सारांश
बांध भंग विश्लेषण करने के लिए नदी की स्थलाकृति और क्षेत्र की विविधता को परिभाषित करने के लिए डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डी. ई. एम.) का उपयोग करना आवश्यक है। सूक्ष्म रीजोलुशन के डी. ई. एम. का उपयोग नदी की अनुप्रस्थ काट को निकालने में किया जाता है जो कि बाद में प्रवाह मॉडल के सैटअप में उपयोग किया जाता है। लेकिन सूक्ष्म रीजोलुशन के डी. ई. एम.की उपलब्धता विशेषकर पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में एक बहुत बड़ी बाधा है। उपग्रह आधारित डी. ई. एम. जैसे एस.आर .टी.एम., ए.स.ट.र., कार्टो डी. ई. एम. आदि ऐसी स्थितियों में वैकल्पिक स्रोत हैं और कई प्रवाह मॉडलिंग अध्ययनों में उपयोग किए गए है। इस लेख में, उत्तराखंड के कुमाऊं के निम्न हिमालय वाले क्षेत्र में स्थित बांध भंग के विश्लेषण का अध्धयन किया गया है। काली नदी की एक सहायक नदी धौलीगंगा पर कंक्रीट निर्मित रॉकफिल बांध के टूटने के कारण बाढ़ के विभिन्न परिदृश्य, नदी के अनुप्रवाह में बाढ़ मार्गाभिगमन के द्वारा बाढ़ आप्लावन की गणना तथा बाढ़ के समय की गणना आदि पर प्रकाश डाला गया है। एन आर एस सी हैदराबाद द्वारा उपलब्ध कराए गए कारटो डी. ई. एम. का उपयोग कर 10 मीटर रीजोलुशन के डी. ई. एम. की व्युत्पत्ति की गई तथा सर्वेक्षित किए गए नदी अनुभागों का उपयोग करते हुए माइक 11 सॉफ्टवेयर में नदी की लगभग 30 किमी की लम्बाई के लिए हाइड्रोलिक मॉडल विकसित किया गया है तथा बाढ़ के निम्नलिखित तीन मामलों का अनुकार किया गया है; (क) नदी में पीएमएफ के कारण बाढ़ आना जिस की वजह से बांध भंग की स्थिति उत्पन होना। (ख) नदी में पीएमएफ के कारण बाढ़ आना परन्तु बांध भंग की स्थिति उत्पन न होना। (ग) धूप के दिन की विफलता की स्थिति (जलाशय पूर्ण भरा होने की स्थिति में सामान्य अंतर्प्रवाह के साथ बांध की विफलता)। अध्ययन में यह प्रेक्षित किया गया है कि गंभीर डैम ब्रेक स्थिति के दौरान बांध स्थल से धारचूला में प्रमुख बस्ती, जो कि लगभग 20 किमी डाउनस्ट्रीम में है, तक बाढ़ शीर्ष के पहुचनें का समय अन्तराल 42 मिनट का है। महत्त्वपूर्ण स्थानों पर शिखर बाढ़ का अधिकतम स्तर और पहुचने का समय आंकलित किया गया है। हालाँकि, इन स्थितियों के लिए कोई भी बस्तियों/गाँवों का इलाका जलमग्न नहीं पाया गया है। बाढ़ के खतरों के विभिन्न मामलों का अनुमान पता लगाने के लिए आप्लावन मानचित्र को गूगल धरती पर सुपरइम्पोज़ किया गया ताकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और संरचनाओं पर संभावित प्रभाव का विस्तृत अध्ययन किया जा सके।
मुख्य शब्द: बांध भंग विश्लेषण, माइक 11, कारटो डी ई एम, आप्लावन मानचित्र, बाढ़ हजार्ड
ABSTRACT
With the development of computation capability and readily available computer programs, flow inundation modelling based flood hazard mapping are widely practiced.For such analysis, digital elevation models (DEMs) are necessary to define the river topography and terrain variability. Fine resolution DEM are also used to extract the river cross sections that are subsequently utilized in flow model setup. But the availability of fine resolution DEM is the major constrain, especially in hilly and inaccessible terrains.etc. are The satellite based DEM like; SRTM, ASTER, CARTODEM etc are the alternative sources in such case and have been used in several flow modelling studies. In this paper, dam break analysis of a small dam located in Uttarakhand in Kumaon Lesser Himalayas is reported. The various scenarios of flooding due to dam breach of the concrete face rockfill dam on Dhauliganga, a tributary of Kali river by routing flood waves in the downstream reach to compute flood inundation, time of occurrences etc are discussed. The hydraulic model for the river reach of about 30 km is developed in Mike 11 using surveyed river cross sections and 10 m resolution digital elevation model of