झरिया कोयला क्षेत्र के इर्द-गिर्द रहने वाले समुदायों के स्वास्थ्य की स्थिति (Health status of communities living around Jharia coalfield area)


सारांश:


कोयला विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण ऊर्जा संसाधनों में से एक है। यह देश की अर्थव्यवस्था में एक अनिवार्य भूमिका निभाता है। इसका योगदान कुल प्राथमिक ऊर्जा उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक है। तथा भारत में भविष्य की ऊर्जा स्रोत के रूप में यह जारी रहेगी, ऐसी उम्मीद है। कोयला उपयोग के हर कदम जैसे खनन, परिवहन, कपड़े धोने, दहन और के बाद राख के निपटान, आदि का प्रभाव कोयला क्षेत्र के आस-पास रहने वाले मानव समुदायों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। कोयला खनन के फलस्वरूप कोलकर्मियों में विभिन्न प्रकार के रोग जैसे न्यूमोकोनिओसिस, उच्च रक्तचाप, हृदय/फेफड़ों के रोग, गुर्दे की बीमारी आदि की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। न्यूमोकोनिओसिस मुख्यतया फेफड़ों की गैस विनिमय क्षेत्रों में कोल डस्ट के जमा होने के कारण होता है। मानव स्वास्थ्य एवं सम्भावित पर्यावरणीय समस्याओं के बीच संबंध एक नया क्षेत्र है जिसमें भूविज्ञान एवं चिकित्सा विज्ञान दोनों के सहयोग की आवश्यकता है। खनन क्षेत्रों के आस-पास के क्षेत्र में निवास करने वाले तथा खनिक वर्ग आम तौर पर लगातार कोल डस्ट के सम्पर्क में रहने से श्वसन सम्बन्धी बीमारियों के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं।

खनन क्षेत्रों के आस-पास स्वास्थ्य सर्वेक्षण किये गये तथा 18 विभिन्न स्थानों से कोल डस्ट के नमूने एवं महामारी विज्ञान प्रश्नावली एकत्र किए गए। आस-पास के निवासियों द्वारा वहाँ पाये जाने वाले रोगों एवं लक्षणों के बारे में पूर्णरूप से जानकारी प्राप्त की गई। वहाँ के चिकित्सीय इतिहास के आकलन हेतु विभिन्न विषयों जैसे खांसी, बलगम उत्पादन, आँख, नाक, गला, छाती तथा अन्य संबंधित लक्षणों आदि के बारे में अलग-अलग व्यक्तियों का साक्षात्कार लिया गया जिसका परिणाम प्रत्येक क्षेत्र मे खास रोगों द्वारा प्रभावित लोगों के प्रतिशत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कोयला प्रभावित तथा नियंत्रण क्षेत्रों की समुदायों के बीच के अंतर को बाधा अनुपात (Odds Ratio) द्वारा आकलन किया गया। सांख्यिकीय परीक्षण काई स्क्वायर परीक्षण (SYSTAT-12 software) द्वारा मूल्यांकन किया गया। पुरुषों में आवासीय साइट में रोग के लक्षण की गम्भीरता के मामले में, ज्वाइंट डिस्कम्फर्ट, आँख में जलन, सामान्य कमजोरी, चक्कर आना के रूप में व्यवस्थित किया जा सकता है तथा कॉमर्शियल साइट में सूखी खांसी, आँख में जलन, सामान्य कमजोरी आदि पाए गए। जबकि महिलाओं में गम्भीरता क्रमशः कमर दर्द, आँखो में जलन, सामान्य कमजोरी, चक्कर आना आदि अधिक थी। सामान्यतः महिलाओं में सामान्य कमजोरी की शिकायत अधिक पाई गई।

