हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। क्योकि हमारी आबादी का लगभग 80% गाँवों में निवास करता है । तथा उनकी जीविका उर्पाजन का मुख्य स्रोत कृषि है । इसी तथ्य को ध्यान में रखकर हमारे पूर्वजों ने कुछ इस प्रकार की कहावतें बनाई जो जल विज्ञान से गहन सम्बन्ध रखती हैं तथा इनका प्रयोग बड़ी आसानी से हमारा अनपढ़ किसान अनादि काल से करता चला आ रहा है।
प्रस्तावना
जो कहा जाय, वह कहावत कहलाती है। किसी महापुरूष, किसी महान लेखक या कवि को उक्तियाँ कहावत बन जाती है। कहावतों की उत्पत्ति के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक कारण अवश्य होता है। मैं एक ग्रामीण अंचल से सम्बन्ध रखता हूँ। हमारे गाँव में प्रयोग की जाने वाली जलविज्ञान से संबंधित कहावतों को जो मैने अपने पूर्वजों के मुख से सुनी तथा प्रयोग के आधार पर आजमाई मुझे अचंभा होता है कि क्या इतना अधिक ज्ञान उन्हें था, कि आज के सुपर कम्प्यूटर का मुकाबला ये कहावते कर सकती हैं और आज भी अपनी कसौटी पर खरी उतरती हैं। प्रस्तुत लेख समर्पित हैं। उन अनपढ़ किसानो को जो कहावतो को जानते हैं प्रयोग करते है लेकिन इनके वैज्ञानिक पहलू से अनभिज्ञ हैं। ये कहावते मेरठ मंण्डल उत्तर प्रदेश से विशेष संबंध रखती हैं।
कहावते और विश्लेषण
1.काला बादल जी डरावे -भूरा बादल पानी लावे
इस कहावत में बादल की स्थिति को ध्यान में रखा गया है जब बादल नीचे होता है तो उसका रंग काला दिखाई देता है, लेकिन जो बादल ऊँचा होता है वह भूरे रंग का दिखायी देता है। जब तक बादल की डायनेमिक कूलिंग नहीं होती बादल पानी में नहीं बदलता, जब बादल नीचे से ऊपर उठता है तो उसकी डायनेमिक कूलिंग होती है तथा वह भूरे रंग का दिखायी देने लगता है तथा इसी बादल से हमें पानी प्राप्त होता है। इसलिए ऊँचा और भूरा प्रतीत होने वाले बादल से ही वर्षा होती है जो उक्त कहावत का सार है।
2. शुक्र छायी बादली गयी शनिवार छाया । इतवार की रात को बिन बरसे ना जाये ।
इस कहावत में मौसम विज्ञान को स्पष्ट किया गया है, यदि हवा शान्त हो, और बादल एक स्थान पर तीन दिन रूका रहे तो बादल अनुदैर्घ्य गाति न करे ऊर्ध्वाधर गति करेगा तथा तीन दिन में इतना ऊँचा हो जायेगा कि वर्षा करने के लिए जितनी ठंण्ड उसे चाहिये उतना ठण्डा वह हो जायेगा तथा तीसरे दिन बारिश अवश्य हो जायेगी।
3. कोस कोस पर बदले पानी चार कोस पर वाणी ।
उक्त कहावत जल गुणता से संबंध रखती है। जल में विभिन्न तत्व होते हैं। इन तत्वों की मात्रा सभी स्थानों पर समान नहीं होती, कुछ तत्व हमारे शरीर के लिए अति आवश्यक लेकिन कुछ तत्व अधिक मात्रा में हानिकारक होते हैं। इन तत्वों के बदलने से जल का स्वाद गुणवत्ता सभी बदल जाते हैं। इन तत्वों की मात्रा पर किसी स्थान वायुमण्डल, भूमि के प्रकार भूमि के उपयोग का प्रभाव पड़ता है तथा इसलिए प्रत्येक स्थान का जल एक समान नहीं होगा।
