झील भरी है

झील भरी है
चलती है डोलती हुई
पानी का दोलन
झील को प्रिय है

हमारे मन से कितनी मिलती-जुलती
नाव है झील

प्यास बुझाती
लहराती चल रही है
कितनी तो चिन्ता-फिकर है
फिर भी झील चल रही है लहराती
पार लगाती
सांगोपांग जिउ

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Post By: Hindi
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