![कार्बन फुटप्रिंट की प्रासंगिकता](/sites/default/files/styles/node_lead_image/public/hwp-images/Carbon-Footprint_3.jpg?itok=crANe5vz)
कार्बन फुटप्रिंट शब्द आजकल पुनः चर्चा में है। दरअसल कोरोनावायरस संक्रमण के चलते हुए लाकडाउन के कारण उद्योग, वाहन, रेल, वायुयान आदि अभी बंद है। जिसके कारण दुनिया भर में कार्बन फुटप्रिंट अर्थात कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है ।आधुनिक युग की सबसे प्रासंगिक और विवादित मुद्दा पर्यावरण की समस्या है। जिनको संतुलित करने के लिए कई संस्थान विभिन्न दृष्टिकोणों के साथ कार्यरत हैं। क्यूंकि शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि ने कई पर्यावरणीय समस्याओ को जटिल बना दिया है। मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन, या ग्लोबल वार्मिंग, वायुमंडल में कुछ प्रकार के गैसों की उत्सर्जन की वजह से होता है जो ना केवल पर्यावरण को अपितु मनुष्यों के ज़ीवन पर भी प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए कार्बन फुटप्रिंट आज के युग के लिए बहुत ही प्रासंगिक हो गया है, जो हमे गैसीय उत्सर्जन की समझ को विकसित करने की ओर कार्यरत है।
कार्बन फुटप्रिंट का अर्थ किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन। यह उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।कार्बन फुटप्रिंट शब्द को संगठन, घटना, उत्पाद या व्यक्ति द्वारा सीधे या परोक्ष रूप से उत्सर्जित कार्बन (आमतौर पर टन में) की मात्रा के रूप में परिभाषित किया जाता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार मनुष्य की सभी आदतें, जिनमें खानपान से लेकर पहने जाने वाले कपड़े तक शामिल हैं, कार्बन फुटप्रिंट का कारण बनते हैं। दूसरे शब्दों में हर काम के लिए ऊर्जा की जरूरत पड़ती है और इससे कार्बन डाइआक्साइड ( CO2) गैस निकलती है, जो धरती को गर्म करने वाली सबसे अहम गैस है। हम दिन, महीने या साल में जितनी कार्बन डाइआक्साइड पैदा करते हैं, वह हमारा कार्बन फुटप्रिंट है। इसे कम-से-कम रख कर ही पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से बचाया जा सकता है।
प्रत्येक व्यक्ति का कार्बन फुटप्रिंट उनके स्थान, आदतों और व्यक्तिगत पसंद के आधार पर अलग होता है। हम में से प्रत्येक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान देता है, जिस तरह से हम यात्रा करते हैं, खाना खाते हैं, बिजली की मात्रा और हम और भी बहुत कुछ करते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम कार चलाते हैं और ईंधन जलाते हैं, तो यह वातावरण में कुछ मात्रा में CO2 उत्पन्न करता है। जब आप अपने घर को गर्म करते हैं, तो यह भी CO2 उत्पन्न करता है और इसी तरह जब आप खाना खाते हैं, तो भी यह कुछ मात्रा में CO2 उत्पन्न करता है। अनिवार्य रूप से, कार्बन फुटप्रिंट मानव जाति की दैनिक गतिविधियों, घरेलू या वाणिज्यिक रूप से होने के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में जारी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा है।
कार्बन फुटप्रिंट को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है-
संगठनात्मक: ऊर्जा उपयोग, औद्योगिक प्रक्रियाओं और कंपनी वाहनों जैसे संगठन में सभी गतिविधियों से कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन होता है।
उत्पाद: किसी उत्पाद या सेवा के पूरे जीवन में कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन होता है।
ग्लोबल वार्मिंग पर व्यक्तिगत व्यवहार के प्रभाव को समझने के लिए कार्बन फुटप्रिंट एक बहुत शक्तिशाली उपकरण है। जैसा कि हम जानते हैं, क्योटो प्रोटोकॉल के अनुसार छह तरह के ग्रीन हाउस गैसों की पहचान की गयी है:
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- मीथेन (CH4 )
- नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
- हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)
- पर्फ्लोरोकार्बन (PFCs)
- सल्फर हेक्साफ्लोराइड (SF6)
उपरोक्त गैसों में से प्रत्येक का उत्सर्जन कार्बन फुटप्रिंट में गिना जाएगा।
कार्बन फुटप्रिंट को कई प्रकार से कम किया जा सकता है-
- सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधारोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सकती है।
- फ्लोरेसेंट बल्बों के इस्तेमाल से कार्बन पदचिह्न को कम कर सकते हैं।
- सार्वजनिक परिवहन और कार-पूल का उपयोग।
- हम पुनर्नवीनीकरण उत्पादों और ऐसे उत्पादों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिनको पुनर्नवीनीकरण किया जा सके।
- सामुदायिक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों को कम करने वाले प्रथाओं को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- पर्यावरण को अपनी ओर से कुछ देने का सबसे अच्छा तरीका पेड़ लगाना है। पौधे CO2 को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ देते हैं। जिसे तब मनुष्यों और जानवरों द्वारा उपयोग किया जाता है।
सौर, हवा, ज्वारीय ऊर्जा या पुनर्निर्माण जैसे वैकल्पिक परियोजनाओं के विकास के माध्यम से कार्बन ऑफसेटिंग को कार्बन फुटप्रिंट के शमन के रूप में परिभाषित किया जाता है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन एक वैश्विक समस्या है और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के सम्यक प्रयोग से कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है।
लेखक
डाॅ. दीपक कोहली, उपसचिव
वन एवं वन्य जीव विभाग, उत्तर प्रदेश
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