जो कोई अगहन बोवै जौआ।
होइ त होइ नहीं खावै कौआ।।
भावार्थ- जो किसान अगहन मास में जो बोता है तो जौ हुआ, बर्ना उसे कौवे ही खाते हैं अर्थात् वह फसल भाग्य के भरोसे ही होती है।
Path Alias
/articles/jao-kaoi-agahana-baovaai-jaaua
/articles/jao-kaoi-agahana-baovaai-jaaua