कातिक सुदि पूनो दिवस, जो कृतिका रिख होई।
तामें बादर बीजुरी, जो संजोग सो होई।।
चार मास तब बरखा होखी,
भली-भाँति यह भाखे जोसी।।
शब्दार्थ – रिख-नक्षत्र।
भावार्थ – कार्तिक की पूर्णिमा को यदि कृत्तिका नक्षत्र हो और संयोगवश आकाश में बादल हों और उनमें बिजली भी चमक रही हो तो समझ लेना चाहिए की वर्षा ऋतु के चारों महीनों में वर्षा अच्छी होगी। ऐसा ज्योतिषी मानते हैं।
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