कैसे कार्य करता है विपत्ति चेतावनी ट्रांसमीटर


भारतीय तटरक्षक दल के अनुरोध पर मछुआरों की सुरक्षा हेतु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अहमदाबाद केंद्र (एसएसी) द्वारा संचार उपग्रह (इन्सेट-3ए) आधारित विपत्ति चेतावनी ट्रांसमीटर यानि डिस्ट्रेस एलर्ट ट्रांसमीटर (डीएटी) का विकास किया है, इसका व्यावसायिक उत्पादन एक भारतीय औद्योगिक इकाई द्वारा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के तकनीकी सहयोग से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। मछुआरे अपनी नाव लेकर समुद्र में दूर-दूर तक मछली पकड़ने के लिये अक्सर जाते रहते हैं। उनके पास संचार, नौकायन तथा अन्य सुरक्षा के आधुनिक उपकरणों का हमेशा अभाव रहता है। कभी-कभी वे अपनी भौगोलिक-सीमा से बाहर होकर पकड़े भी जाते हैं। बीच सागर में नाव में कोई विपत्ति आने पर ऐसी स्थिति से निपटने हेतु डीएटी मछुआरों के लिये अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

विपत्ति चेतावनी ट्रांसमीटर की विशेषता


यह मुख्यतः मछुआरों के लिये संकटावस्था के दौरान त्वरित सहायता हेतु अभिकल्पित किया गया तंत्र है। इसकी मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :

1. यह इन्सेट-3ए संचार उपग्रह के डेटा रिले ट्रांसपोंडर यानि डीआरटी द्वारा परिचालित है, जिसकी संचरण बेंड आवृत्ति 402.65 से 402.85 मेगाहर्ट्ज है।

2. यह कम लागत का अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (यूएचएफ) प्रेषित्र है जो पर्सनल लोकेशन बीकन (पीएलबी) के समरूप है।

3. यह सुवाह्य एवं प्रचालन में सरल है तथा इसमें ऐंटिना पाइटिंग की आवश्यता नहीं होती है।

4. संपूर्णतः प्लवनीय तथा समुद्री पर्यावरण में प्रचालन के अनुकूल है।

5. यह संकटावस्था के यथार्थ समय एवं स्थिति की जानकारी हेतु जीपीएस रिसीवर समेकित है जो इस प्रणाली की प्रमुख आवश्यकता भी है।

6. यह बैटरी परिचालित है जोकि कम से कम 24 घंटे तक कार्य कर सकती है।

7. इसकी 24 घंटे सातों दिन (24×7) 99.99 प्रतिशत सेवा की गारंटी है।

Fig-18. इसके केंद्र में नाव की पहचान क्रमांक, संकटावस्था का समय, अवस्थिति, संकटावस्था के प्रकार का ऑनलाइन प्रदर्शन तथा ध्वनि सचेतक, संकटावस्था का तत्कालीन प्रदर्शन एवं फाइल संचय की सुविधा की व्यवस्था है।

9. एक बार सक्रिय हो जाने पर इसका संचरण प्रोटोकॉल प्रथम पाँच मिनट तक प्रति एक मिनट पर प्रसारण और बाद में बैटरी क्षीण हो जाने तक प्रत्येक पाँच मिनट के बाद एक प्रसारण करता रहता है।

विपत्ति चेतावनी ट्रांसमीटर प्रणाली का विवरण


इस प्रणाली को निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित किया गया है :

(i) चेतावनी प्रेषित्र
(ii) संचार उपग्रह कड़ी
(iii) अभिग्राही केंद्र

(i) चेतावनी प्रेषित्र : चेतावनी प्रेषित्र यानि ट्रांसमीटर अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी (यूएचएफ) बेंड में कार्य करता है। जिसकी वाहक आवृत्ति 402.65 से 402.85 मेगाहट्ज है। इसका न्यूनतम आउटपुट पॉवर 5 वाट है। इसमें जीपीएस रिसीवर का भी उपयोग किया जाता है जो प्रेषित्र (हमाले लिये नाव) की वर्तमान स्थिति एवं सटीक समय की जानकारी प्रदान कराता है। इसके अतिरिक्त प्रेषित्र के अंदर आकस्मिक आने वाली संकटावस्था के संदेश निर्माण करने के लिये अंकीय संदेश, जनरेटर, बीपीएसके मॉडलक, आवृत्ति संश्लेषक, शक्ति प्रवर्धक एवं सर्वदिशात्मक हिलिक्स ऐंटिना भी उपस्थित हैं। इन सभी घटकों को उपयुक्त विद्युत ऊर्जा प्रदान करने के लिये 7.2वी/3.2एएच लिथियम आयन बैटरी का उपयोग किया गया है जो 24 घंटे तक अविरल कार्य करने की क्षमता रखती है।

