सूचना का अधिकार अधिनियम अपने दायरे में आने वाले सभी लोक प्राधिकरणों से व्यापक किस्म की सूचनाओं को स्वयं स्वैच्छिक रूप से (जिसे अंग्रेजी में ‘सुओ मोटो’ कहा जाता है) प्रकाशित करने की मांग करता है, भले ही किसी ने विशिष्ट तौर पर उन सूचनाओं के लिये निवेदन न किया हो। यह एक प्रमुख प्रावधान है क्योंकि यह मानता है कि कुछ सूचनाएँ सामान्य समुदाय के लिये इतनी उपयोगी और महत्त्वपूर्ण होती हैं कि उन्हें किसी व्यक्ति के विशिष्ट निवेदन के बिना ही नियमित रूप से लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अधिक व्यापक अर्थों में कहें तो यह प्रावधान स्वीकार करता है कि पारदर्शिता सामान्यतः जनहित में होती है और इसलिये लोक प्राधिकरणों को जितना अधिक सम्भव है, उतनी सूचनाओं को सार्वजनिक करने का भरसक प्रयास करना चाहिए।
वे सूचनाएँ जो भागीदारी और निगरानी को बढ़ावा दें
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4(1)(b) सभी लोक प्राधिकरणों से सूचनाओं की 17 श्रेणियों22 को नियमित रूप से सार्वजनिक करने और उन्हें नियमित रूप से अपडेट बनाने की मांग करता है।23 इससे सुनिश्चित हो जाता है कि नागरिकों की प्रामाणिक उपयोगी तथा प्रासंगिक सूचनाओं तक हमेशा पहुँच रहेगी। प्रकाशित की जाने वाली सूचनाएँ निम्न सामान्य क्षेत्रों के दायरों में आती हैः
सरकारी दफ्तर/विभाग की संरचना- इसके कार्य और कर्तव्य, इसके अधिकारियों की शक्तियाँ और कर्तव्य, इसके कर्मियों की एक डायरेक्ट्री तथा हर कर्मी द्वारा पाया जाने वाला मासिक पारिश्रामिक।
उदाहरण के लियेः विभाग/दफ्तर का सांगठनिक चार्ट, विभागों के प्रभारी अधिकारियों के नाम, हर अधिकारी के कार्य और शक्तियाँ और उन्हें प्राप्त होने वाला वेतन। |
कार्य-संचालन की प्रक्रिया – निर्णय प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली कार्य प्रणालियां, मानदण्ड, नियम, लोक प्राधिकरण के पास मौजूद दस्तावेजों की श्रेणियां।
उदाहरण के लियेः राशन कार्ड कैसे जारी किए जाते हैं, वृद्धावस्था पेंशन योजनाएं कैसे चलाई जाती हैं या वीजा कैसे प्रदान किये जाते हैं- से सम्बन्धित सरकारी नियम। हकीकत में ठीक वही कानून, नियम, आंतरिक आदेश, मीमो और सर्कुलर जो लोक प्राधिकरण के रोजमर्रा के कामकाज में दिशा-निर्देशों का काम करते हैं। |
संगठन से सम्बन्धित वित्तीय विवरण और योजनाएँ- सभी प्राधिकरणों के बजट (उन योजनाओं और गतिविधियों सहित जिनका वे प्राधिकरण प्रबंधन करते हैं और साथ ही उनके कार्यान्वयन से सम्बन्धित प्रतिवेदनों सहित), सब्सिडी कार्यक्रमों (ऐसे कार्यक्रमों को आवंटित धनराशियों और उनके हितग्राहियों के विवरणों सहित) के कार्यान्वयन के तरीके तथा कार्यालय द्वारा प्रदान की गई सभी छूटों, परमिटों या अनुमोदनों के प्राप्तकर्ताओं के विवरण।
उदाहरण के लियेः व्ययों के अनुमान, लोक प्राधिकरण द्वारा प्राप्त किए गए अनुदानों और धनराशियों के विवरण, गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले लोगों की सूचियाँ, ग्रामीण विकास योजनाओं के प्रशासन पर नियमित अपडेट, रोजगार गारंटी योजना के हितग्राहियों के विवरण, औद्योगिक लाइसेंसों के प्राप्तिकर्ता और पंचायत के लिये बजट दस्तावेज। |
परामर्श व्यवस्थाओं के विवरण – लोगों के लिये नीतियों के निर्माण या उनके कार्यान्वयन में सहभागिता के अवसर और साथ ही सरकारी निगमों, समितियों, परिषदों और परामर्शदाता समूहों के विवरण।
उदाहरण के लियेः विशिष्ट मुद्दों को संबोधित करने वाली पंचायतों और नगरपालिकाओं की समितियाँ, संसदीय समितियाँ, जाँच बोर्ड, विभागीय खरीद समितियाँ, विभागीय प्रोत्साहन समितियाँ या तकनीकी परामर्शदाता संस्थाएँ |
सूचनाओं तक पहुँच से सम्बन्धित विवरण – किसी कार्यालय में उपलब्ध दस्तावेजों की सभी श्रेणियों की सूची, इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखी गई/उपलब्ध सूचनाओं के विवरण, सूचनाओं तक पहुँच बनाने के लिये नागरिकों को उपलब्ध सुविधाएँ और लोक सूचना अधिकारियों के नाम और पद।
