का और पानी तमिलनाडु को नहीं दे सकते क्योंकि कम बारिश की वजह से पानी का रिजर्व आधा है।

6. पाँच सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 10 दिनों तक 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने का आदेश दिया। यहीं से कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। किसानों का कहना है कि उनके खुद के खेतों के लिये पानी पूरा नहीं पड़ रहा है।

7. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा कि 15 हजार क्यूसेक पानी रोज छोड़ने का फैसला पूरी तरह राज्य को पानी से वंचित करने जैसा है। उन्होंने ये भी कहा कि पानी की कमी राज्य के आईटी सेक्टर को भी प्रभावित कर सकती है।

8. सोमवार को कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कोर्ट से अनुरोध किया कि वो तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने के आदेश को वापस ले ले। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वापस लेने से मना कर दिया।

9. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कर्नाटक को 20 सितम्बर तक हर दिन तमिलनाडु को 12 हजार क्यूसेक पानी देना होगा।

10. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार द्वारा उसके आदेश का पालन ना करने पर नाखुशी भी जताई। कोर्ट ने कहा कि देश के नागरिक और कार्यपालिका को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोर्ट ने कोई आदेश दिया है तो या तो उसका पालन करें और या फिर उसमें बदलाव के लिये कोर्ट में याचिका दायर करें। जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि लोग कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं।

तमिलनाडु नम्बर की गाड़ियों का काफी नुकसान हुआ

कावेरी विवाद के अहम बिन्दु


1. कोर्ट ने कहा कि कर्नाटक अब तमिलनाडु के लिये 20 सितम्बर तक हर दिन 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़े। गौरतलब है कि कोर्ट ने 5 सितम्बर को कर्नाटक सरकार को आदेश दिया था कि वह अगले 10 दिन तक कावेरी नदी का रोजाना 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को सप्लाई करे।

2. कर्नाटक ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा था कि वह 10 दस दिन तक 15 हजार क्यूसेक पानी देने के अपने आदेश को रद्द कर दे क्योंकि तमिलनाडु के दावे झूठे हैं।

3. तमिलनाडु ने कहा था कि बारिश की कमी की वजह से उसके पास पीने और खेती के लिये पानी नहीं है।

4. कोर्ट ने कर्नाटक की कड़े शब्दों में इस बात पर निन्दा की कि वह जनता के विरोध को अपने केस का आधार नहीं बना सकता। कोर्ट ने कहा 'नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकते। जब कोर्ट कोई आदेश दे रही है तो नागरिकों का फर्ज है कि उसका पालन किया जाये। यह कार्यकारी का काम है कि वह देखे कि आदेश का पालन पूरी तरह किया जाये।'

5. बंगलुरु में तमिलनाडु की दुकानों और गाड़ियों की तोड़फोड़ किये जाने के बाद शहर में बड़े समूहों के जमावड़े पर रोक लगा दी गई है। तमिलनाडु तक जाने वाली बस सेवाएँ भी फिलहाल रोक दी गई हैं। स्कूल और कॉलेज भी शहर में बन्द हैं।

6. दोनों राज्यों के बीच इस तनातनी के चलते सोमवार को चेन्नई में स्थित एक कर्नाटक होटल में तोड़फोड़ की गई, वहीं रविवार को बंगलुरु में एक छात्र पर इसलिये हमला किया गया क्योंकि उसने सोशल मीडिया पर दोनों राज्यों के बीच पानी के बँटवारे को लेकर अपनी राय रखी थी।

7. सोमवार की सुबह चेन्नई के वुडलैंड्स होटल पर कथित तौर पर एक तमिल संगठन द्वारा हमला किया गया। हमलावरों ने होटल की खिड़कियों के शीशे तोड़े और कुछ पर्चे भी छोड़े जिसमें लिखा गया था कि अगर कर्नाटक में तमिल लोगों पर हमला किया गया तो इसका बदला लिया जाएगा।


TAGS

cauvery river water dispute latest news in hindi, short note on cauvery water dispute in hindi, cauvery water dispute case in hindi, causes of cauvery water dispute in hindi, kaveri river water dispute pdf in hindi, kaveri river water dispute ppt in hindi, kaveri river in hindi, kaveri river dam in hindi, conflicts over water in india in hindi, kaveri river water dispute in hindi, kaveri river starting point in hindi, krishna water dispute in hindi, river water disputes in india in hindi, kaveri river history in tamil in hindi, cauvery water dispute case study in hindi, kaveri river map in hindi, causes of cauvery water dispute in hindi, cauvery river water dispute latest news in hindi, kaveri dam problem in hindi, krishna water dispute in hindi, cauvery water dispute case study in hindi, short note on cauvery water dispute in hindi, cauvery water dispute ppt in hindi, tamil nadu and karnataka water dispute in hindi, conflicts over water in india in hindi, water conflicts in india ppt in hindi, water conflicts in india a million revolts in the making in hindi, list of water conflicts in india in hindi, water conflicts in the world in hindi, water conflicts in middle east in hindi, water issues in india in hindi, river water disputes india in hindi, water conflicts in india in hindi, kaveri river cities in hindi, cauvery river map in hindi, cauvery river dispute in hindi, kaveri river birthplace in hindi, kaveri river distributaries in hindi, cauvery water dispute involves which states in hindi, krishna water dispute in hindi, cauvery water dispute case study in hindi, short note on cauvery water dispute in hindi, kaveri river water dispute ppt in hindi, kaveri river water dispute pdf in hindi, what is karnataka stand on this issue in hindi, kaveri river starting point in hindi, short note on cauvery water dispute in hindi, kaveri river problem in hindi, cauvery water dispute is between which two states in hindi, cauvery water dispute case study in hindi, ccauvery water dispute 2016 in hindi, cauvery water dispute tribunal in hindi, cauvery water dispute latest news in hindi, kaveri river problem news in hindi, kaveri river issue latest news in hindi, kaveri river issue today in hindi, kaveri river route map in hindi, krishna river in hindi, godavari river in hindi, kaveri river starting point in hindi, kaveri river basin in hindi, kaveri river cities in hindi, cauvery river map in hindi, cauvery river dams in hindi, cauvery river flow map in hindi, cauvery river rafting in hindi.



Path Alias

/articles/kaavaerai-jala-vaivaada-paanai-ghataa-vaivaada-badhaa

×