Fig-2चेतावनी प्रेषित्र की संरचना करते समय उसकी लागत को कम से कम रखने एवं प्रचालन में सरलता को प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि इस प्रणाली के प्रमुख उपयोगकर्ता मछुआरे हैं। सरल प्रचालन के लिये उपकरण पर चार स्विच दिए गए हैं, जो आकस्मिक संकटावस्था की स्थिति के नाम से दर्शाए गए हैं।

स्विच नं. 1 - आग लगने पर
स्विच नं. 2 - नाव डूबने पर
स्विच नं. 3 - नाव से किसी के पानी में गिरने पर
स्विच नं. 4 - चिकित्सकीय आवश्यकता के लिये

नाव में संकटावस्था के अनुसार उपयोगकर्ता को उपरोक्त किसी एक स्विच को दबाना है। उसी के अनुरूप अंकीय मैसेज जनरेटर एक संदेश निर्माण करता है। इस संदेश के साथ जीपीएस रिसीवर द्वारा प्राप्त वर्तमान स्थिति एवं समय की जानकारी, नाव का पंजीकृत पहचान क्रमांक एवं अन्य उपयुक्त जानकारी भी सम्मिलित की जाती है। बाद में इसे यूएचएफ बेंड में बीपीएसके माॅडुलित किया जाता है। इस यूएचएफ मॉडुलित सिग्नल को 5 वॉट शक्ति प्रवर्धक द्वारा प्रवर्धित करके प्रेषित्र की ऐंटिना द्वारा संचार उपग्रह (इन्सेट-3ए) की ओर संचारित किया जाता है।

(ii) उपग्रह कड़ी : इस अनुप्रयोग के लिये संचार उपग्रह इन्सेट-3ए के यूएचएफ-एक्ससी डेटा रिले ट्रांसपोंडर (डीआरटी) का उपयोग किया गया है। यह ट्रांसपोंडर उपरोक्त प्रकार की सामाजिक अनुपयोज्यता के लिये ही उपग्रह पर लगाया गया है। जिसकी ऊर्ध्वकड़ी आवृत्ति 402.65 से 402.85 मेगाहर्ट्ज है तथा अधोकड़ी आवृत्ति 450.5 मेगाहट्ज है। इस ट्रांसपोंडर का आउटपुट पॉवर 5 वॉट है, यह ट्रांसपोंडर चेतावनी प्रेषित्र से प्राप्त यूएचएफ सिग्नल को प्राप्त करके उसकी आवृत्ति को विस्तृत-सी बैंड में परिवर्तित करता है। बाद में इसे उचित पॉवर पर प्रवर्धित करके अपने प्रेषण ऐंटिना द्वारा पृथ्वी की ओर यानि अभिग्राही स्टेशन की ओर पुन: प्रसारित करता है।

(iii) अभिग्राही स्टेशन : उपग्रह द्वारा पुन: प्रसारित सिग्नल को प्राप्त करने के लिये चेन्नई स्थित भारतीय कोस्ट गार्ड के सागरी बचाव समन्वयन केंद्र (एमआरसीसी) में अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद के तकनीकी सहयोग से डीएटी का केंद्रीय हब स्थापित किया गया है, जो चौबीसों घंटे सातों दिन अनवरत कार्यरत रहता है। इसमें 2.4 मीटर व्यास की डिश ऐंटिना हैं, जिसका जी/टी 19 डीबी केल्विन है। इस ऐंटिना को 900 एलिवेशन एवं 3600 एझिमुथ तक सरलता से घुमाया जा सकता है। अन्य आरएफ यानि रेडियो फ्रीक्वेंसी उपप्रणालियों में प्रमुख निम्न रव प्रवर्धक (एलएनए), आरएफ आवृत्ति अधोपरिवर्तक (डी/सी) शामिल है, जो उपग्रह कड़ी से प्राप्त सिग्नल को 70 मेगाहर्ट्ज +/- 18 मेगाहर्ट्ज मध्यवर्ती आवृत्ति (आईएफ) में परिवर्तित करता है।