the study area generated using CartoDEM provided by NRSC, Hyderabad. Three cases of flooding are simulated; (i) flooding due to PMF in the river causing dam break condition; (ii) flooding due to PMF without dam break; and (iii) sunny day failure condition (dam failure with nominal inflow when reservoir is full). It is observed that the time of travel of peak flood from dam site to major settlement area at Dharchula, about 20 km downstream location is 42 minutes for critical case of dam failure. The maximum flood level and time of travel of the peak flood at the important locations are estimated. However, no settlements/ villages area are under inundation for these conditions. The extent of flood hazard for various cases of flooding are estimated by superimposing the nundation map over Google Earth for detailed description of inundated areas and affected infrastructures.888 Key words: Dam break analysis, MIKE 11, CartoDEM, Flood inundation, flood hazard
परिचय
भूमि और पानी की उपलब्धता के कारण जनसंख्या और विकास गतिविधियों के बांधों के निचले इलाकों में केंद्रित होने के कारण, बांध भंग से बाढ़ के खतरे का मूल्यांकन महत्त्वपूर्ण हो गया है। खतरा आकलन बाढ़ शमन योजना की रूप रेखा बनाने में मदद करता है और इस तरह से जान-माल के नुकसान को कम करता है। बांध भंग बाढ़ विश्लेषण बाढ़ आप्लावन और बाढ़ चेतावनी के समय के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकता है। और बांध विफलताओं से उत्पन्न मूर्त और अमूर्त नुकसान क¨ कम करने में मदद करता है। फ्लो मॉडल बाढ़ के खतरे के आंकलन के लिए आधारभूत सूचना प्रदान करता है और इस मॉडल के लिए डिजिटल ऊंचाई मॉडल (डी ई एम) सबसे प्रभावशाली इनपुट है। बाढ़ मॉडल में बाढ़ ज्यामिति और नदी के प्रतिनिधित्व को क्रमशः नदी की अनुप्रस्थ काट और डी ई एम के माध्यम से स्थापित किया जाता है। डी ई एम स्थानिक रिजॉल्यूशन और ऊर्ध्वाधर यथार्थता की विशेषता है जो आप्लावन यथार्थता को प्रभावित करता है। डी ई एम बिंदु ऊंचाई के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, इसकी सटीकता इसके आनुवंशिक स्रोत के अलावा नमूनाकरण और प्रक्षेप तकनीक पर निर्भर करती है। विकासशील देशों के लिए बाढ़ मैदानी क्षेत्र के सटीक डी ई एम आंकड़ों की उपलब्धता उनके सीमित संसाधनों के लिए एक बड़ी बाधा है। कई नदियों और बाढ़ मैदानी क्षेत्र के लिए यह आवश्यक इनपुट डेटा या तो हैं पर्याप्त नहीं है या अनुपलब्ध है जो अभी भी एक चिंता का विषय है (सान्याल एट आल, 2014; सामन्तेरे एट आल.2014)। दूसरी ओर, इस क्षेत्र में बाढ़ की समस्या अधिक बढ़ गई है। (डब्लू आर आई, 2015) बाढ़ के खतरों की लगातार और विनाशकारी प्रकृति से पीड़ित देश भी, सस्ती/सार्वजनिक डोमेन नदी प्रवाह मॉडल की उपलब्धता के साथ, बाढ़ के शमन की योजना के लिए अग्रिम उपकरण की मांग कर रहे हैं। स्थलाकृतिक सर्वेक्षण के अतिरिक्त, डी ई एम से बाढ़ के अध्ययन के लिए LiDAR आंकड़ों को सबसे सटीक माना जाता है, हालांकि यह बहुत महंगा है। एस्टर और एस आर टी एम जैसे उपग्रह आधारित वैश्विक डीईएम 30 और 90 मीटर के स्थानिक रिसोलुशन पर स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं, और बाढ़ मॉडलिंग में व्यापक रूप से उपयोग किए जा रहे हैं (तरेक्गन एट आल., 2010; येन एट आल., 2013)। इस श्रृंखला में, कार्टो-डी ई एम एक अधिक महीन रिजॉल्यूशन डी ई एम प्रदान करता है कार्टो सैट-1 स्टीरियो पेलोड से मई 2005 में लॉन्च किया गया। क्षैतिज स्थिति में कार्टो- डी ई एम का स्थानिक रिजॉल्यूशन 2.5 मीटर है। कार्टो- डी ई एम एम के डिजाइन के अनुसार, डीईएम की सटीकता आर्थो डेटा के लिए एल ई 90 पर 8 मीटर और सी ई 90 पर 15 मीटर (एनआरएसए, 2015) है। कार्टो डी ई एम, स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, इसरो भारत) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित सॉफ्टवेयर है जो कि ऑगमेंटेड स्टीरिय¨ स्ट्रिप ट्राइंगुलेशन (एएसएसटी) का