नई, दिल्ली, 24 जनवरी। गाँधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान और वर्मा न्यूज एजेंसी, हिसार की ओर से काकासाहेब कालेलकर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिन पांच श्रेणियों में पांच लोगों को पुरस्कार दिया गया वे हैं; साहित्य के लिये लालबहादुर मीरामोर को, जल पर केन्द्रित लेखन के लिये पत्रकारिता सम्मान मीनाक्षी अरोड़ा को, शिक्षा के लिये डॉ. मृदुला वर्मा को, समाज सेवा के लिए घरेलू कामगारों के मुद्दे पर काम कर रही सुनीता रानी मिंज और महात्मा गाँधी की कर्मभूमि चम्पारण में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के काम में पिछले दो दशकों से जुटे दिग्विजय कुमार को भी समाजसेवा के लिये काकासाहेब कालेलकर सम्मान दिया गया। सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि जनसत्ता के सम्पादक मुकेश भारद्वाज थे। इस मौके पर गाँधी स्मृति और दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्रीज्ञान, गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के सचिव अशोक कुमार और मुम्बई से आई युवा साहित्यकार रीता दास राम विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थीं। अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गंगेश गुंजन ने की।
इण्डिया वाटर पोर्टल न सिर्फ जल पर केन्द्रित ज्ञान लोगों के बीच साझा करता है बल्कि विदेशों के शैक्षणिक संस्थानों में सुगम हिन्दी सिखाने का माध्यम है। इण्डिया वाटर पोर्टल का हिन्दी में आरम्भ होना कहीं-न-कहीं उनके इस नज़रिए का द्योतक है। स्थापना काल से लेकर अब तक के सफर में पाठकों के बीच काफी लोकप्रियता अर्जित की है। उसी का नतीजा है कि आज हर माह दो लाख पाठक इसे पढ़ते हैं। जल के मुद्दे पर समग्र जानकारी देने वाला हिन्दी का यह पोर्टल जल के विविध आयामों से जहाँ लोगों को जागरूक कर रहा है वहीं मौजूदा चुनौतियों के प्रति भी जागरूक कर रहा है।
यह बात मीनाक्षी अरोड़ा ने शनिवार को सन्निधि परिसर में काकासाहेब कालेलकर पत्रकारिता सम्मान लेने के बाद कही।
वहीं काकासाहेब कालेलकर समाजसेवा सम्मान झारखण्ड की गुमला की सुनीता मिंज को प्रदान किया गया। उन्होंने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि हमने बहुत सारी ऐसी लड़कियों को मुक्त करवाया, जिन्हें झारखंड, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों से बहला-फुसलाकर दिल्ली लाया जाता है, जिन्हें जबरन घरेलू नौकरानी की तरह रखा जाता है और ठीक-ठाक मजदूरी देना तो दूर उल्टे उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इन लड़कियों को मुक्त कराने की बात अपनी माँ को दूसरे के घर में काम करते हुए प्रताड़ित होेते देखती थी।
समाजसेवा का दूसरा सम्मान पूर्वी चम्पारण के दिग्विजय कुमार को दिया गया, जिन्होंने बापू की कर्मस्थली में महिलाओं और बच्चों के जीवनस्तर को ऊँचा उठाने के लिये उल्लेखनीय काम किया है।
अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि वर्धा के गाँधी विचार परिषद से अध्ययन करने के बाद उन्होंने यह तय किया कि गाँधी के विचारों के अनुरूप काम किया जाय और उनके विचारों के तहत अन्तिम व्यक्ति के लिये लगातार काम कर रहे हैं।
काकासाहेब कालेलकर साहित्य पुरस्कार से सम्मानित लालबहादुर मीरापोर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नए रचनाकारों के लिये मासिक संगोष्ठी का संचालन करते हैं और अपनी छात्रवृत्ति के पैसे से गाँवों में जनपुस्तकालय अभियान चलाते हैं।
उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि इस सम्मान से सम्भावनाओं के आकाश में उड़ने का महज नज़रिया बदला है, वो खुश हैं जिसने जीने का नज़रिया बदला है।
इस मौके पर महाराष्ट्र के धुले जिले में आदिवासियों के बीच शिक्षण कार्य के लिये शिक्षा सम्मान डॉ. मृदुला वर्मा को दिया गया। उन्होंने अपने उद्गार में मिले सम्मान को जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलाव के लिये प्रेरक बताया।
