मानसून के चार महीनों में से पहला जून बीत गया। इस महीने 11 फीसद कम बारिश हुई। मौसम विज्ञानी इसकी वजह मानसून आने में देरी को बता रहे हैं। हालाँकि देश के 36 मौसमी प्रभागों के दो तिहाई में जून के दौरान बारिश या तो सामान्य रही है या फिर अधिक हुई है। खरीफ की फसल और जल भण्डारण को लेकर जुलाई महीना बहुत अहम है। अनुमान है कि इस महीने बारिश जून की कसर भी पूरी कर देगी। कमोबेश यही हाल अगस्त महीने का भी रहने वाला है। मानसून के पहले महीने की पड़ताल पर पेश है एक नजर।
कमी की वजह
मौसम विज्ञानियों के अनुसार मानसून आठ दिनों की देरी से आया। हालाँकि उसके बाद इसमें तेज बढ़त दिखी लेकिन मध्य भारत में यह तेजी बरकरार न रह सकी। हालाँकि कम बारिश की यह कसर जुलाई में पूरी हो सकती है।
अहम है जुलाई
खरीफ की बुवाई को लेकर यह महीना बहुत अहम है। चूँकि पूरे मानसूनी सीजन की एक तिहाई बारिश इसी माह में होती है, लिहाजा साल भर के लिये जरूरी पानी भंडारण के लिये भी यह अहम है। जून में पूरे सीजन की केवल 18 फीसद के करीब बारिश होती है।
मानसून पूर्व अच्छी बारिश
उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में मानसून अभी नहीं पहुँचा है लेकिन मानसून पूर्व अच्छी बारिश होने के चलते इन क्षेत्रों में बारिश की मामूली कमी महज 2.4 फीसद रही।
11% | जून महीने में कम हुई बारिश |
24 जून में तर-बतर होने वाले मौसमी प्रभागों की संख्या | |
पिछड़ी बुवाई | |
-19 फीसद | सामान्य के मुकाबले कुल खरीफ के बुवाई रकबे में कमी (24 जून तक) |
-24 फीसद | पिछले साल के मुकाबले खरीफ बुवाई रकबे में कमी (24 जून तक) |
मौसम विभाग का पूर्वानुमान | |
107 फीसद | जुलाई- सामान्य बारिश का |
104 फीसद | अगस्त- सामान्य बारिश का |
खरीफ का बुवाई रकबा | |
2013 (28 जून) | 250.99 |
2014 (26 जून) | 134.18 |
2015 (24 जून) | 164.10 |
2016 (24 जून) | 124.94 |
जून के अंतिम सप्ताह तक लाख हेक्टेयर में |
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