उपयोग करके उत्पन्न होता है। प्रत्येक कार्टो सैट-1 खंड के उत्पन्न डीईएम और ऑर्थो छवियों को 7.5 x 7.5 विस्तार के खंडों में काटा जाता है और पूरे भारतीय क्षेत्र को लगभग 500 कार्टो सैट-1 खंडों द्वारा कवर किया जाता है, जिनमें लगभग 20,000 टाइल जोड़े हैं, जबकि 2.5, 10 और 30 मीटर के स्थानिक रिजॉल्यूशन पर डी ई एम उपलब्ध है। इस अध्ययन में, 10 मीटर डी ई एम का उपयोग किया गया है। नदी खंड के सर्वेक्षण आंकड़ों की अनुपस्थिति में, कार्टो डी ई एम से नदी काट की व्युत्पत्ति की गई। आमतौर पर, डी ई एम की सटीकता का मूल्यांकन अवलोकन ऊंचाई बिंदुओं के साथ किया जाता है, हालांकि इस अध्ययन में, ज्ञात ऊंचाई बिंदु बहुत ही चयनित हैं और मुख्य रूप से बांध क्षेत्र और बिजली घर पर स्थित हैं। रिवर क्रॉस सेक्शन कार्टो डी ई एम से 10 मीटर रिज़ॉल्यूशन पर निकाला गया है और विभिन्न परिदृश्य के तहत बाढ़ की गणना करने के लिए माइक 11 फ्लो मॉडल सेटअप में उपयोग किया गया है। इस पत्र में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में काली नदी पर स्थित धौलीगंगा बांध की विफलता के विश्लेषण पर चर्चा की गई है। अध्ययन में बाढ़ के विभिन्न परिदृश्यों की पहचान, बांध भंग मापदंडों का आकलन, बांध भंग बाढ़ का निदर्शन और अधिकतम बाढ़ आप्लावन और इसके समय की गणना करने के लिए डाउनस्ट्रीम में इसका मार्गाभिग्मन की परिकल्पना की गई है। डाउनस्ट्रीम पहुंच में महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अधिकतम बाढ़ के स्तर और उनकी घटनाओं का समय अनुमानित किया गया है। बाढ़ के विभिन्न परिदृश्य के लिए अधिकतम बाढ़ आप्लावन की गणना भी की गई है। आप्लावन क्षेत्रों के विस्तृत विवरण के लिए आप्लावन मानचित्र को गूगल-अर्थ पर सुपरइम्पोज किया गया है।
2 अध्ययन क्षेत्र
धौलीगंगा बांध, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में काली नदी की एक सहायक नदी, धौलीगंगा नदी पर स्थित पनबिजली परियोजना का हिस्सा है। धौलीगंगा नदी हिमालय के उच्च हिमालय पर्वत में लगभग 5160 मीटर की ऊंचाई हिमनद से निकलती है। नदी का जलग्रहण क्षेत्र 1372 Km2 है। नदी हर 1 किलोमीटर लंबाई के लिए लगभग 48 मीटर के बहुत गहरी ढलान के साथ गहरी घाटियों में बहती है। पावर हाउस बांध स्थल से लगभग 9.4 किमी की दूरी पर स्थित है।
2.1 धौलीगंगा बांध का विवरण
धौलीगंगा बांध, नदी के तल से 56 मीटर ऊंचा एक कंक्रीट फेस रॉकफिल तटबंध बांध है। इसके जलाशय की लंबाई लगभग 1.4 किलोमीटर है। बांध शिखा(क्रेस्ट) की ऊंचाई आर एल 1352.0 मीटर और है शिखा की लंबाई 270 मीटर है। बांध के निर्माण से बने जलाशय का पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) आर एल 1345.0 मीटर और न्यूनतम ड्रा डाउन स्तर (एमडीडीएल) आरएल 1330.0 मीटर पर है। बांध के दाहिने किनारे पर खुली ढलान और फ्लिप बाल्टी (10 m x 6 m) के साथ दो गेटेड स्पिलवे हैं, जिसमें 3210 m3/s की डिस्चार्ज क्षमता है। डैम में 9 मीटर x 16 मीटर के रेडियल आकार के साथ टनल स्पिलवे भी है।
2.2 नीचे की ओर नदी का बहाव
धौलीगंगा बांध के लिए बांध भंग विश्लेषण किया गया है और बांध स्थल से 30 किलोमीटर नीचे तक नदी के बहाव क्षेत्र में इसका प्रभाव प्रेक्षित किया गया है। बांध स्थल से, धौलीगंगा दक्षिण पूर्व दिशा में 4.5 किमी की दूरी पर बहती है जहां इसका काली नदी से संगम होता है जहां से यह दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर मुड़ती है। नदी के निचले बहाव क्षेत्र में तानपुर से आगे इसक¨ शारदा नदी के नाम से जाना जाता है। तत्पश्चात यह घाघरा नदी में गिरती है और अंत में गंगा नदी में मिलती है। पावर हाउस लगभग 9.75 किमी पर स्थित है, जबकि एक प्रमुख बस्ती, धारचूला, लगभग 21 किमी की दूरी पर स्थित है। एक अन्य बस्ती धाप गांव बांध स्थल से 30 किमी नीचे की अ¨र स्थित है। बांध का स्थान और नदी का निचला हिस्सा चित्र 1 में दिखाया गया है।
3 प्रयुक्त डेटा
