काहे नहीं ऐसै

सज-धज के आयी रे बादरी
बरसै झुमकि-झूम

हुलसै आँगन-बीच
पानी में
पूर-पूर गागरी

देखि यह राग
(संग न सुहाग!)
सोच रही सजनी
काहे नहीं ऐसै
मोर भाग जाग!!

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