Abstract


Coal is one of the abundant and important energy resource of the world. It plays an imperative role in defining economy of a nation. It dominates the energy matrix in India, contributing over 50% of the total primary energy production and is expected to continue as a crucial future energy source. Each step of the coal utilization mining transportation, washing, combustion, and disposing of post combustion ashes has impacts oh human health. Various human diseases associated with worse coal mining health status and with higher rates of cardiopulmonary (heart/lung) disease, hypertension, lung disease, and kidney disease. Coal Worker’s Pneumoconiosis is characterized by coal dust-induced lesion in the gas exchange regions of the lung. The connection between potential environmental problems with human health is fairly new field and requires the cooperation of both the geoscience and medical disciplines. The miners as well as the inhabitant’s vicinity to the mining areas are generally susceptible to the respiratory disorders due to constant exposure to the coalmine dust for a prolonged period. Health survey was conducted in the close proximity of the 18 different spots where the dust samples were collected with epidemiological questionnaires. Peoples were interacted to give respond about the disease symptoms they have due to the exposure of environment contaminants. Each subject was interviewed to assess the accurate medical history like symptoms related with cough, sputum production, and other symptoms related with eyes, nose, throat, chest, etc. Results are presented as percentage of those affected in each site, for a particular characteristic. The extent to which there was a difference between coal mine and control communities was estimated by odds ratio (OR). Statistical significance was evaluated by chi-square test using software (SYSTAT-12). Among the males, the severity of disease symptom in resident stite could be arranged as joint discomfort, eye irritation, general weakness, dizziness etc. In case of commercial site the severity is dry cough, eye irritation general weakness etc. Whereas for female the severity was higher for hip pain followed by eye irritation, general weakness and dizziness. In general, female are more vulnerable to weakness.

प्रस्तावना


विश्व में ऊर्जा की मांग को कोयले द्वारा पूरा किया जाता है तथा इसका मानव उन्नति में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। कोयला ईंधन की मानव जीवन की गुणवत्ता (धन, समृद्धि, रोजगार और समग्र वृद्धि) तथा देश के आर्थिक विकास में एक अहम भूमिका है। कोयला खनन में कार्यरत भारी मशीनरी आमतौर पर औद्योगिक डीजल ईंधन का उपयोग करती है जिससे काफी मात्रा में शोर तथा हानिकारक धुएँ का उत्सर्जन होता है। कोयला दहन का ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में एक प्रमुख योगदान है तथा कोयले की संरचना के अनुसार भारी धातुएँ संभावित कैंसरकारी तत्व, पॉलीसाइक्लिक हाइड्रोकार्बन, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, महीन कणीय पदार्थ आदि उत्सर्जित होते हैं। इसके अलावा दहन अपशिष्ट उत्पाद (उड़न राख) का भी मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन सभी अपशिष्टों का संग्रहण एक बड़ी समस्या है और इनके आकस्मिक रिसाव से विषाक्त प्रदूषक निकलने की भी संभावना हो सकती है।

कोयला खनन का स्वास्थ्य प्रभाव के साथ महत्त्वपूर्ण सह-संबंध है। कोयला खदानों और कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों के आस-पास रहने वाले समुदायों में होने वाली बीमारियों के लिये मृत्यु दर अपेक्षाकृत अधिक पाई गई है। उच्च स्तर पर कोयला उत्पादन का प्रतिकूल प्रभाव खनिकों के स्वास्थ्य पर पड़ता है जिससे हृदय एवं फेफड़ों के रोग, उच्च रक्तचाप और गुर्दे की बीमारी की प्रबल सम्भावना होती है। बच्चों में श्वसन संबंधी रोग जैसे सांस की घरघराहट तथा खांसी आदि में वृद्धि हुई है। शिशुओं के जन्म के समय कम वजन तथा रक्त में उच्च शीशे एवं कैडमिय की मात्रा पाई गई है। खनन में क्रिस्टलीय सिलिका के कारण सिलिकोसिस का खतरा बना रहता है जिससे दीर्घकालिक फेफड़े का रोग पैदा हो सकता है। क्रिस्टलीय सिलिका के लम्बे समय तक बने रहने से फेफडों के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। खनन क्षेत्रों में कोयले की धूल से कोयला श्रमिकों में न्यूमोकोनिओसिस या ‘काला फेफड़ा’ तथा अन्य दीर्घकालिक फेफड़े का रोग पैदा हो सकता है। झरिया कोयला क्षेत्र में दो कोयला खदानों के अस्पताल के रिकॉर्ड के अनुसार कोयला श्रमिकों के परिवारों के सदस्यों में 19 प्रतिशत श्वसन विकार, 24 प्रतिशत गैस्ट्रो-आंत्र और 16 प्रतिशत बुखार से पीड़ित पाये गए हैं।