बांध भंग विश्लेषण के लिए, जलाशय पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर माना जाता है जब डिजाइन बाढ़ जलाशय में प्रवेश करती है। संभावित अधिकतम बाढ़ (पीएमएफ) और 100 वर्ष की वापसी अवधि बाढ़, जैसा कि चित्र 2 में दिखाया गया है, को विश्लेषण में डिजाइन बाढ़ के रूप में उपयोग किया गया है। बांध की विशेषताएं जैसे बांध का प्रकार, निर्माण सामग्री और प्रकार, बांध और जलाशय के डिजाइन विवरण, बांध स्थल पर नदी का स्तर, बांध के शीर्ष की ऊंचाई, क्षेत्र क्षमता विवरण आदि परियोजना प्राधिकरण से प्राप्त किए गए। एन आर एस सी से प्राप्त कार्टो डी ई एम का उपयोग करके डाउनस्ट्रीम क्षेत्र का डिजिटल उन्नयन मॉडल तैयार किया गया है। अध्ययन क्षेत्र के लिए 10 मीटर रिजॉल्यूशन कार्टो डी ई एम् चित्र 3 में दिखाया गया है। आर्क-जी आई एस में प्रत्येक 500 मीटर की दूरी पर इस कार्टो डी ई एम से क्रॉस सेक्शन आंकड़े निकले गए। कुल मिलाकर, नदी के 30 किमी के अध्ययन क्षेत्र में नदी के 60 अनुप्रस्थ अनुभागों का उपयोग किया गया है। ए एच ई सी दिशा निर्देशों (ए एच ई सी-आई आई टी आर, 2013) की तालिका-1 के अनुसार नदी का तल प्रतिर¨ध 0.05 माना गया है, जो नदी क्षेत्र के दौरे के दौरान प्रेक्षित किए गए नदी के तल सामग्री पर निर्भर करता है।
4. बांध भंग विश्लेषण के लिए कार्यविधि
बांध भंग विश्लेषण की कार्यविधि में दो प्रमुख घटक शामिल हैं; बांध भंग के पश्चात बाह्य प्रवाह का आंकलन और नदी के निचले हिस्से में इस प्रवाह का मार्गाभिग्मन। बांध भंग के पश्चात बाह्य प्रवाह बांध में भंग अनुभाग के विकास पर निर्भर करता है। ब्रीच का विकास या तो समय के ज्ञात कारक के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है, अथवा इसे भंगता उपरान्त प्रवाह की अवसाद परिवहन क्षमता से अनुकारित किया जा सकता है।
4.1 ब्रीच पैरामीटर्स का अनुमान
बाह्य प्रवाह जलालेख और नदी के निचले हिस्से में इस प्रवाह का आप्लावन का सटीक आंकलन लगाने के लिए भंगता स्थान, आकार और विकास के समय का आंकलन महत्त्वपूर्ण है। भंगता के प्राचल सीधे बांध से निकलने वाले शिखर प्रवाह के आंकलन को प्रभावित करेगा एवं साथ ही साथ नदी के निचले हिस्से के लिए किसी भी संभावित चेतावनी के समय को भी प्रभावित करेगा। दुर्भाग्य से अक्सर बांध विफलता विश्लेषण में भंगता के स्थान, आकार और गठन का समय की जानकारी में सबसे ज्यादा अनिश्चितता होती हैं। एक बांध की संभावित ब्रीच विशेषताओं का कई तरीकों से आंकलन लगाया जा सकता है, जिसमें शामिल हैं तुलनात्मक विश्लेषण (समान आकार, सामग्री और जल आयतन के बांधों की ऐतिहासिक विफलताओं की तुलना); प्रतिगमन समीकरण (शिखर बाह्य प्रवाह या ब्रीच आकार और विकास समय का आंकलन लगाने के लिए ऐतिहासिक बांध विफलताओं से विकसित समीकरण); वेग का उपयोग (या कतरनी तनाव) बनाम अवसादन दर; और भौतिक रूप से आधारित कम्प्यूटर मॉडल (सॉफ्टवेयर जो तलछट परिवहन/कटाव समीकरणों, मिट्टी यांत्रिकी और जलगति विज्ञान के सिद्धांतों का उपयोग करके भौतिक उल्लंघन प्रक्रिया को मॉडल करने का प्रयास करता है)। ये सभी विधियाँ ब्रीच विशेषताओं के आकलन के लिए व्यवहार्य तकनीक हैं। हालांकि, इन विधियों में से प्रत्येक की सीमाएं हैं और उन्हें मापदंडों का आंकलन करने और निरपेक्ष मूल्यों के रूप में उपयोग न करने के तरीके के रूप में माना जाना चाहिए। ब्रीच आयाम एवं ब्रीच गठन समय, बांध ब्रेक मॉडलिंग के लिये पूर्व-अपेक्षित है और मॉडल सेटअप से पहले इसका आंकलन किया जाना चाहिए। अमेरिका में ऐतिहासिक बांध विफलताओं के डेटा पर कई अध्ययन किए गए हैं, जिससे बांध के टूटने के आकार और समय की भविष्यवाणी के लिए दिशानिर्देश, प्रतिगमन समीकरण और कंप्यूटर मॉडलिंग का विकास किया गया है। वहल (1988) ने ऐतिहासिक बांध विफलताओं के आंकड़ों पर एक व्यापक साहित्य को संक्षेप में प्रस्तुत किया और बांध भंग के विश्लेषण के लिए भंगता प्राचलों का अनुमोदन किया। फ्रोएीच (1995), फ्रोएीच (2008), वोन थून एवं जिल्लेट (1990) और जू एवं जांग (2009) द्वारा प्रतिगमन समीकरणों ब्रीच आयामों और विफलता समय का आंकलन लगाने का भी सुझाव दिया गया है। इन अनुमानों को संवेदनशीलता विश्लेषण करने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। संघीय एजेंसियों (एफ ए) के दिशा-निर्देशों और प्रतिगमन समीकरण आधारित दृष्टिकोण का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। वास्तव में दिशानिर्देश पैरामीटर मानों के ऊपरी और निचले हिस्से को बताता है जबकि प्रतिगमन समीकरणों से अनुमानित सीमा का उपयोग पैरामीटर संवेदनशीलता विश्लेषण (टीडी -39, 2014) के लिए किया जाता है। इस अध्ययन में, विभिन्न प्रतिगमन विश्लेषण के आधार पर ब्रीच मापदंडों का अनुमान लगाया गया है और प्रत्येक पैरामीटर के लिए औसत अनुमान बांध भंग विश्लेषण के लिए उपयोग किया गया है, जैसा कि तालिका 1 में दिखाया गया है। बांध अनुभाग में भंगता के प्रगतिशील विकास को चित्र 4 में दिखाया गया है।