4. सही शाम का पहला दिन निकलने का मेह।
जिस प्रकार से शाम के समय आया मेहमान रात को ठहरकर ही जाता है इसी प्रकार सुबह के समय की बारिश अवश्य होती है तथा ज्यादा मात्रा में होती है। वैज्ञानिक कारण, बादल से वर्षा होने के लिए बादल का ठण्डा होना आवश्यक है। सुबह का समय सबसे ज्यादा ठण्डा होता है इसलिए सुबह के समय बादल भी अधिक ठण्डा हो जाता है और अत्यधिक वर्षा होती है।
5. का वर्षा जब कृषि सुखानी ।
जब भूमि में जल की कमी होती है तो पौधों पर इसका क्रुप्रभाव पड़ता है तथा पौधे सूखने लगते हैं। एक सीमा ऐसी होती है कि यदि उससे पहले पौधों को पानी मिल जाये तो पौधा पुनः हराभरा हो जाता है। लेकिन यदि इसके बाद भी पौधे को पानी न मिले तो पौधा स्थायी रूप से सूख जाता है इस सीमा को विल्टिंग पॉइंट कहते हैं। इसके बाद आप कितना भी पानी दे पौधा हरा नहीं होता। यही उक्त कहावत का सार है।
6. पाइप पर पानी छाया-वर्षा का सन्देशा लाया
जब किसान ट्यूबवेल के द्वारा खेतों की सिंचाई करता है तो कभी कभी ट्यूबवेल के डिलिवरी पाइप के ऊपर पानी की बूंदे जमना प्रारम्भ हो जाती हैं। इससे किसान समझ जाते है कि बारिश आने वाली है । यह कहावत वायुमण्डल की आद्रता से संबंध रखती है। जब वायुमण्डल में नमी बढ़ जाती है तो पाइप के पास की हवा की नमी ठण्डी होकर उसके ऊपर बूँदो के रूप में जम जाती है। जो इंगित करती है कि वायुमण्डल में पर्याप्त नमी हो गयी है और वर्षा आने वाली है।
7. आल से आल मिलाये - भूमि में बीज उगाये
यह कहावत भूमि के बीज के उगने के लिए कितनी नमी चाहिये से संबंध रखती है। जब कभी कम बारिश होती है तो किसान अपनी भूमि को खोदकर देखता है कि क्या भूमि के नीचे की परत सूखी तो नहीं है। यदि भूमि की ऊपरी सतह की नमी व नीचे की नमी आपस में मिल गये है तो भूमि में बीज बोये जा सकते हैं।
अनमोल सूत्र
श्री पंकज गर्ग, प्रधान शोध सहायक
1. विश्वास से अविश्वास उत्पन्न होता है, अविश्वास से विश्वास यही प्रकृति का नियम है। - प्रेमचन्द
2. अगर तूने स्वर्ग नरक नहीं देखा तो समझ लो, परिश्रम स्वर्ग व आलस्य नरक है। - अज्ञात
3. मान ईश्वर का होना चाहिए मनुष्य का नहीं। - महात्मा गाँधी
4. सब आदमी दूसरे के मालिक बनना चाहते हैं अपना स्वामी कोई नहीं। - गेरे
5. राष्ट्र भाषा हिन्दी के बिना राष्ट्र गूंगा है।- बापूजी
6. सबसे अच्छी विरासत जो अपनी नस्लों के लिये छोड़ी जा सकती है वह है, अच्छा चाल चलन, ऊचां चरित्र। - गुरुनानक देव जी
7. अच्छा आदमी कभी अकेला नहीं रहता। - मैक्समगोर्की
8. दरिद्रता प्रकट करना दरिद्र होने से अधिक दुखदायी है।- प्रेमचन्द
9. अपने आप को छोटा या बड़ा कहना दोनों ही गलतियां है।-गेरे
10 . देवता भाव का भूखा है ना कि पूजा सामाग्री का। -तिलक
स्रोत:- राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की, भारत
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