अतः कोयला खनन और अन्य कोयला आधारित औद्योगिक गतिविधियों से पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान अध्ययन का उद्देश्य (1) कोयला खानों की निकटता में रहने वाले समुदायों के सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन तथा (2) अपेक्षाकृत गैर-प्रदूषित समुदाय के साथ स्वास्थ्य की स्थिति के विवरण की तुलना करना है।

सामग्री एवं विधि
अध्ययन क्षेत्र


झरिया क्षेत्र भारत के झारखंड राज्य के पूर्वी भाग में स्थित है। इस क्षेत्र की जलवायु उष्णकटिबंधीय तथा प्री-मानसून बहुत गर्म और सर्दियों में ठण्ड अधिक पड़ती है। मई और आधा जून का महीना प्री-मानसून (440C औसत अधिकतम तापमान) जबकि दिसम्बर और जनवरी महीने ठंडे मौसम के होते हैं। यह क्षेत्र सक्रिय रूप से एक सदी से भी अधिक समय से कोयला खनन गतिविधियों के साथ जुड़ा हुआ है। यहाँ पर कई सक्रिय खुली खदान और भूमिगत खानों, परित्यक्त कोयला खदानों, प्राकृतिक कोयला, आग और अधिभारित डम्प आदि हैं। यह क्षेत्र वाहनों और खनन गतिविधियों के प्रदूषण से प्रभावित है। डस्ट फाल के तुलनात्मक अध्ययन हेतु झरिया कस्बे से 18 किमी. दूर चंदनकियारी को कंट्रोल साइट जहाँ पर बंजर और कृषि योग्य भूमि शामिल है, चुना गया है।

स्वास्थ्य सर्वेक्षण


स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा 18 विभिन्न चयनित स्थानों से डस्ट (धूल) के नमूने एकत्र किए गए तथा उसके आस-पास रहने वाले लोगों का साक्षात्कार किया गया। कोयला खनन प्रभावित तथा नियंत्रण क्षेत्रों में लिये गए साक्षात्कार का आकलन एक विस्तृत प्रश्नावली जिसमें प्रत्येक विषय जैसे खांसी, बलगम, उत्पादन, आँख, नाक, गला, छाती तथा अन्य संबंधित लक्षणों के साथ चिकित्सा के इतिहास आदि के माध्यम से किया गया। कुल 214 लोगों के बीच में बातचीत की गई जिसमें 127 पुरुष और 87 महिलाएं थीं (सारणी 1) इसी तरह आवासीय स्थल से 88 पुरुष और 75 महिलाएं नियंत्रण साइट में 100 पुरुष और 84 महिला का साक्षात्कार के लिये चयन किया गया। सभी उत्तरदाताओं की आयु 18 वर्ष से ऊपर थी (सारणी 2)।

Sarni-1Sarni-2

सांख्यिकीय विश्लेषण


उपरोक्त परिणाम प्रत्येक साइट में प्रभावित लोगों का एक खास विशेषता के लिये प्रतिशत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कोयला खनन प्रभावित तथा नियंत्रण क्षेत्रों के समुदायों के बीच के अंतर को बाधा अनुपात (odds ratio) द्वारा निकाला गया।

बाधा अनुपात = (ए/बी) (सी/डी) ...................(1)

 

समुदाय

नियंत्रण साइट

प्रभावित साइट

प्रभावित लोग

बी

अप्रभावित लोग

सी

डी

 

सांख्यिकीय मूल्यांकन काई-वर्ग परीक्षण (सिस्टेट-12 सॉफ्टवेयर) के उपयोग द्वारा किया गया।

परिणाम एवं विवेचना


अध्ययन किए गए विभिन्न रोगों और लक्षणों में पाया गया कि पुरुष वर्ग सामान्य कमजोरी, आँखों में जलन, कान दर्द, सूखी खांसी से अधिक प्रभावित (P