तालिका: भंगता के प्राचलों का विवरण |
||||
SN |
उपागम |
औसत ब्रीच चौड़ाई (मीटर) |
विफलता का समय (घंटा) |
ब्रीच अनुभाग की साइड ढलान |
1 |
Froehlich ¼1995½ |
66 |
0-26 |
1-4%1 |
2 |
Froehlich ¼2008½ |
52 |
0-25 |
1-%1 |
3 |
MacDonald and Langridge&Monopolis ¼1984½ |
310 |
2-82 |
0-5%1 |
4 |
Von Thun and Gillette ¼1990½ |
128 |
1-13 |
1-%1 |
5 |
Xu and Zhang ¼2009½ |
27 |
1-9 |
0-5%1 |
6 |
Upper bound |
28 |
4 |
1%1 |
7 |
Lower bound |
225 |
0-1 |
1%1 |
8 |
आंकलित भंगता प्राचल |
50 |
1 |
1%1 |
4.2 बाढ़ मार्गाभिगमन
नदी के निचले हिस्से में बाढ़ की गति को सेंट वेनेंट के द्रव्यमान और गति के संरक्षण के मूल आंशिक अंतर समीकरणों के हल के माध्यम से वर्णित किया गया है जिसका नीचे दिखाया गया हैः
द्रव्यमान (निरंतरता) समीकरण का संरक्षण
संवेग समीकरण का संरक्षण
जहां, Q = निस्सरण ; A = सक्रिय प्रवाह क्षेत्र; A0 = निष्क्रिय भंडारण क्षेत्र; h = पानी की सतह की ऊंचाई; q = पाश्र्व बहिर्वाह; x = जलमार्ग के साथ दूरी; t = समय; SR = घर्षण ढलान; Sc = विस्तार संकुचन ढलान और g = रूपात्मक त्वरण
बांध टूटने के प्रवाह का गणितीय मॉडलिंग उपरोक्त समीकरणों को हल (लगभग) करने के लिए लागत और समय प्रभावी उपागम है। बांध भंग का वर्तमान अध्ययन डेनिश हाइड्रोलिक इंस्टीट्यूट (डी एच आई) द्वारा विकसित माइक-11 एच डी मॉडल का उपयोग करके किया गया है। माइक 11 सिस्टम में मुख्यतः एचडी (हाइड्रोडायनामिक) मॉड्यूल शामिल है, जो खुले चैनलों के नेटवर्क में अस्थिर प्रवाह का अनुकरण करने में सक्षम है। एच डी सिमुलेशन के परिणामों में जल स्तरों और निस्सरण की समय श्रृंखला शामिल है। माइक 11 हाइड्रोडायनामिक मॉड्यूल अस्थिर प्रवाह संगणना के लिए एक अंतर्निहित, परिमित अंतर मॉडल है। मॉडल एक संख्यात्मक विवरण के माध्यम से उप-क्रिटिकल और सुपरक्रिटिकल प्रवाह की स्थिति का वर्णन कर सकता है जो स्थानीय प्रवाह स्थितियों (समय और स्थान) के अनुसार बदल जाता है। हाइड्रोलिक संरचनाओं पर प्रवाह के वर्णन, जिसमें संरचना संचालन का वर्णन करने की संभावनाएं शामिल हैं, के लिए उन्नत कम्प्यूटेशनल मॉड्यूल को शामिल किया गया है। संरचनाओं को बाढ़ मैदानी क्षेत्र पर लूप वाले नेटवर्क तथा क्वासी दो आयामी प्रवाह अनुकरण के लिए अनुपर्युक्त किया जा सकता है। यह संगणना खड़ी नदी प्रवाह से लेकर ज्वार प्रभावित सहायक नदियों सहित क्षेतिज सजातीय प्रवाह स्थितियों के लिए अनुपर्योग योग्य है।
5 परिणाम और चर्चा
5.1 बांध भंग विश्लेषण
पीएमएफ की डिजाइन बाढ़ और 100 साल की वापसी अवधि बाढ़ को बाढ़ अनुकार के विभिन्न परिदृश्यों में धौलीगंगा जलाशय में परिभाषित किया गया है। जलाशय के आर एल 1348.5 मीटर के एम डब्लू एल के होने पर विफल हो जाता है। बांध के अवर टॉपिंग के माध्यम से विफलता पर विचार किया गया है। इसके अलावा, विफलता के समय सभी स्पिलवे फाटकों को पूरी तरह से खुला माना गया है। नदी के निचले हिस्से की स्थिति काली नदी के 30 किमी की चेनेज में परिभाषित की गई है। उल्लंघन आरएल 1348.5 मीटर (एमडब्लूएल) से शुरू होता है और ट्रैपेजॉइडल आकार में विकसित होता है और अनुभाग का निचला भाग 1 घंटे की अवधि में आरएल 1307 मीटर (ढलान स्पिलवे का सबसे निचला स्तर) के न्यूनतम स्तर पर आ जाता है । इस अध्ययन में बाढ़ के तीन मामलों को निम्नानुसार माना गया हैः-
(क) परिदृश्य -1, ब्रीच पी एम एफ के तहत होता है जब जलाशय एम डब्लू एल में होता है ।
