जलविज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा एवं रोजगार के अवसर (Education and employment opportunities in the field of Hydrology)


जलपृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन किसी न किसी रूप में जल पर आधारित है इस कारण जलविज्ञान को एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विषय के रूप में समझना तथा इसका अध्ययन करना बहुत ही आवश्यक है। जलविज्ञान, पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा, गुणवत्ता तथा जलचक्र के क्रमबद्ध अध्ययन से सम्बन्धित विज्ञान है। पृथ्वी पर जल की विभिन्न रूपी उपलब्धता के अध्ययन के आधार पर जलविज्ञान को विभिन्न मुख्य शाखाओं में विभाजित किया जा सकता है जोकि इस प्रकार हैं:

सतही जलविज्ञान: भू-सतह के ऊपर तथा निकट जल की उपलब्धता तथा क्रियाओं का अध्ययन सतही जलविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है।

भूजल जलविज्ञान: पृथ्वी की सतह के नीचे जल की उपलब्धता तथा गति के अध्ययन पर आधारित है।

जल मौसम विज्ञान: वायुमण्डल में जल की मात्रा तथा विधायन का वैज्ञानिक अध्ययन है।

पर्यावरणीय जलविज्ञान: परिस्थितिकी तथा जलचक्र की मिथः क्रियाओं के अध्ययन पर आधारित है।

रासायनिक जलविज्ञान: जल के रासायनिक गुणों का अध्ययन है।

समस्थानिक जलविज्ञान: जल के समस्थानिक गुणों के अध्ययन से सम्बन्धित है।

जलविज्ञान की इन मुख्य पारम्परिक शाखाओं के अतिरिक्त जलविज्ञानीय अनुप्रयोगों के आधार पर जल सम्बन्धी अध्ययन को कुछ अन्य शाखाओं में भी विभाजित किया जा सकता है जो कि इस प्रकार हैंः-

जल संसाधन प्रबन्धन: यह जल संसाधनों के आयोजित विकास, वितरण एवं उपयोग से सम्बन्धित है।

जल गुणवत्ता: जल में विलीन हानिकारक तथा दूषित पदार्थों के अध्ययन से सम्बन्धित है। हाइड्रोइन्फाॅरमेटिक्स: जलविज्ञानीय अध्ययनों में सूचना प्रौद्योगिकी के समावेश तथा जलविज्ञानीय आँकड़ों एवं सूचनाओं के कम्प्यूटरीकृत विधायन से सम्बन्धित है।

जलविज्ञानीय अध्ययन की उपरोक्त शाखाओं के अतिरिक्त जल का अध्ययन ज्ञान की कुछ अन्य शाखाओं के अन्तर्गत भी किया जाता है जिनका जलविज्ञान से गहरा सम्बन्ध है, जैसे:-