सामान्य बीमारी


सामान्य कमजोरी के लक्षण नियंत्रण साइट में पुरुषों के लिये 29.0 प्रतिशत तथा आवासीय साइट में महिलाओं के लिये 73.6 प्रतिशत पाये गये। सामान्यतः महिला उत्तरदाताओं में सामान्य कमजोरी (बाधा अनुपात>2) और चक्कर आने (बाधा अनुपात>2) के लक्षण सभी साइटों में पुरुषों की तुलना में अधिक थे (चित्र 1) उपरोक्त रोगों के प्रसार की दर नियंत्रण साइट की अपेक्षा कोयला खनन क्षेत्र में 1.7-1.9 गुना अधिक थी। विभिन्न अध्ययनों से भी पुष्टि हुई है कि कोयला खनन का मानव स्वास्थ्य पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। लॉकवुड आदि ने अपने शोध-पत्र में कोयला खनन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के खराब स्वास्थ्य का संभावित कारण ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन की वजह बताया है। ऑक्सीजन मुक्त कण एक सामान्य सेलुलर घटक हैं और कई सेल्युलर कार्यों के नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब ऑक्सीजन मुक्त कण की मात्रा अधिक होती है तब ये अधिक प्रतिक्रियाशील हो जाते हैं तथा लिपिड, प्रोटीन, डीएनए, कोशिका झिल्ली और अन्य सेल्युलर घटकों को क्षति पहुँचाते हैं।

Fig-1

नेत्र


आँख में जलन की व्यापकता वाणिज्यिक साइट में पुरुष उत्तरदाताओं में सबसे अधिक (22.8 प्रतिशत) पाई गई जबकि सबसे कम नियंत्रण साइट में महिला उत्तरदाताओं में (7.14 प्रतिशत) पाई गई (सारणी 1-2)। कुल मिलाकर आँख से संबंधित रोग नियंत्रण साइट की तुलना में झरिया कोयला क्षेत्र में बहुत अधिक पाया गया (बाधा अनुपात 2.73-2.99)। इसी तरह के एक अध्ययन के अनुसार खनन प्रभावित समुदायों में कृषि क्षेत्र की अपेक्षा आँख की बीमारी अधिक प्रभावी रही। खुली कोयला खदानों से उड़ने वाली धूल से आँखों को अधिक हानि पहुँचती है। आँख में जलन की व्यापकता पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक पाई गई क्योंकि कोयला खनन क्षेत्रों में पुरुषों के द्वारा अधिक आउटडोर गतिविधियां होती हैं।

कान


झरिया कोयला खनन क्षेत्र में कान दर्द की समस्या महत्त्वपूर्ण नहीं थी। कान दर्द की समस्या सबसे अधिक पुरुष उत्तरदाताओं में नियंत्रण साइट (10 प्रतिशत) में थी जबकि सबसे कम वाणिज्यिक साइट (1.57 प्रतिशत) में थी (सारणी 1-2) फ्रैंक्स और स्टीफेंसन ने अपने शोध पत्र में बताया कि गैर व्यावसायिक शोर से 50 वर्ष उम्र के लोगों में 10 प्रतिशत तक श्रवण तंत्रिका और/या उसके संवेदी घटकों को स्थाई नुकसान हो सकता है। शोर के लंबे समय तक बने रहने पर श्रवण शक्ति क्षीण हो जाती है। एन आइ ओ एस की रिपोर्ट के अनुसार 90 प्रतिशत कोयला खनिकों में 52 वर्ष उम्र तक आते-आते श्रवण शक्ति क्षीण हो जाती है। जबकि सामान्य आबादी में करीब 9 प्रतिशत ही पाया गया है।