(ख) परिदृश्य-2, बांध की विफलता के बिना, पी एम एफ के मार्गाभिगमन को अनुकारित किया गया है।
(ग) परिदृश्य-3, ब्रीच तब होता है जब बिना किसी महत्त्वपूर्ण अंतःप्रवाह (सूर्य की दिन की विफलता) के जलाशय एम डब्लू एल स्टार पर हो ।
इस प्रकार, डैम ब्रेक विश्लेषण के लिए परिदृश्य-1 महत्त्वपूर्ण बाढ़ की स्थिति है, और परिदृश्य -3 सूर्य की दिन की विफलता है। परिदृश्य-1 के लिए जब एक छोटे जलाशय के भंडारण (लगभग 2.98 एम सी एम) से ब्रीच बाह्यःप्रवाह की तुलना में अंतः प्रवाह (पी एम एफ) अधिक होता है, ब्रीच बाह्य प्रवाह के शिखर पर शिखर अंतःप्रवाह का प्रभुत्व होता है और भंडारण य¨गदान तुलनात्मक रूप से कम महत्त्वपूर्ण रहता है। इसके अलावा, जैसा ही स्पिलवे द्वारा पूरी तरह से खोले जाते है, महत्त्वपूर्ण मात्रा में प्रवाह स्पिलवे से गुजरता है। परिदृश्य-1 के लिए बांध सैक्शन में बाढ़ जलालेख को चित्र 5 में दिखाया गया है। यह चित्र ब्रीच सेक्शन पर बाह्यःप्रवाह जलालेख और स्पिलवे गेट्स के माध्यम से बहिर्वाह को दर्शाता है। डाउनस्ट्रीम नदी घाटी में फ्लड हाइड्रोग्राफ का क्षीणन चित्र 6 में दिखाया गया है। चेनज 250 मीटर, 5750 मीटर, 11750 मीटर, 20250 मीटर और 25250 मीटर पर चरम बाढ़ क्रमशः 4421.47 घन मीटर/सेकंड, 8466.55 घन मीटर/सेकंड, 8466.17 घन मीटर/सेकंड, 8466 घन मीटर/सेकंड और 8466.02 घन मीटर/सेकंड है। डिस्चार्ज में 2000 मीटर से अधिक वृद्धि काली नदी से प्रवाह के कारण होती है, जिसमें धौली गंगा नदी संगठन है। इसके अलावा बाढ़ हाइड्रोग्राफ का छोटा सा क्षीणन गंड के आकार की नदी घाटी के साथ खड़ी अनुदैर्ध्य ढलान के कारण है। बांध स्थल से 20 किलोमीटर नीचे की ओर शिखर बाढ़ आने की घटना का समय लगभग 42 मिनट है। परिदृश्य-1 में बाढ़ की स्थिति के लिए पानी की सतह प्रोफाइल को चित्र 7 में दिखाया गया है। आप्लावन मानचित्रों को तैयार करने के लिए अधिकतम बाढ़ उद्विक्षेप मानचित्रों को अधिकतम रिज़ॉल्यूशन की गूगल अर्थ की छवि पर सुपरइम्पोज किया गया है जैसा कि चित्र 8 तैयार दिखाया गया है, चूंकि नदी घाटी बहुत संकरी है तथा बांध की बाढ़ के लिए फैला हुआ क्षेत्र बहुत सीमित है। नदी के छोटे खंड को ज़ूम करके विस्तृत बाढ़ क्षेत्र की कल्पना की जा सकती है। अध्ययन के लिए नदी को सात खंडों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक खंड के लिए आप्लावन मानचित्रों को तैयार किया गया है। चित्र 9 में खंड-5 और खंड -6, के लिए आप्लावन मानचित्रों को दिखाया गया है, जहां प्रमुख बस्तियां स्थित हैं। परिदृश्य-2 और परिदृश्य-3 के लिए इसी तरह का विश्लेषण किए गए है, बाढ़ हाइड्रोग्राफ के क्षीणन की गणना की गयी है और बाढ़ आप्लावन के क्षेत्र का आंकलन किया गया है।
चित्र 5 परिदृश्य-1 के लिए बांध खंड पर बाह्यःप्रवाह जलालेख अ©र डिजाइन बाढ
हाइड्रोडायनामिक मॉडल और कार्टो डी ई एम के परिणामों का उपयोग करके बाढ़ की विशेषताओं की गणना की जाती है। अधिकतम बाढ़ (बाढ़ की गहराई) बाढ़ शिखर स्तर और बाढ़ मैदानी क्षेत्र की स्थलाकृति पर निर्भर करती है। बाढ़ के परिदृश्य के लिए, किसी स्थान पर बाढ़ की गहराई उस स्थान पर भूमि की ऊँचाई पर निर्भर करती है और इस तरह एक स्थानीय घटना होती है। बाढ़ का स्तर (समुद्र का स्तर) पूरे बाढ़ग्रस्त क्षेत्र की स्थलाकृति से प्रभावित होता है और इस प्रकार बाढ़ आप्लावन क्षेत्र के साथ बाढ़ की घटनाओं को निर्धारित करने मंो अधिक वैश्विक और प्रतिनिधित्व करता है। धौलीगंगा बांध के बहाव क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान धौलीगंगा पावर हाउस (चेनज-9.75 किमी) और धारचूला (चेनज-20 किमी) हैं, जिस पर बाढ़ के विभिन्न मामलों में बाढ़ की अधिकतम ऊंचाई (एम एस एल) की गणना की गई है। इन स्थानों पर शिखर बाढ़ स्तर और इसकी घटना का समय आंकलित किया गया है, जिसको तालिका 2 में दिखाया गया है। अधिकतम बाढ़ स्तर की घटना के समय को ब्रैकेट भीतर दिखाया गया है। परिदृश्य-1 के लिए जिसमें पी एम एफ के तहत बांध भंग विफलता को अनुकारित किया गया है, बांध भंग शुरू होने के बाद से अधिकतम बाढ़ के समय की गणना की गई है। परिदृश्य-2 के लिए जिसमें बिना बांध भंग के पी एम एफ को अनुकारित किया गया है, शिखर का समय बांध स्थल पर शिखर अंतःप्रवाह से लिया गया है। इसके अलावा, धौलीगंगा बांध की धूप वाले दिन में विफलता भी सारणीबद्ध है। यह तालिका बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए अधिकतम बाढ़ क्षेत्र को भी दिखाती है।