इस 70 मेगाहर्ट्ज आईएफ सिग्नल को पुनः 9 किलोहर्ट्ज अचल मध्यवर्ती आवृत्ति पर अधोपरिवर्तित किया जाता है। बाद में इस 9 किलोहर्ट्ज को डीएसपी आधारित बर्स्ट विमॉडुलक को भेज दिया जाता है। इस डीएसपी विमाडुलक की संपूर्ण संरचना सैक के एसएटीडी प्रभाग द्वारा ही की गई है, जो 9 किलोहर्ट्ज बीपीएसके मॉडुलित सिग्नल को अनुवर्तित करने में संपूर्णतः सक्षम है।

डीएसपी विमॉडुलक में इस सिग्नल (आईएफ) को प्रथम अनरूप से अंकीय (एटीओडी) सिग्नल में परिवर्तित करके डीएसपी प्रोसेसर को भेज दिया जाता है, जहाँ पहले इनपुट वाहक आवृत्ति का आकलन किया जाता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है, जब तक उचित सिग्नल लेवल प्राप्त नहीं हो जाता। उचित सिग्नल प्राप्त होने पर प्रोसेसर (डीएसपी) अपना आगे का कार्य आरंभ करके प्राप्त सिग्नल को विमॉडुलित करके उसे 600 एसपीएस पर तुल्यकालिक डेटा विकोडित करता है। बाद में एक अंतरापृष्ठ कार्ड इस तुल्यकालिक डेटा को अतुल्यकालिक 4800 बाउड पर परिवर्तित करता है। जिसे आगे संसाधन हेतु कम्प्यूटर को भेज दिया जाता है। कम्प्यूटर इस डेटा को संसाधित करके ऑनलाइन प्रदर्शित करता है। इस डेटा संसाधन का सॉफ्टवेयर भी केंद्र (एसएसी) में ही विकसित किया गया है, जिसका प्रचालन संतोषजनक है।

परीक्षण


अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के एसएटीडी प्रभाग ने इस प्रणाली के मुख्य उपकरण चेतावनी प्रेषित्र का संकल्पनात्मक परीक्षण इन्सेट-3ए के यूएचएफ-एक्ससी प्रेषानुकर की मदद से सफलतापूर्वक कर लिया है। अन्य उपयुक्त उपप्रणालियां तथा हार्डवेयर जो केंद्र में पहले डीसीपी परियोजना के लिये विकसित किए थे, उन्हीं उपलब्ध घटकों का उपयोग किया गया जो उपरोक्त प्रेषानुकर (यूएचएफ-एक्ससी) के साथ कार्य करते थे।

उपग्रह से प्रसारित सिग्नल को 2.4 मीटर व्यास के सोलिड रिफ्लेक्टर ऐंटिना द्वारा प्राप्त करके कम्प्यूटर स्क्रीन एवं इन्टरनेट के जरिए भी दर्शाया गया।

Fig-3

प्रचालन


इसरो ने उपरोक्त निम्न लागत विपत्ति चेतावनी संचरण (प्रेषण) प्रणाली का विकास किया है। इसके प्रमुख उपकरण चेतावनी प्रेषित्र का व्यावसायिक उत्पादन एक भारतीय औद्योगिक इकाई द्वारा किया गया। अंतरिक्ष उपयोग केंद्र ने चेन्नई स्थित सागरी बचाव समन्वयन केंद्र में इस संपूर्ण प्रणाली का नियंत्रण केंद्र भी स्थापित किया है। प्रारंभिक दौर में कुछ मछुआरों की नाव में चेतावनी प्रेषित्र उपकरण को स्थापित करके इसे सागर में 15-20 किलोमीटर तक ले जाकर उनका परिचालनीय परीक्षण भी सफलतापूर्वक कर लिया गया है। हाल ही में भारतीय तटरक्षक दल द्वारा इस प्रणाली के लगभग 1000 उपकरण मछुआरों केा वितरित किए गए हैं, जिनको भारतीय कोस्ट गार्ड द्वारा निरंतर मॉनिटरिंग किया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकारों द्वारा ऐसे और प्रेषित्रों को वितरण किए जाने की भी योजना है।

सम्पर्क


डॉ. जितेंद्र खर्डे
अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (इसरो), अहमदाबाद-380 015
ई-मेल : jkkharde@yahoo.co.in


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