श्वसन


सूखी खांसी की समस्या वाणिज्यिक साइट में पुरुष आबादी के लिये महत्त्वपूर्ण थी (बाधा अनुपात: 3.28)। अस्थमा की व्यापकता महिला उत्तरदाताओं में सबसे ज्यादा आवासीय साइट (5.33 प्रतिशत) में पाई गई जबकि पुरुष उत्तरदाताओं में सबसे कम नियंत्रण साइट (10 प्रतिशत) में थी। घरेलू उपयोग के लिये कोयले द्वारा खाना पकाने के लिये उपयोग में लाने पर सांस की बीमारी होना आम है। घर के अंदर कोयला दहन के फलस्वरूप नाइट्रोजन डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्सर्जन से निवासियों में अस्थमा के होने का खतरा उत्पन्न हो सकता है (बाधा अनुपातः 1.5)। सर्वे के अनुसार ब्रोंकाइटिस की व्यापकता पुरुष और महिला उत्तरदाताओं दोनों के लिये वाणिज्यिक साइट से आवासीय साइट में अधिक थी। अस्थमा की अधिक व्यापकता महिला उत्तरदाताओं में पाई गई जो आवासीय साइट में 9.33 प्रतिशत तथा वाणिज्यिक साइट में 1.15 प्रतिशत थी (सारणी 2) इसी प्रकार आवासीय साइट में पुरुष उत्तरदाताओं में वाणिज्यिक साइट की अपेक्षा अस्थमा की व्यापकता 4 गुना अधिक थी (सारणी 1) प्लेस-मुल्लोलि आदि ने पाया कि खुली खदान के निकट रहने वाले लोगों में श्वसन संबंधी रोगों की व्यापकता अधिक थी।

त्वचा


खनन क्षेत्र के आस-पास के निवासियों में त्वचा एलर्जी तथा त्वचा के ऊपरी भाग में सूजन का होना आम है। त्वचा एलर्जी की व्यापकता हालाँकि सांख्यिकीय तौर पर महत्त्वपूर्ण नहीं थी (पी

निष्कर्ष


कोयला खनन क्षेत्र के आस-पास के निवासियों के स्वास्थ्य की स्थिति का गहन निरीक्षण करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि सामान्य कमजोरी, आँखो में जलन, कान दर्द, सूखी खांसी, नाक का बहना आदि से पुरुष वर्ग अधिक प्रभावित थे (पी
जबकि वाणिज्यिक साइट में इसकी गम्भीरता सूखी खांसी, आँख में जलन, सामान्य कमजोरी/चक्कर, आना लंबे समय तक खांसी, कान दर्द के रूप में है। महिला उत्तरदाताओं में रोगों की गम्भीरता का क्रम वाणिज्यिक साइट में आँखों में जलन, कमजोरी/चक्कर आना, लंबे समय तक खांसी, कान दर्द के रूप में है। महिला उत्तरदाताओं में रोगों की गम्भीरता क्रम वाणिज्यिक साइट में आँखों में जलन, कमजोरी, चक्कर आना, कान दर्द, लंबे समय तक खांसी, जबकि आवासीय साइट की महिला उत्तरदाताओं में सामान्य कमजोरी, चक्कर आना, सूखी खांसी, कान दर्द, लंबे समय तक खांसी के अवरोही क्रम में पाया गया। सामान्यतः महिलाओं में सामान्य कमजोरी एवं चक्कर की समस्या अधिक थी (बाधा अनुपात >2)। ब्रोंकाइटिस की व्यापकता पुरुष और महिला दोनों उत्तरदाताओं में वाणिज्यिक साइट से आवासीय साइट में अदिक पाई गई थी। आवासीय साइट में महिला प्रतिवादी वाणिज्यिक साइट कीमहिला उत्तरदाताओं की तुलना में अस्थमा के लक्षणों के विकास में 8 गुना पाये गये हैं। इसी तरह पुरुष उत्तरदाताओं में अस्थमा का प्रसार आवासीय साइट में वाणिज्यिक साइट की अपेक्षा 4 गुना अधिक था तथा त्वचा एलर्जी का प्रसार पूरे अध्ययन साइट में पुरुष की तुलना में महिला उत्तरदाताओं में अधिक था।

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सम्पर्क


आइ ई मैस्टो, टी के राउत, एन के श्रीवास्तव एवं एल सी राम, RE Masto, TK Rout, NK Srivastava & L C Ram
पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग, सीएसआईआर, केंद्रीय खनन एवं ईधन अनुसंधान संस्थान, Environmental Management Division, CSIR-Central Institute of Mining & Fuel Research

डिगवाडीह परिसर, पो. एफ आर आई 828108 (झारखण्ड)


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