तालिका 2: बाढ़ के विभिन्न मामलों के लिए महत्त्वपूर्ण स्थानों पर अधिकतम बाढ़ स्तर |
|||
विवरण |
अधिकतम बाढ़ क्षेत्र ¼ha½ |
महत्त्वपूर्ण स्थान |
|
MIKE 11 Chainage ¼km½ |
9-75 |
20 |
|
परिदृश्य-1 PMF flood and dam break½ |
163&27 |
1031-63 m (8:38:00 hr) |
857.06 m (8:42:00 hr) |
परिदृश्य-2 ¼PMF flood only½ |
156&39 |
1031.36 m (21:04:00 hr) |
856.87 m (21:08:10 hr) |
परिदृश्य-3 ¼only dam break½ |
94&53 |
1026.95 m (8:40:00 hr) |
853.84 m (8:43:00 min) |
(ब्रैकेट में दिया गया समय, बांध स्थल से महत्त्वपूर्ण स्थानों तक शिखर प्रवाह के समय को दर्शाता है)
5.2 आपदा प्रबंधन योजना
आपदा के दौरान आपातकालीन कार्य योजना तैयार करने के लिए बाढ़ का अधिकतम स्तर, बाढ़ की अवधि और बाढ़ के समय (किसी विशेष स्थान पर स्थानीय स्तर पर परिभाषित सीमा के ऊपर बाढ़) महत्त्वपूर्ण जानकारी होती हैं। तालिका 2 से पता चलता है कि परिदृश्य-1 के कारण अधिकतम बाढ़ है। आपदा प्रबंधन योजना के दो प्रमुख घटक, बाढ़ का प्रवाह और इसके आने का समय है, को इस तालिका में दिखाया गया है। बाढ़ की भौगोलिक सीमा के साथ इस तरह की जानकारी आपदा प्रबंधन योजना के लिए महत्त्वपूर्ण जानकारी है। इस अध्ययन में, बाढ़ के विभिन्न परिदृश्य के कारण कोई भी महत्त्वपूर्ण क्षेत्र/स्थान को जलमग्न नहीं हुआ है क्योंकि नदी बहुत संकीर्ण और खड़ी इलाकों से बह रही है जबकि बस्तियां अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं।
5.3 ब्रीच पैरामीटर्स की संवेदनशीलता
जैसा कि पहले चर्चा की गई थी, ब्रीच मापदंडों का अनुमान ऐतिहासिक बांध की विफलता की घटनाओं और अंतरराष्ट्रीय ख्याति की विभिन्न एजेंसियों द्वारा किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर तकनीकी दिशा निर्देशों से विकसित प्रतिगमन समीकरणों पर आधारित है। फिर भी विभिन्न निर्माण तकनीकों और कारीगरी और अन्य अप्रत्याशित स्थितियों सहित कई कारणों से ब्रीच पैरामीटर आंकलनों में अनिश्चितता बनी रहती है। बांध की विफलता के कारण बाढ़ शिखर भंग मापदंडों से अत्यधिक प्रभावित होता है और भंगता के विभिन्न मापदंडों के संयोजन से प्रभावित होता है। इसलिए, व्यक्तिगत ब्रीच पैरामीटर की संवेदनशीलता का अध्ययन किया गया है। धौलीगंगा बांध की विफलता के लिए तीन ब्रीच मापदंडों अर्थात्; ब्रीच चौड़ाई, विफलता का समय और ब्रीच सेक्शन के साइड प्रवणता के लिए संवेदनशीलता विश्लेषण किए गए है। विभिन्न भंग मापदंडों के लिए आंकलनों की श्रेणी तालिका 3 में दर्शायी गई है।
तालिका 3: संवेदनशीलता विश्लेषण के लिए ब्रीच पैरामीटर का आंकलन |
|||||
भंग प्राचल |
औसत आंकलन |
प्राचल संवेदनशीलता के लिए आंकलन |
|||
भंगता चौड़ाई (m) |
50 |
30 |
70 |
100 |
|
विफलता का समय (hr) |
1 |
0-25 |
0-5 |
1-25 |
2 |
साइड प्रवणता (H:V) |
1%1 |
0-5 |
0-75 |
1-25 |
1-5 |
डैम ब्रेक मॉडल को 30 मीटर, 50 मीटर, 70 मीटर और 100 मीटर की अलग-अलग ब्रीच चौड़ाई के साथ अनुकारित किया गया है और ब्रीच बाह्यःप्रवाह की गणना की गई है। विभिन्न ब्रीच चौड़ाई के लिए ब्रीच बाह्यःप्रवाह हाइड्रोग्राफ को चित्र 10 में दिखाया गया है। ब्रीच चौड़ाई में वृद्धि के साथ, शिखर बाढ़ बढ़ जाती है। 30 मीटर ब्रीच की चौड़ाई के लिए पीक डिस्चार्ज 2228-01 m32s है जबकि 100 मीटर ब्रीच की चौड़ाई के लिए शिखर निस्सरण 2309.46 m3/s है। ब्रीच चौड़ाई में 333 प्रतिशत की वृद्धि के साथ शिखर निस्सरण में वृद्धि केवल 3.65 प्रतिशत की वृद्धि के साथ होती है। इसी तरह, ब्रीच के अलग-अलग समय 0.25 घंटा, 0.5 घंटा, 1.0 घंटा, 1.25 घंटा और 2.0 घंटा के साथ ब्रीच समय का संवेदनशीलता विश्लेषण किया गया है और ब्रीच बाह्यःप्रवाह पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया गया है । विफलता के विभिन्न समय के लिए ब्रीच बाह्यःप्रवाह हाइड्रोग्राफ को चित्र 11 में दिखाया गया है। ब्रीच के कम समय के साथ, ब्रीच का पूरा आकार पहले विकसित होता है; इसलिए उच्चतर शिखर निस्सरण जल्दी उत्पन्न होता है। विफलता समय में वृद्धि के साथ इसका उलटा होता है और शिखर कम हो जाता है जब तक कि ब्रीच अपने पूर्ण आकार में विकसित है, नदी का अधिकांश प्रवाह प्रवाहित हो जाता है। 