उत्तराखंड के देहरादून जिले में,व्यासी बांध परियोजना के प्रभावित, लोहारी गांव के ग्रामीण, ‘यमुना घाटी लखवाड़ व्यासी बांध प्रभावित समिति’ के बैनर तले, पिछले 121 दिनों से व्यासी बांध परियोजना स्थल जुड्डो में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इसके चलते बांध परियोजना का कार्य 5 जून से बन्द पड़ा था। लेकिन 3 अक्टूबर 2021 (रविबार) की तड़के प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचा और पुलिस और प्रशासन की टीम ने बांध प्रभावितों 17 प्रदर्शनकारियों को जबरन धरने से उठाकर उन्हें हिरासत में ले लिया।
प्रशासन का कहना है कि बांध परियोजना को 31 दिसंबर 2021 तक पूरा कर विद्युत उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य है। लेकिन प्रभावितों के आंदोलन के कारण बांध कार्य ठप होने से लक्ष्य पिछड़ता जा रहा था। प्रशासन ने 29 और 30 सितंबर को बांध स्थल पर जाकर प्रदर्शनकारियों को उठाने का प्रयास किया था। लेकिन दोनों ही दिन नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गये। जिसके चलते प्रशासन को बैरंग वापस लौटना पड़ा। प्रशासन द्वारा बताया गया है कि बांध निर्माण का कार्य अब शुरू करवा दिया गया है।
इससे पहले 21 सितम्बर 2021 को जुड्डो में धरनारत एकमात्र राजस्व ग्राम लोहारी के ग्रामीणों को मनाने में पुलिस और प्रशासन विफल रहा।
ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे अधिकारियों को साफ कह दिया कि ‘तीन जनवरी 2017 के मंत्रिमंडल के प्रस्ताव के अनुरूप, जमीन के बदले जमीन से कम पर वे समझौता नहीं कर सकते।’ नाराज ग्रामीणों ने कहा कि परियोजना के निर्माण से डूब क्षेत्र में आ रहे लोहारी गांव के सभी परिवारों को विकासनगर और आसपास के क्षेत्र में विस्थापित किया जाए और प्रभावित परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाये।
21 जून 2021 को भी जुड्डो में निर्माण कार्य बंद कराकर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने दिल्ली-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो घंटे धरना देकर चक्का जाम करते हुए अपना विरोध जताया। इससे पहले 11 जून 2021 को प्रभावितों ने सरकार की बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया।
26 अगस्त 2021 को आक्रोशित ग्रामीणों ने आंखों पर काली पट्टी बांधी और ताली-थाली बजाते हुए, लोहारी के बाज़ार क्षेत्र में आक्रोश रैली निकाली। ग्रामीणों ने कहा कि रैली निकालने का मकसद अंधी बहरी हो चुकी और नींद में सोई सरकार को जगाना है ।
व्यासी डैम, उत्तराखंड के देहरादून जिले की लखवारी व्यास परियोजना के तीन घटकों , (लखवार बांध और पावर स्टेशन, व्यासी बांध और हाथिआरी पावर स्टेशन और कटपाथार बैराज) में से ही एक है। व्यासी परियोजना में देहरादून जिले के लोहारी, प्लानखेड़ा, बिन्हार, डिन्डाल, चुन्हों, कान्ड्रियान कुल 6 गाँवों के 749 लोग प्रभावितों में शामिल हैं
दरअसल, लखवार-व्यासी परियोजना के तहत 1976 में लोहारी गाँव डूब छेत्र में आने के कारण उसकी जमीन का अधिग्रहण किया गया था। 1978 -1979 में बांध निर्माण कार्य (जे. पी. कम्पनी द्वारा) शुरू किया गया था, लेकिन 1992 में पैसे की कमी के चलते निर्माण कार्य बंद कर दया गया । फिर 15 वर्षों तक यह मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ा रहा और 2009 में केन्द्र की यूपीए सरकार ने इसे राष्ट्रीय योजना घोषित कर दिया। जिसके तहत इस बहुद्देशीय परियोजना पर आने वाले खर्च का 90 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार द्वारा वहन करना निश्चित हुआ, और 10 फीसदी लाभान्वित राज्यों की सरकारों दुआर । इसी समय व्यासी परियोजना को लखवाड़ से अलग कर दिया गया। अब निर्माण कार्य उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है
व्यासी डैम एक नजर में :-
- कुल लागत – 936.23 करोड़ रु
- जमीन की आवश्यकता -135.42 हेक्टर
- विद्युत उत्पादन क्षमता -120 मेगावाट
- निर्माण पूरा होने का संभावित समय – दिसम्बर 2021
विद्युत उत्पादन के बाद इन दोनों योजनाओं ( लखवार और व्यासी ) के पावर स्टेशन से निकलने वाले जल को डाक-पत्थर में बनाए जाने वाले बैराज में इकट्ठा किये जाने की योजना है। डाक-पत्थर, हथियारी पावर स्टेशन से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर निचले बहाव क्षेत्र में स्थित है। जहां से इकट्ठे पानी को राज्यों- हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान राज्यों को दिया जायेगा। इसके लिये 28 अगस्त 2021 को, दिल्ली स्थित मीडिया केंद्र में, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इससे पहले उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बीच 12 मई, 1994 को भी पानी के बंटवारे को लेकर एक करार किया गया था।
साल 2013-14 में व्यासी बांध का निर्माण कार्य फिर से शुरू किया गया था, जो 5 जून तक लगातार चल रहा था ।बताया जा रहा है कि अब तक निर्माण कार्य लगभग 90 फीसदी पूरा हो चुका है। ग्रामीणों को डर है कि बांध पूरा हो जाने के बाद, शासन प्रशासन, उनकी कोई सुध नहीं लेगा और उनकी मांगे किसी भी हालत में नहीं मानी जाएँगी।पूर्व के अनुभवों को देखते हुए, प्रभावित ग्रामीणों की बात सही लगती है ।
लोहारी गांव के ग्रामीणों का मुख्य आरोप है कि परियोजना लगभग पूरी होने वाली है, लेकिन उनकी समस्याएं नहीं सुनी जा रही हैं। बांध का काम पूरा होते ही लोहारी गांव पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा। बावजूद इसके गांव के लोगों का विस्थापन उचित तरीके से नहीं किया जा रहा है। हमें कहा गया था कि जमीन के बदले जमीन मिलेगी, लेकिन वह वादा नहीं निभाया जा रहा, जिसकी वजह से हमारे सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। और पहले हमें हर प्रभावित परिवार में से किसी एक को रोजगार देने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक किसी को भी रोजगार मुहैया नहीं कराया गया है।
- लेखक उपेन्द्र शंकर जलधारा अभियान से जुड़े हुए हैं। जलधारा अभियान, 221,पत्रकार कॉलोनी, जयपुर-राजस्थान, 302020, संपर्क- उपेन्द्र शंकर - 7597088300, मेल- jaldharaabhiyan.jaipur@gmail.com
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