समारोह में मुख्य अतिथि मुकेश भारद्वाज ने सम्मानित युवाओं को बधाई देते हुए कहा कि काकासाहेब कालेलकर का लेखन हमें प्रेरित करता है कि समाचार पत्र में हम ऐसी भाषा लिखें जो आम आदमी के लिये भी बोधगम्य हो।
देश की विभूतियों ने एक रास्ता दिखाया हैै। सौभाग्य से हम एक ऐसे पेशे में है जिसके माध्यम से इनके बारे में जानने का अवसर मिला।
आज़ादी के दौरान उनकी लड़ाई ब्रिटिश हुक़ूमत के खिलाफ थी। इसलिये उन्होंने हिन्दी को जनमानस की भाषा बनाने की दिशा में अग्रणी भूमिका अदा की। उन्होंने कहा कि भाषा संस्कृत निष्ठ शब्दों से भरी नहीं होनी चाहिए।
साहित्य और पत्रकारिता की भाषा में फर्क है। पत्रकारिता तथ्यों पर आधारित होता है जबकि साहित्य की भाषा में कल्पनाशीलता होती है।
विष्णु प्रभाकर के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि आवारा मसीहा उनकी महत्त्वपूर्ण कृति है। उनका चिन्तन आज भी हमें दिशा देने का काम करता है। चाहे आदर्श विहीन राजनीति की बात हो या फिर प्रकृति के साथ, सब आज के दौर में प्रासंगिक है। वे पुरस्कार या सम्मान को रचनाशीलता का मापदण्ड नहीं मानते थे।
समारोह को सम्बोधित करते हुए गाँधी स्मृति और दर्शन समिति के निदेशक दीपंकर श्रीज्ञान ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि यहाँ हर क्षेत्र की युवा प्रतिभाओं को सम्मानित किया जा रहा है। साथ ही प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया जा रहा है। यह एक सकारात्मक कदम है।
मुम्बई से आई युवा साहित्यकार रीता दास राम ने काकासाहेब कालेलकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को विस्तार से रेखांकित किया। काका कालेलकर उच्चकोटि के विचारक और विद्वान थे। उनका योगदान हिन्दी भाषा के प्रचार तक ही सीमित नहीं था। उनकी मौलिक रचनाओं से हिन्दी साहित्य समृद्ध हुआ है।
सरल और ओजस्वी भाषा में विचारपूर्ण निबन्ध और विभिन्न विषयों की तर्कपूर्ण व्याख्या उनकी लेखनशैली के विशेष गुण हैं।
मूलरूप से विचारक और साहित्यकार होने के कारण उनकी अभिव्यक्ति की अपनी शैली थी, जिसे वह हिन्दी, गुजराती, मराठी और बांग्ला में सामान्य रूप से प्रयोग करते थे। उनकी हिन्दी शैली पाठक को आकर्षित करती है।
उनकी दृष्टि बड़ी सूक्ष्म थी, इसलिये उनकी लेखनी से प्रायः ऐसे चित्र बन पड़ते हैं जो मौलिक होने के साथ-साथ नित्य नए दृष्टिकोण प्रदान करते रहें। उनकी भाषा और शैली बड़ी सजीव और प्रभावशाली थी
अध्यक्षीय उद्गार व्यक्त करते हुए डॉ. गंगेश गुंजन ने कहा कि काकासाहेब कालेलकर कलासक्त और सौन्दर्य प्रेमी थे। उनकी भव्य आकृति उनकी कलाशक्ति के दर्शन कराती है। उनके हर काम में सहज सुधरी कला होती है। उनके द्वारा रचित साहित्य प्रेरक विचारों का एक विशाल भण्डार है। विभिन्न क्षेत्रों में उन्होंने इतना कार्य किया है कि वे एक संस्था बन गए थे।
समारोह का संचालन प्रसून लतांत और किरण आर्या ने किया जबकि कार्यक्रम के मकसद को उजागर करते हुए अतुल प्रभाकर ने कहा कि इस सम्मान को वैसी प्रतिभाओं को दिया जा रहा है जो कुछ बेहतर कर रहे हैं और भविष्य के लिये कुछ और अच्छा कर सकें।
इस मौके पर जनसत्ता के सम्पादक मुकेश भारद्वाज ने समाजकर्मी राजेन्द्र रवि, स्वतंत्र पत्रकार कुमार कृष्णन, इण्डिया वाटर पोर्टल के केसर सिंह, यथावत के एसोसिएट एडीटर संजीव कुमार, रोहित कुमार, किरण आर्या, प्रेरणा झा का विभिन्न क्षेत्रों में योगदान के लिये अभिनन्दन किया।
वर्मा न्यूज एजेंसी की निदेशक वीणा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह में वरिष्ठ कवि इब्बार रब्बी, नंदना किशोर, मनीष मुधुकर, महिमाश्री, एकता पाठक कुणाल सिफर, उर्मिला माधव, देवनागर की गजलों की धूम रही। इस अवसर पर कुसुम शाह, अमृता शर्मा, दूरदर्शन के पुष्पवन्त, रमेश, अमरनाथ की महत्त्वपूर्ण भागीदारी रही।
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