0.25 घंटे के लिए शिखर निस्सरण 4903.84 m3/sec है जो 2.0 घंटे के लिए घटकर 1476.58 m3/sec हो जाता है। छोटी विफलता समय के लिए, शिखर प्रवाह पहले उत्पन्न होता है। आंकड़े दर्शाते है कि यह पैरामीटर ब्रीच बाह्यःप्रवाह की गणना में सबसे अधिक संवेदनशील है। ब्रीच पैरामीटर का एक अन्य पैरामीटर ब्रीच सेक्शन का आकार है। ब्रीच सेक्शन की संवेदनशीलता चित्र 12 में दिखाई गई है जो दर्शाता है कि यह पैरामीटर भी अधिक संवेदनशील नहीं है।
6 निष्कर्ष
धौलीगंगा बांध के लिए डैम ब्रेक अध्ययन माइक 11 मॉडल का उपयोग करके किया गया है। इस अध्ययन में बाढ़ के तीन मामलों का अध्ययन किया गया है। परिदृश्य-1 नदी में पीएमएफ के कारण बाढ़, जिसके कारण बांध टूटने की स्थिति। बाढ़ के दौरान जलाशय को एफ आर एल में माना जाता है; परिदृश्य-2 बांध टूटने के बिना पी एम एफ के कारण बाढ़। संपूर्ण प्रवाह स्पिलवे से गुजरता है; परिदृश्य-3 जलाशय को एफ आर एल पर मानते हुए इसमें नाममात्र प्रवाह (100 m3/s) के साथ बांध विफलता (धूप के दिन विफलता की स्थिति)। संघीय एजेंसी के दिशा निर्देशों और प्रतिगमन समीकरण आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके उल्लंघन मापदंडों का आंकलन किया गया है। मापदंडों के औसत आंकलन का उपयोग किया गया है। इस मिट्टी के कंक्रीट बांध के लिए ब्रीच चौड़ाई = 50 मीटर, ब्रीच टाइम = 1 घंटा और 1:1 आकार के ट्रेपेज़ॉइडल ब्रीच सेक्शन के ब्रीच पैरामीटर्स माने गए है। इसके अलावा, विभिन्न ब्रीच मापदंडों के लिए अनुशंसित सीमा के लिए संवेदनशीलता विश्लेषण किया गया है। बाढ़ क्षीणन हाइड्रोग्राफ, पानी की सतह प्रोफ़ाइल, महत्त्वपूर्ण स्थानों पर स्टेज हाइड्रोग्राफ, आप्लावन मानचित्रों को उच्च रिज़ॉल्यूशन उपग्रह डेटा और गूगलअर्थ पर सुपर इम्पोस्ड किया गया हैं। विस्तृत परिवहन नेटवर्क और अन्य सुविधाओं के साथ गूगलअर्थ पर बाढ़ आप्लावन क्षेत्र का विस्तार किया गया है, जिससे आबादी/महत्त्वपूर्ण स्थानों पर बाढ़ आप्लावन क्षेत्र का आंकलन किया जा सके हैं। बाढ़ की गंभीर स्थिति में भी क¨ई महत्त्वपूर्ण/आबादी बाढ़ से प्रभावित नहीं होती है। डैम साइट से डाउनस्ट्रीम छोर तक बाढ़ की यात्रा का समय केस-1 के लिए 42 मिनट, केस-2 के लिए 8 मिनट और केस-3 के लिए 43 मिनट है। धौलीगंगा बिजली घर और धारचूला में बाढ़ के महत्त्वपूर्ण मामले के लिए बाढ़ की गणना के अनुसार अधिकतम बाढ़ क्रमशः आर एल 1031.63 मीटर और 857.06 मीटर है। बांध की विफलता के महत्त्वपूर्ण मामले के कारण कोई भी आबादी/बस्तियाँ जलमग्न नहीं हैं। हालांकि बाढ़ की गंभीर स्थिति के लिए कोई भी बस्तियाँ बाढ़ क्षेत्र में नहीं पाई जाती हैं, लेकिन नदी का बहाव क्षेत्र बहुत खड़ा है और नदी घनी आबादी वाले धारचूला क्षेत्र से गुजर रही है। इसलिये बांध के डाउनस्ट्रीम के विभिन्न स्थानों पर किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए चेतावनी समय की गणना के अनुसार एक प्रभावी सार्वजनिक चेतावनी प्रणाली को प्रस्तावित किया जाता है। ब्रीच चौड़ाई और ब्रीच समय के विभिन्न मानो के लिए ब्रीच बाह्यःप्रवाह के आंकलन में ब्रीच पैरामीटर की संवेदनशीलता का विश्लेषण किया गया है। यह देखा गया है कि ब्रीच समय सबसे संवेदनशील पैरामीटर है।
स्वीकृति
यह पेपर नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी), फरीदाबाद द्वारा प्रायोजित अध्ययन का परिणाम है। लेखक इस अध्ययन को पूरा करने में परियोजना प्राधिकरण द्वारा प्रदान किए गए समर्थन को विधिवत स्वीकार करता है। हम एनआरसी, हैदराबाद से प्राप्त आंकड़ों की सहायता को भी स्वीकार करते हैं।
References
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/articles/kaaratao-dai-i-ema-ankadaon-kaa-upayaoga-karatae-haue-eka-pahaadai-kasaetara-maen-baandha