कसार विज्ञान (Limnology) : जो कि स्वच्छ जल का वैज्ञानिक अध्ययन है।

मौसम विज्ञान: वायुमंडल, मौसम, वर्षा तथा हिम आदि का और अधिक सामान्य अध्ययन है।

समुद्रविज्ञान: समुद्र तथा खाड़ी जल के अध्ययन से सम्बन्धित है।

जलविज्ञानियों के कार्य


जलविज्ञान से जुड़ा व्यावसायी जलविज्ञानी, जल वैज्ञानिक या जल प्रौद्योगविज्ञ कहलाता है जो कि जल से सम्बन्धित विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे होते हैं। जलविज्ञानियों का कार्य केवल सैद्धान्तिक विज्ञान तक ही सीमित नहीं है। बल्कि व्यावसायिक क्षेत्रों में जलविज्ञानियों का कार्य अत्यन्त व्यावहारिक होता है जो कि सामान्य जन के लिये सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है, जैसे कि जल के बारे में अपनी गहन जानकारी तथा मौसम विज्ञानीय आँकड़ों का विश्लेषण एवं अध्ययन कर वे आने वाली बाढ़ तथा सूखे के बारे में पूर्व सूचना दे सकते हैं जिससे इन प्राकृतिक आपदाओं से बचाव का यथासम्भव प्रयास किया जा सकता है। सम्पूर्ण विश्व में हजारों जलविज्ञानी विभिन्न अभिधानों (Designations) जैसे कि रासायनिक जलविज्ञानी, पारिस्थितिक जलविज्ञानी, भूजलविज्ञानी आदि के साथ कार्य कर रहे हैं जो कि अपने जलविज्ञानीय ज्ञान को विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि बाढ़ एवं सूखा सम्बन्धी भविष्यवाणियाँ एवं इसका सम्भावित समाधान, सिंचाई प्रणाली अभिकल्पन, बाँध एवं सेतु अभिकल्पन, पेयजल सुरक्षा जल गुणवत्ता नियन्त्रण, जल स्रोत निर्धारण, भूमि, जल प्रबन्धन तथा दूषित पदार्थ नीति निर्माण आदि में अनुप्रयोग करते हैं।

जलविज्ञान में शिक्षा


जलविज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें विशिष्ट शिक्षा एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। स्कूल पाठ्यक्रम निर्माताओं ने जल सम्बन्धित जानकारी के महत्त्व को देखते हुए जल संसाधन, जलचक्र, जल संरक्षण, जल प्रदूषण आदि से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण ज्ञान को स्कूल स्तर पर ही ‘सामाजिक अथवा पर्यावरणीय अध्ययन’ के अन्तर्गत पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है।

स्नातक स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण कोर्स के रूप में जलविज्ञान का अध्ययन सिविल इंजीनियरी, कृषि इंजीनियरी, पर्यावरण इंजीनियरी, पर्यावरणीय विज्ञान एवं पर्यावरणीय प्रबन्धन आदि कार्यक्रमों में कराया जाता है। जलविज्ञान में अधिकतर विशिष्ट कोर्सेज स्नातकोत्तर स्तर से ही आरम्भ होते हैं जिनमें प्रवेश पाने हेतु शैक्षिक योग्यता सिविल, कृषि या पर्यावरण इंजीनियरी में स्नातक उपाधि अथवा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, भूगोल आदि में स्नातकोत्तर उपाधि का होना आवश्यक है।

जलविज्ञान के क्षेत्र में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण तथा अनुसंधान के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की अग्रणी रहा है। वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा अन्तरराष्ट्रीय जलविज्ञान दशक का शुभारम्भ किया गया जिसके द्वारा जलविज्ञान में बहुत से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की स्थापना की गयी। जलविज्ञान में शिक्षा एवं प्रशिक्षण उक्त कार्यक्रम का एक मुख्य अंग था। जलविज्ञान में अन्तरराष्ट्रीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की शुरूआत के साथ ही 1972 में रुड़की विश्वविद्यालय (अब भा. प्रौ. संस्थान) के अधीन जलविज्ञान विभाग की स्थापना हुई। वर्तमान में इस विभाग द्वारा चलाये जा रहे पाठ्यक्रम भारत सरकार, यूनेस्को तथा अन्तरराष्ट्रीय मौसमविज्ञान संगठन द्वारा प्रायोजित हैं। उक्त पाठ्यक्रमों में अब तक कुल 752 सहभागी जिनमें से 287 सहभागी अन्य 35 देशों से थे, भाग ले चुके हैं। वर्ष 2003 से गेट (GATE) अर्हताप्राप्त इंजीनियरी एवं विज्ञान स्नातकों को भी उक्त स्नातकोत्तर कार्यक्रम में प्रवेश दिया जाता है जो कि भारत से ही होते हैं। उक्त पाठ्यक्रम दो स्तरों पर आयोजित किया जाता है, पहला 24 महीने की अवधि का एम. टैक. (जलविज्ञान) कोर्स तथा दूसरा एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा (जलविज्ञान) कोर्स। इस विभाग द्वारा जलविज्ञान में पी.एच.डी. कार्यक्रम भी चलाया जाता है।

