विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पीएम 2.5 के आधार पर दुनिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत के हैं। वर्ष 2016 के लिये जारी इस रिपोर्ट में कानपुर को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया है। पेश है इस रिपोर्ट पर एक नजर
कभी अपनी औद्योगिक गतिविधियों के लिये भारत का मैनचेस्टर कहा जाने वाला कानपुर आज की तारीख में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बन चुका है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली छठे स्थान पर है जबकि वाराणसी तीसरे नम्बर पर। डब्ल्यूएचओ 108 देशों के 4300 शहरों के प्रदूषण सम्बन्धी आँकड़ों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचा है।
पीएम-10 के आधार पर देखा जाये तो दुनिया के 20 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में 13 भारत के हैं। डब्ल्यूएचओ में दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह का कहना है कि हम जिस हवा में साँस ले रहे हैं उसे साफ करना जरूरी है ताकि गैर संचारी रोगों से होने वाली मौतों पर लगाम लगाया जा सके। इससे सबसे ज्यादा महिलाएँ, बच्चे और बुजुर्ग प्रभावित हो रहे हैं।
पीएम-2.5 : सल्फेट, नाइट्रेट और ब्लैक कार्बन जैसे सूक्ष्म प्रदूषक तत्व होते हैं। स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़े का कैंसर, निमोनिया सहित अन्य संक्रमण का खतरा रहता है।
पन्द्रह सर्वाधिक प्रदूषित शहर (पीएम-2.5) |
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कानपुर |
173 |
मुजफ्फरपुर |
120 |
फरीदाबाद |
172 |
श्रीनगर |
113 |
वाराणसी |
151 |
गुरुग्राम |
113 |
गया |
149 |
जयपुर |
105 |
पटना |
144 |
पटियाला |
101 |
दिल्ली |
143 |
जोधपुर |
98 |
लखनऊ |
138 |
अल सलेम (कुवैत) |
94 |
आगरा |
131 |
(माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) |
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सुरक्षित स्तरः 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर |
वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय तेज करें- डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने प्रदूषण के मुद्दे पर आक्रामक रूप से निपटने का आह्वान किया है। संगठन का कहना है कि वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष समय पूर्व होने वाली 70 लाख मौतों में से 34 फीसदी वायु प्रदूषण के कारण होती है। डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने ऊर्जा कुशलता के साथ प्रभावी शहरी नियोजन, सुरक्षित व सस्ती सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, औद्योगिक व निगम के कचरे के प्रभावी प्रबन्धन में सुधार पर निवेश की जरूरत पर जोर दिया। सिंह ने कोयला और बायोमास प्रणाली से होने वाले उत्सर्जन खत्म करने, कृषि कचरे का प्रबन्धन, जंगलों में आग पर रोक की बात कही।
भयावह तस्वीर
1. दुनिया में हर 10 में से नौ व्यक्ति को साँस लेने के लिये साफ हवा उपलब्ध नहीं है।
2. दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 70 लाख लोग असमय मौत का शिकार होते हैं।
3. इनमें से 34 फीसदी यानी 24 लाख मौतें दक्षिण पूर्व एशिया में होती हैं जिसमें भारत भी शामिल है।
4. वायु प्रदूषण से होने वाली 90 फीसदी मौतें निम्न एवं मध्य आमदनी वाले देशों में होती है, जिनमें भारत भी शामिल है।
5. दुनिया की 40 फीसदी आबादी यानी लगभग तीन अरब लोगों को खाना बनाने का स्वच्छ ईंधन उपलब्ध नहीं है।
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में ग्रामीण इलाकों में खाना पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की तारीफ की है। इसके तहत महज दो साल में 3.7 करोड़ महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं।
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