उदाहरण के लियेः वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने के दिन एवं समय, पुस्तकालयों और वचानालयों के समय, सूचना का अधिकार अधिनियम से सम्बन्धित कार्यों को करने वाले सभी अधिकारियों के नाम और सम्पर्क विवरण। |
केन्द्रीय व राज्य स्तर के अनेकों लोक प्राधिकरण धारा 4(1)(b) के तहत आने वाली सूचनाओं को पहले ही अपने वेबसाइटों पर प्रस्तुत कर व दूसरे विभिन्न तरीकों से प्रकाशित कर चुके हैं। आप भारत सरकार द्वारा विकसित सूचना का अधिकार पोर्टलः http://rti.gov.in पर देख कर केन्द्र और राज्य सरकारों के तहत आने वाले मंत्रालयों/विभागों द्वारा अपनी पहल पर सार्वजनिक की गई सूचना पा सकते हैं।
लोक प्राधिकरणों को सुनिश्चित करने की जरूरत है कि धारा 4(1)(b) के तहत आने वाली सूचनाओं को व्यापक रूप से प्रसारित किया जाए। उन्हें एकत्रित कर फाइल में रख देना भर काफी नहीं है। इन्हें व्यापक रूप से और ऐसे रूपों में प्रकाशित करने की जरूरत है जिससे ये साधारण लोगों के लिये सुलभ हों – उदाहरण के लिये, सूचनाओं को कार्यालय सूचना पटलों पर लगा कर, उन्हें समाचार पत्रों में प्रकाशित कर, इसे सरकारी वेबसाइटों पर उपलब्ध करा कर, सार्वजनिक घोषणाएँ (मुनादियाँ) करा कर और उन्हें इलाके की क्षेत्रीय भाषा में प्रकाशित कर।24 हर लोक सूचना अधिकारी को कम से कम एक दस्तावेज या एक कम्प्यूटर में यह सूचनाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि वह उन्हें फौरन निरीक्षण के लिये हाजिर कर सके या अगर उन्हें प्रिंट आउट या फोटोकॉपी के रूप में मांगा गया है, तो फौरन उन्हें मुहैया करा सके।25
वे सूचनाएँ जो जवाबदेह निर्णय प्रक्रिया को बढ़ावा दें
सरकार नियमित रूप से ऐसी नीतियाँ, परियोजनाएँ तथा योजनाएँ विकसित करती है जो जनता को प्रभावित करती हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम मांग करता है कि सभी लोक प्राधिकरण नीतियाँ बनाते और निर्णयों की घोषणा करते समय सभी प्रासंगिक तथ्यों को प्रकाशित करें। इसका अर्थ है कि नागरिक नीति प्रक्रिया में अधिक सक्रियता से सहभागी हो सकते हैं और इस बात की अधिक प्रभावी तरीके से जाँच कर सकते हैं कि निर्णय सुदृढ़ आधारों पर किए गए हैं।26 इसमें, उदाहरण के लिये, बाँध या ऊर्जा परियोजनाएँ निर्मित करने के लिये निजी भूमियों के अधिग्रहण से सम्बन्धित योजनाओं के विवरणों या नई गरीबी निवारण नीतियों तथा योजनाओं के विकास से सम्बन्धित तथ्यों को प्रकाशित करना शामिल होगा।
अब लोक प्राधिकरणों को अपने निर्णयों के कारण उन लोगों को बताने होंगे जो उन निर्णयों से प्रभावित होंगे।27 उदाहरण के लिये, अगर किसी कल्याणकारी योजना के तहत किसी नागरिक को प्रदान किए गए लाभों को वापस लिया गया है, तो फैसला लेने वाले लोक प्राधिकरण को विशिष्ट तौर पर प्रभावित व्यक्ति को लिखित में ऐसा करने के कारण समझाने होंगे। निर्णयों को हर स्थिति में प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि जनता के सभी सदस्य इस बात की जाँच कर सकें कि निर्णय ठीक ढंग से लिये गये हैं।
धारा 4(1)(बी) के तहत आने वाली सूचनाओं के लिये आपको न कोई आवेदन शुल्क देना है और न ही लम्बी इन्तजार करनी है!
सूचना का अधिकार अधिनियम में परिकल्पना की गई है कि अपनी पहल पर सार्वजनिक की गई सूचनाओं को निःशुल्क व्यापक स्तर पर प्रकाशित किया जाएगा। इसके लिये न किसी विशिष्ट आवेदन की जरूरत है और न ही आवेदन शुल्क अदा करने की। इसके लिये क्योंकि आवेदन करने की जरूरत नहीं, सो सूचना पाने के लिये 30 दिन इन्तजार भी नहीं करना पड़ेगा। सूचनाएँ आपको तुरंत दी जानी चाहिए। अधिक से अधिक आपसे आपके द्वारा मांगी गई प्रति शुल्क लिया जा सकता है, लेकिन निरीक्षण के लिये कोई शुल्क नहीं देना होगा। अगर कोई सार्वजनिक प्राधिकरण आपको शुल्क के साथ आवेदन करने के लिये कहता है, तो आप उसे केन्द्र या राज्य सूचना आयोग से इस बारे में पूछने के लिये कहें। आयोग निश्चित रूप से इस बात की पुष्टि करेंगे कि आपको आवेदन देने की जरूरत नहीं है। |
22धारा 4(1)
23धारा 4(2)
24धारा 4(2), (3) और (4)
25धारा 4(4)
26धारा 4(1)(सी)
27धारा 4(1)(डी)
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