इसके अतिरिक्त भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की का जल संसाधन विकास एवं प्रबन्धन विभाग भी सेवारत सिविल, विद्युत, यान्त्रिक, कृषि इंजीनियरों तथा कृषि वैज्ञानिकों के लिये अलग से ‘जल संसाधन विकास’ तथा सिंचाई जल प्रबन्धन में एक वर्षीय प्रशिक्षण, दो सैमिस्टर स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा चार सैमिस्टर एम.टैक. कार्यक्रम आयोजित करता है। यह विभाग इस दिशा में सन 1955 से कार्यरत है तथा पिछले 55 वर्ष में 48 देशों के 2469 सेवारत जल व्यावसायियों को प्रशिक्षण प्रदान कर चुका है। इस विभाग में भी जल संसाधन सम्बन्धी विषयों में पी.एच.डी. की सुविधा उपलब्ध है।

उपरोक्त के अतिरिक्त भारत में अन्य संस्थान भी हैं जो जलविज्ञान में शिक्षा तथा प्रशिक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इनमें से कुछ के सम्बन्ध में जानकारी निम्न तालिका में दी गयी है।

जलविज्ञान के क्षेत्र में रोजगार


सम्पूर्ण विश्व में स्वच्छ जल की बढ़ती माँग, विकराल रूप धारण कर रही जल सम्बन्धी समस्याएँ तथा जल संसाधनों के विकास एवं बेहतर प्रबन्धन हेतु उच्च कौशल प्राप्त तथा दक्ष जलविज्ञानियों की माँग भी निरन्तर बढ़ रही है। जलविज्ञानीय ज्ञान के अनुप्रयोग की दृष्टि से देश तथा विदेशों में बहुत सारे रोजगार हैं। जो जलविज्ञानियों के लिये उपलब्ध हैं। सरकारी, गैर-सरकारी तथा निजी कई स्तरों पर जलविज्ञानी अपने कौशल तथा दक्षता अनुसार रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। केन्द्र तथा राज्य सरकारी संगठनों में विभिन्न जलविज्ञानीय कार्यों हेतु योग्य जलविज्ञानियों का चयन किया जाता है जो कि जल प्रबन्धन, सिंचाई प्रणाली विकास, बाँधोें का रख-रखाव तथा प्रबन्धन, जल विश्लेषण, भूजल प्राक्कलन, बाढ़ व सूखा प्रबन्धन, जल सम्बन्धी आँकड़ों का एकत्रीकरण एवं विधायन आदि कार्यों को कुशलतापूर्वक कर सकें।

गैर सरकारी एवं निजी क्षेत्र में जलविज्ञानी विभिन्न संस्थाओं, संगठनों तथा औद्योगिक इकाइयों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं तथा छोटी-बड़ी निजी कम्पनियों के लिये कार्य करते हैं जो जल प्रौद्योगिकी का विकास तथा मार्केटिंग का कार्य करती हैं।

उच्च शिक्षा तथा अनुसंधान संस्थानों में जलविज्ञानी पठन-पाठन तथा अनुसंधान प्रबन्धन का कार्य भी कर सकते हैं जिसके लिये उच्च शिक्षा तथा अनुभव की आवश्यकता होती है। वह निजी, अर्धसरकारी एवं सरकारी संस्थाओं तथा संगठनों के लिये परामर्श कार्य, नई परियोजनाओं का प्रस्ताव तथा रूप-रेखा तैयार करना आदि कार्य भी कर सकते हैं तथा सरकारी नीति निर्धारण में विशेषज्ञों की भूमिका निभा सकते हैं।

कुछ संगठनों तथा संस्थाओं की सूची नीचे दी जा रही है, जिनमें जलविज्ञानी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

(क) भारत सरकार, जल संसाधन मन्त्रालय के अधीन संस्थान, उपक्रम तथा संगठन:

- केन्द्रीय जल आयोग, नई दिल्ली
- केन्द्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला, नई दिल्ली
- केन्द्रीय भूजल बोर्ड, फरीदाबाद
- केन्द्रीय जल व विद्युत अनुसंधानशाला, पुणे
- फरक्का बराज परियोजना, फरक्का
- बाणसागर नियन्त्रण बोर्ड, बड़ोदरा
- राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण, नई दिल्ली
- राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
- ब्रह्मपुत्र बोर्ड, बशिष्ठा, गुवाहाटी
- नर्मदा नियन्त्रण प्राधिकरण, इन्दौर
- बेतवा नदी बोर्ड, झाँसी
- तुंगभद्रा बोर्ड, हैदराबाद
- जल एवं विद्युत परामर्श सेवाएँ, गुड़गाँव

(ख) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अधीन जल सम्बन्धी संस्थान तथा प्रभाग।

(ग) केन्द्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के अधीन जल सम्बन्धी संस्थान एवं उनके प्रभाग

(घ) केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड, दिल्ली

(च) भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, कोलकाता

(छ) राज्य सिंचाई विभाग

(ज) राज्य सरकारों के अधीन जल सम्बन्धी मन्त्रालय एवं उनके विभाग

(झ) नगरीय स्तर पर कार्यरत म्यूनीसिपल काॅर्पोरेशन्स

(ट) गैर सरकारी संस्थाएँ एवं उद्योग

क्र.सं.

संस्थान का नाम तथा वेबसाइट

पाठ्यक्रम

1.

सिविल इंजीनियरी विभाग, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई-600025 (http: www.annauniv.edu) जल संसाधन केन्दर, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई - 600025

बी.ई. कृषि एवं सिंचाई ईंजीनियरी एम.ई. जलविज्ञान एवं जल संसाधन इंजीनियरी, एम.ई. सिंचाई जल प्रबन्धन, एम.ई. समाकलित जल संसाधन प्रबन्धन

2.

भूविज्ञान विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अलीगढ़ – 202002 (उ.प्र.) (http: www.amu.ac.in)

भूजल विज्ञान में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

3.

आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापटनम – 530003 (आन्ध्र प्रदेश) (http: www.andhrauniversity.info/courses.html)

एम.एस.सी./एम.एस.सी. (टैक) जलविज्ञान

4.

भारत विश्वविद्यालय, चेन्नई-600073 (http: www.bharatuniv.com/courses.html)

एम.टैक सिंचाई इंजीनियरी, एम. टैक जलविज्ञान एवं जल संसाधन

5.

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (http:www.dce.ac.in/acad programs)   

एम.ई. द्रव-विज्ञान तथा बाढ़ नियन्त्रण, दिल्ली-110042

6.

सिविल इंजीनियरी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास, चेन्नई-600036 (http: www.civil.iitm.ac.in)

पर्यावरणीय एवं जल संसाधन इंजीनियरी में एम.टैक, एम.एस., पी.एच.डी.

7.

जल संसाधन केन्द्र, जवाहरलाल नेहरु प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद- 500085 (आन्ध्र प्रदेश) (http: www.jntu.ac.in/courses- water-resources.php)

एम. टैक-जल एवं पर्यावरणीय प्रौद्योगिकी पी.एच.डी.जल संसाधन

8.

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रायपुर-492010 (छत्तीसगढ़) (http: www.nitrr.ac.in/dept- civil.php)

एम.ई. सिंचाई एवं जल संसाधन इंजीनियरी

9.

महाराजा सायाजी राव विश्वविद्यालय, बड़ोदरा-390001 (http: www.msubaroda.ac.in)

बी. ई. सिंचाई एवं जल प्रबन्धन, एम.ई. सिंचाई एवं जल प्रबन्धन, एम.ई.जल संसाधन इंजीनियरी

10.

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी, अभियात्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, नादेड़-431603 (http: www.sggs.ac.in)

बी.टैक जानपद एवं जल प्रबन्धन, एम. टैक जानपद (जल प्रबन्धन)

11.

षणमुगा कला विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान अकादमी, तंजाबूर- 613402 (तमिलनाडु) (http: www.sastra.edu)

एम.टैक द्रव विज्ञान एवं जल संसाधन इंजीनियरी

 

मुहम्मद फुरकान उल्लाह
सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारीराष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की

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