काँटा बुरा करील का


काँटा बुरा करील का, औ बदरी का घाम।
सौत बुरी है चून की, औ साझे का काम।।


भावार्थ- करील का काँटा, बदली की धूप, आटे की भी सौत और साझे का काम, ये चारों बहुत बुरे होते हैं।

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Post By: tridmin
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